लखनऊ : एनडीए ने एमएलसी उम्मीदवारों के चयन में इस बात का ख्याल रखा है कि नए की जगह पुराने नेताओं पर भरोसा किया जाए. इसलिए भारतीय जनता पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल, अपना दल (सोने लाल) और ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने पुराने नेताओं को ही उम्मीदवार बनाया है.
डॉ महेन्द्र सिंह : पूर्व मंत्री डॉ महेंद्र सिंह को एमएलसी पद पर दूसरा कार्यकाल मिल रहा है. भारतीय जनता पार्टी के पार्षद से अपनी राजनीतिक यात्रा को शुरू करने वाले डॉ महेंद्र सिंह योगी आदित्यनाथ की पहली सरकार में जल शक्ति मंत्री थे. दूसरी सरकार में उनका मंत्रालय नहीं मिला, लेकिन संगठन के महत्वपूर्ण काम दिए गए. उनके प्रभारी रहते हुए त्रिपुरा में भारतीय जनता पार्टी को जबरदस्त जीत मिली. इस समय वे मध्य प्रदेश के लोकसभा चुनाव प्रभारी हैं.
विजय बहादुर पाठक : विजय बहादुर पाठक भारतीय जनता पार्टी संगठन के उपाध्यक्ष हैं. भारतीय जनता महिला मोर्चा के प्रभारी हैं. उनको एमएलसी पद पर लगातार दूसरी बार जिम्मेदारी दी जा रही है. वे भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता भी रह चुके हैं.
अशोक कटारिया : अशोक कटारिया भी बीजेपी के पुराने नेता हैं. वे मंत्री भी रह चुके हैं. संगठन और सरकार दोनों में उनका कार्यकाल अच्छा रहा पिछड़े वर्ग के बड़े नेता माने जाते हैं.
संतोष सिंह : लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष संतोष सिंह वर्तमान में प्रदेश संगठन में उपाध्यक्ष भी हैं. पद के लिए दावेदारी कर रहे थे. लखनऊ पूर्वी क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव के लेकर भी संतोष सिंह दावेदार थे, मगर पार्टी ने उनको एमएलसी पद का उम्मीदवार बना दिया.
धर्मेंद्र राय : पहले बड़े संस्थानों में पत्रकारिता कर चुके धर्मेंद्र राय लंबे समय से भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुए हैं और इस समय प्रदेश में सही मीडिया प्रभारी का पद संभाल रहे हैं. वाराणसी के रहने वाले धर्मेंद्र राय को पार्टी ने अप्रत्याशित तरीके से एमएलसी पद का उम्मीदवार बनाया है.
मोहित बेनीवाल : मोहित बेनीवाल पश्चिम उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी का बड़ा नाम है. बेनीवाल पश्चिम क्षेत्र भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष रह चुके हैं. IIT दिल्ली से इंजीनियरिंग की है.
आशीष पटेल : अपना दल (सोनेलाल) की मुख्य नेता अनुप्रिया पटेल के पति आशीष पटेल वर्तमान में प्रदेश सरकार में मंत्री हैं.
नरेंद्र मोदी की बताई राह पर चल रहा देश : एमएलसी पद के लिए नामांकन करने पहुंचे भारतीय जनता पार्टी के नेता अशोक कटारिया ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि देश इस समय नरेंद्र मोदी की बताई राह पर चल रहा है. इस लोकसभा चुनाव में हम 400 पार करने जा रहे हैं, इसलिए मुझे जो अवसर दिया गया है मैं खुद को उसके लिए भाग्यशाली मानता हूं. कटारिया ने कहा कि अगर सदन में विपक्ष जनता की आवाज नहीं उठा पा रहा है तो इसके लिए वह खुद जिम्मेदार है. उनकी संख्या बल लगातार काम होता जा रहा है. जनता आगे भी यह करती रहेगी.
अबकी बार 400 बार : भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष और एमएलसी पद के उम्मीदवार विजय बहादुर पाठक ने नामांकन के बाद ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में कहा कि वह जब संगठन में होते हैं तो भाजपाई होते हैं, मगर जब विधान परिषद सदन में होते हैं तब वह एक एमएलसी में तब्दील हो जाते हैं. जहां भी लगातार जनता की बात उठाते रहे हैं और आगे भी उठाते रहेंगे. उन्होंने कहा कि एमएलसी पद के हम दावेदार हैं और भारतीय जनता पार्टी के सिपाही भी हैं. संगठन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां मेरे पास हैं इसलिए मैं लोकसभा चुनाव में पार्टी की जीत के लिए हर संभव प्रयास करूंगा. भारतीय जनता पार्टी और सहयोगी पार्टियां इस बार देश में 400 के आंकड़े को पार करेगी. उन्होंने एमएलसी पद पर दोबारा टिकट देने को लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आभार जताया. पार्टी के आशीर्वाद से उनको यह मौका मिल रहा है. यह पार्टी के कार्यकर्ताओं की जीत है.
विच्छेलाल राजभर को बनाया उम्मीदवार : सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने धनबल और बाहुबल को दरकिनार कर इस बार अपने पुराने कार्यकर्ता को तरजीह दी है. वफादारी का इनाम सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने अपने पार्टी के नेता विच्छेलाल राम को विधान परिषद सदस्य का उम्मीदवार बनाया है. जमीन से जुड़े विच्छेलाल राजभर हमेशा से ही पार्टी की नीतियों और दिशा निर्देशों को मानने वाले नेता रहे हैं, जो ओमप्रकाश राजभर को काफी पसंद आया है. यही वजह है कि अपने दूसरे बेटे को एमएलसी न बनाकर उन्होंने पूर्वांचल के प्रदेश अध्यक्ष विच्छे लाल राजभर को एमएलसी बनाने का फैसला लिया. उनके इस कदम की तारीफ हो रही है. हालांकि, सुभासपा अध्यक्ष ने राजभर से इतर किसी अन्य जाति के व्यक्ति को मौका नहीं दिया है. इसको लेकर भी सवाल उठ रहे हैं.
27 अक्टूबर 2002 को हुई थी स्थापना : सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने एमएलसी नामांकन के दिन एक बड़ा दांव खेलते हुए पार्टी के नेता विच्छेलाल राम राजभर को मैदान में उतार दिया. पूरी संभावना है कि वह एमएलसी बन जाएंगे. उन्होंने अपना नामांकन भी कर दिया है. पार्टी की स्थापना के कुछ ही दिन बाद पार्टी के साथ जुड़ने वाले विच्छेलाल राजभर विभिन्न पदों पर रहे हैं और अब उन्हें पार्टी ने सदन में जाने का मौका दिया है. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी की स्थापना 27 अक्टूबर 2002 को हुई थी.
तीन जुलाई 2003 से शुरू हुआ सफर : सक्रिय राजनीतिक में विच्छे का सफर तीन जुलाई 2003 से शुरू हुआ. वे पार्टी में शामिल हुए. 10 दिसंबर 2003 से चार अप्रैल 2005 तक जिला प्रमुख महासचिव मऊ रहे. इसके बाद जिला पंचायत चुनाव लड़ा. बहुत कम वोट से हार मिली. पांच अप्रैल 2005 से लगातार 2016 तक जिला अध्यक्ष मऊ रहे. एक जनवरी 2017 से 30 दिसंबर 2018 तक मंडल महासचिव आजमगढ़ रहे. पांच जनवरी 2018 से एक जून 2022 तक प्रदेश संगठन मंत्री रहे. एक जुलाई 2022 को प्रदेश अध्यक्ष पूर्वांचल मुख्य कमेटी बनी. इस पद पर वे अभी तक बरकरार हैं. अब जल्द ही वे विधान परिषद सदस्य भी बन जाएंगे.
लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन : बता दें कि सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के साथ लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन किया है. गठबंधन में एनडीए की तरफ से ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को एक लोकसभा सीट दी गई है. पार्टी अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. लोकसभा सीट पर ओमप्रकाश राजभर ने अपने बेटे डॉ. अरविंद राजभर को प्रत्याशी भी घोषित कर दिया है और अब एक एमएलसी की सीट भी राजभर के पाले में गई है.
मथुरा के योगेश चौधरी को मिला मौका : एनडीए के साथ गठबंधन में राष्ट्रीय लोक दल को उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने दो लोकसभा सीटें, एक एमएलसी की सीट और सरकार में एक मंत्री का पद दिया है. अनिल कुमार योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री की शपथ ले चुके हैं. जबकि, आरएलडी ने बिजनौर और बागपत सीट पर अपने प्रत्याशी भी घोषित कर दिए हैं. विधान परिषद प्रत्याशी के रूप में पार्टी ने मथुरा के योगेश चौधरी को मौका दिया है. सोमवार को योगेश ने आरएलडी की तरफ से एमएलसी के लिए अपना नामांकन भी दाखिल कर दिया है. साल 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने योगेश चौधरी नौहवार से वादा किया था कि भविष्य में उनके लिए कुछ अच्छा करेंगे. अपना वादा निभाते हुए जयंत ने एमएलसी की सीट के लिए योगेश चौधरी को ही उम्मीदवार चुना. योगेश चौधरी पार्टी अध्यक्ष जयंत चौधरी के काफी करीबी माने जाते हैं. जयंत के इस फैसले से अब पार्टी के अन्य नेताओं और कार्यकर्ताओं में भी यह उम्मीद जाग गई है कि जयंत जो वादा करते हैं वह निभाते हैं.
400 वोटों से ही हार गए थे चुनाव : योगेश चौधरी के राजनीतिक कैरियर की बात की जाए तो साल 2012 के विधानसभा के चुनाव में योगेश दूसरे नंबर पर रहे थे और 2017 का चुनाव सिर्फ 400 वोटों से ही हार गए थे. 2022 के विधानसभा चुनाव में योगेश को पार्टी ने फिर मथुरा सीट से मौका दिया था, लेकिन अचानक उनसे सिंबल वापस ले लिया गया और गठबंधन में यह सीट सपा को दे दी थी. समाजवादी पार्टी के डॉ. संजय लाठर उम्मीदवार बने थे. इससे योगेश चौधरी को झटका लगा था, लेकिन इसी दौरान पार्टी अध्यक्ष जयंत चौधरी ने योगेश चौधरी से वादा किया था कि भविष्य में उनके लिए बहुत अच्छा जरुर करेंगे. अपने नेता पर भरोसा जताते हुए योगेश चौधरी लगातार पार्टी के साथ बने रहे और उसका फल भी उन्हें जयंत चौधरी ने अब दिया है. योगेश चौधरी मथुरा से आते हैं परसोली के शिवाजी नगला के रहने वाले हैं. उनके पिता कारे सिंह का निधन हो चुका है. परिवार में पत्नी चेतना और बेटी समायरा चौधरी के अलावा बेटा सम्राट चौधरी है. स्नातक तक पढ़ाई योगेश चौधरी ने की है. प्रॉपर्टी के कामकाज के साथ ही कृषि कार्य भी करते हैं. राष्ट्रीय लोक दल को उम्मीद है कि योगेश चौधरी को एमएलसी बनाए जाने से पार्टी और मजबूत होगी. मथुरा लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को जिताने में भी राष्ट्रीय लोक दल का योगदान होगा.