रायपुर : छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने चुनावी सभाओं में नक्सलवाद और राम के मुद्दे को भुनाया है. मौजूदा समय में अमित शाह और जेपी नड्डा जैसे बड़े नेता छत्तीसगढ़ के नक्सलवाद को लेकर जोरदार हमला बोल रहे हैं. अमित शाह ने कांकेर तो जेपी नड्डा ने मुंगेली की रैली में नक्सलवाद का मुद्दा उठाया. अमित शाह ने जोर देते हुए कहा कि यदि अबकी बार मोदी सरकार केंद्र में आई तो दो साल के अंदर छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद का खात्मा होगा.
क्या है अमित शाह का बयान ?: अमित शाह ने कहा कि नरेंद्र मोदी जी ने देश से आतंकवाद को खत्म कर दिया है, जबकि नक्सलवाद खत्म होने की कगार पर है। महादेव ऐप ब्रांड भूपेश बघेल सरकार ने नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की. यदि नक्सलियों ने हथियार नहीं डाला तो उन्हें दो साल में राज्य से जड़ से उखाड़ दिया जाएगा.
नक्सलियों के खिलाफ सरकार बना रही प्लान : गृहमंत्री अमित शाह के बयान को लेकर सीएम विष्णुदेव साय ने समर्थन देते हुए कहा कि नक्सलवाद के खिलाफ हमारी सरकार सक्रिय है. नक्सलियों को मुख्य धारा में लाने के लिए सरकार की योजनाएं भी हैं, और इस पर हम लोग काम कर रहे हैं.
कांग्रेस के बयान पर किया हमला : इस दौरान विष्णुदेव साय ने कांग्रेस के आरोपों पर भी पलटवार किया. आपको बता दें कि कांग्रेस ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सामाजिक विद्वेष फैलाने वाले भाषण को दे रहे हैं ऐसी बातें कह रहे हैं. जिसमें समाज में विषमता पैदा हो.इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें अपने बयानों को देखना चाहिए. उनके नेता किस तरीके से बयान दे रहे हैं ,इसकी उन्हें खुद की समीक्षा करनी चाहिए, दूसरों पर कोई आरोप लगाने से पहले उन्हें अपने बयानों और अपने नेताओं के बातों को देख लेना चाहिए.
आपको बता दें कि नक्सलियों को लेकर छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव से पहले बड़ी मीटिंग हुई थी.इस मीटिंग के बाद प्रदेश में नक्सलियों के खिलाफ एक बड़ी रणनीति बनीं.इसी रणनीति के तहत नक्सलियों ने पहले सरकार ने अपील की कि वो अपने हथियार डाले.लेकिन इसके बाद भी नक्सलियों की ओर से निर्दोंषों की हत्या का सिलसिला नहीं रुका.लिहाजा सरकार ने फोर्स के साथ मिलकर नक्सलियों के टॉप कमांडर समेत पूरी टीम को ही नेस्तनाबूद कर दिया. कांकेर के सरहदी इलाके में हुई इस कार्रवाई में 29 नक्सली ढ़ेर हुए.इस हमले के बाद बीजेपी पूरी तरह से फ्रंट फुट पर है और जनता को ये यकीन दिलाने की कोशिश की जा रही है कि नक्सलियों के प्रति सरकार किसी भी तरह की नरमी नहीं बरती है,यदि नक्सली हथियार नहीं डालते तो उन्हें जवानों की गोली का शिकार होना पड़ेगा.