कुचामनसिटी. डीडवाना कुचामन जिले के नावां शहर में कहने को तो उपजिला चिकित्सालय है, लेकिन सुविधाओं के लिहाज से शून्य के बराबर है. उपजिला चिकित्सालय क्रमोन्नत होने के बाद चिकित्सक तो नियुक्त हो चुके हैं, लेकिन चिकित्सकों के रहने व इलाज के लिए कक्ष भी नहीं है. जो हैं वे जर्जर अवस्था में हैं. इसके चलते चिकित्सालय में रहने वालों को भय है. लाखों रुपए की मशीनरी भवन नहीं होने के चलते धूल फांक रही है.
स्थानीय निवासी सुरेश शर्मा ने बताया कि शहर के मध्य में स्थित अस्पताल अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाता नजर आ रहा है. गत कांग्रेस सरकार में सीएचसी से क्रमोन्नत कर इसे उपजिला अस्पताल का दर्जा दिया गया और चिकित्सकों की नियुक्तियां भी की गई. अस्पताल भवन 110 साल पुराना भवन है जो जर्जर स्थिति में है और कई बार भवन में जगह—जगह दीवारें गिर गई, तो कहीं पूरे क्वार्टर ही धराशाही हो गए. इससे पहले अस्पताल में चिकित्सकों की नियुक्ति को लेकर धरने प्रदर्शन सहित बाजार भी बंद हुए और जब अस्पताल में चिकित्सक पर्याप्त मात्रा में है, तो यहां की व्यवस्थाएं चरमराई हुई हैं.
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गत कांग्रेस सरकार में अस्पताल के नए भवन के लिए जमीन का आवंटन हुआ और नए भवन निर्माण के लिए 40 करोड़ रुपए की वित्तीय स्वीकृति भी जारी हुई. लेकिन भाजपा के पार्षदों द्वारा नए भवन के लिए आवंटित भूमि के विरोध में स्थगन आदेश ले लिया और अस्पताल बनाने का मंसूबा फेल हो गया.
डॉ ओमसिंह शेखावत ने बताया कि नावां का उपजिला चिकित्सालय रेफरल चिकित्सालय बना हुआ है. वर्तमान में यहां कुल 12 चिकित्सक पदस्थापित हैं, लेकिन उनके बैठने के लिए व मरीजों को देखने के लिए पर्याप्त चेम्बर नहीं है. चिकित्सकों के लिए क्वार्टर नहीं हैं. इसी के साथ इलाज के लिए जरूरी उपकरणों का अभाव है. चिकित्सालय में जगह-जगह दिवारों में दरारें आई हुई हैं, तो कहीं पर आरसीसी उखड़ी हुई है. कमरों की छतों से आरसीसी के सरिए उखड़ कर नीचे गिर चुके हैं. कभी भी छत गिर कर बड़ा हादसा हो सकता है.
नावां उपजिला चिकित्सालय का भवन सम्पूर्ण रूप से जर्जर हो चुका है. इससे यहां रहने वाले कार्मिकों को मौत का डर हर पल सताता रहता है. जिस भवन में चिकित्सक व कार्मिक रहते हैं, उनके छत व छज्जे भरभराकर गिर रहे हैं. हाल ही में एक क्वाटर की छत का छज्जा भरभराकर गिर गया. गनीमत रही कि उस समय एक कार्मिक उस स्थान से कुछ दूरी पर कार्य कर रहा था अन्यथा बड़ा हादसा हो सकता था.
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धूल फांक रही मशीनें: स्थानीय राधेश्याम अग्रवाल, मनोज कुमार शर्मा, मांगीलाल कुमावत व अन्य लोगों ने सरकार से अपील है कि जल्द से जल्द शहर की जनसमस्या का समाधान करते हुए इलाज की सुगम व्यवस्था की जानी चाहिए. जनता को शहर में उपजिला चिकित्सालय होते हुए भी अन्य शहरों में इलाज के लिए जाना पड़ रहा है. चिकित्सालय के लिए कई उपकरण आये हुए हैं, लेकिन भवन नहीं होने के चलते 25 लाख रुपये की लागत की डायलेसिस मशीन व 2 एसी मशीनें स्टोर कक्ष में धूल फांकती नजर आ रही हैं.
नावां शहर का उपजिला चिकित्सालय करीब 200 से अधिक गांवों के बीच आता है. यहां हर रोज 300 से 400 मरीज इलाज के लिए आते हैं. शहर के मध्य से मेगा हाइवे भी गुजर रहा है. जिस पर आए दिन हादसे होते हैं. यहां घायल हुए लोगों को उपजिला अस्पताल लाया जाता है, लेकिन पर्याप्त संसाधनों के अभाव के चलते घायल मरीजों को रेफर करना पड़ता है.