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शक्तिपीठ चंडी स्थान जहां गिरा था मां सती का गाल, नवरात्रि में माता के दरबार में दूर-दूर से पहुंचते हैं श्रद्धालु - Navratri 2024

SHAKTIPEETH CHANDI STHAN: बगहा में शक्तिपीठ चंडी देवी में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. मान्यता है की यहां मां सती के गाल गिरे थे.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : 2 hours ago

SHAKTIPEETH CHANDI STHAN
बगहा का शक्तिपीठ (ETV Bharat)

बगहा: बिहार के बगहा में तीन शक्तिपीठ स्थित हैं. जिसमें मदनपुर माता स्थान, नर देवी स्थान और चंडी स्थान शामिल है. इन तीनों स्थलों पर नवरात्रि के समय में नेपाल, बिहार और यूपी के भक्तों का तांता लगा रहता है. भक्त यहां पहुंचकर पूजा अर्चना करते हैं और अपनी मन्नतें मांगते हैं. कहा जाता है कि सच्चे मन से मांगी हुई भक्तों की मनोकामनाएं जरूर पूरी होती है.

यहां गिरा था मां सती का गाल: बगहा नगर के मलपुरवा में गंडक नदी के ठीक किनारे अवस्थित सिद्धपीठ चंडी स्थान के बारे में कहा जाता है कि यहां मां सती का गाल गिरा था. इसका वर्णन चंपारण गजट में भी मिलता है. मंदिर के पुजारी पंडित सुरेंद्र नाथ तिवारी बताते हैं कि यह स्थान पहले बगहा नगर के गंडक नदी के किनारे रतनमाला रेता में अवस्थित था. जहां मां अस्थि रूप में विराजमान थी लेकिन 1919 में गंडक नदी में बाढ़ आई और कटाव में माता का यह स्थान भी कट गया.

SHAKTIPEETH CHANDI STHAN
महारानी जानकी कुंवर ने की स्थापना (ETV Bharat)

100 साल से भी ज्यादा पुराना है मंदिर: बेतिया राज की महारानी को स्वप्न आया और उसके बाद महारानी जानकी कुंवर ने बनारस से पंडितों को बुलाकर इस स्वप्न के बारे में पूरी जानकारी साझा की. इसके बाद महारानी स्वयं उस स्थल पर पहुंची जहां नदी के पानी का रंग लाल हो गया था. इसके बाद महारानी ने डोली मंगाकर विधि पूर्वक पूजा के बाद माता के आसन को डोली में रखवाया. इस बीच वहां से बाजे-गाजे के साथ डोली बेतिया के लिए निकली. जब माता की डोली रतनमाला से मूलपुरवा पहुंची तब डोली का वजन काफी बढ़ गया और यहीं पर माता को पिंडी रूप में स्थापित किया गया. महारानी ने 1920 में यहां मंदिर का निर्माण करवाया.

दुर्गा सप्तशती में है जिक्र: पुजारी बताते हैं की राजा दक्ष के यहां से माता के जले शरीर को जब भगवान शिव कंधे पर लेकर हिमालय की ओर जा रहे थे. तब पूरी सृष्टि को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र का प्रयोग किया. जिस कारण मां सती का गाल यहां पर कटकर गिर गया. इस कथा का जिक्र दुर्गा सप्तशती में भी पढ़ने को मिलता है. स्थानीय लोग बताते हैं कि इस मंदिर में कई चमत्कार ऐसे हुए हैं जिनपर किसी को सहज विश्वास नहीं होगा.

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माता के नौ रूपों की होती है पूजा (ETV Bharat)

"भगवान शिव जब मां सती के शरीर को कंधे पर लेकर हिमालय की ओर जा रहे थे. तभी पूरी सृष्टि को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र का इस्तेमाल किया. जिससे मां सती का गाल यहां पर कटकर गिर गया."-पंडित सुरेंद्र नाथ तिवारी, मंदिर के पुजारी

मंदिर में कई चमत्कार का दावा: लोगों के मुताबिक एक बार कुछ असामाजिक तत्व के लोगों ने देर रात मंदिर का दरवाजा खोल दिया, नतीजतन मंदिर के अंदर आग लग गई थी. फिर पुजारियों ने लोगों के साथ मिलकर मां की प्रार्थना की तो अग्नि माता शांत हुई. अगली सुबह मंदिर के अंदर लोग गए तो कुछ भी जला हुआ नहीं था. इसके बाद से ही रात 10 बजे से लेकर सुबह 3 बजे तक मां का कपाट बंद रहता है. एक बार चोरों ने मंदिर से चोरी की और चोरी का सामान लेकर बढ़ने लगे तब उनको दिखाई देना ही बंद हो गया.

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नवरात्रि में उमड़ती है भक्तों की भीड़ (ETV Bharat)

"इस चंडी स्थान की बहुत महिमा है. बगहा में तीन शक्तिपीठ हैं जिसमें मदनपुर स्थान, नर देवी और चंडी स्थान शामिल है. चंडी स्थान में मां सती का गाल गिरा था. यहीं वजह है कि यहां दूर-दूर से लोग प्रतिदिन पूजा अर्चना करने आते हैं." -राजकुमारी देवी, श्रद्धालु

पढ़ें-शारदीय नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त और 9 दिनों का महत्व - Navaratri 2024

बगहा: बिहार के बगहा में तीन शक्तिपीठ स्थित हैं. जिसमें मदनपुर माता स्थान, नर देवी स्थान और चंडी स्थान शामिल है. इन तीनों स्थलों पर नवरात्रि के समय में नेपाल, बिहार और यूपी के भक्तों का तांता लगा रहता है. भक्त यहां पहुंचकर पूजा अर्चना करते हैं और अपनी मन्नतें मांगते हैं. कहा जाता है कि सच्चे मन से मांगी हुई भक्तों की मनोकामनाएं जरूर पूरी होती है.

यहां गिरा था मां सती का गाल: बगहा नगर के मलपुरवा में गंडक नदी के ठीक किनारे अवस्थित सिद्धपीठ चंडी स्थान के बारे में कहा जाता है कि यहां मां सती का गाल गिरा था. इसका वर्णन चंपारण गजट में भी मिलता है. मंदिर के पुजारी पंडित सुरेंद्र नाथ तिवारी बताते हैं कि यह स्थान पहले बगहा नगर के गंडक नदी के किनारे रतनमाला रेता में अवस्थित था. जहां मां अस्थि रूप में विराजमान थी लेकिन 1919 में गंडक नदी में बाढ़ आई और कटाव में माता का यह स्थान भी कट गया.

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महारानी जानकी कुंवर ने की स्थापना (ETV Bharat)

100 साल से भी ज्यादा पुराना है मंदिर: बेतिया राज की महारानी को स्वप्न आया और उसके बाद महारानी जानकी कुंवर ने बनारस से पंडितों को बुलाकर इस स्वप्न के बारे में पूरी जानकारी साझा की. इसके बाद महारानी स्वयं उस स्थल पर पहुंची जहां नदी के पानी का रंग लाल हो गया था. इसके बाद महारानी ने डोली मंगाकर विधि पूर्वक पूजा के बाद माता के आसन को डोली में रखवाया. इस बीच वहां से बाजे-गाजे के साथ डोली बेतिया के लिए निकली. जब माता की डोली रतनमाला से मूलपुरवा पहुंची तब डोली का वजन काफी बढ़ गया और यहीं पर माता को पिंडी रूप में स्थापित किया गया. महारानी ने 1920 में यहां मंदिर का निर्माण करवाया.

दुर्गा सप्तशती में है जिक्र: पुजारी बताते हैं की राजा दक्ष के यहां से माता के जले शरीर को जब भगवान शिव कंधे पर लेकर हिमालय की ओर जा रहे थे. तब पूरी सृष्टि को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र का प्रयोग किया. जिस कारण मां सती का गाल यहां पर कटकर गिर गया. इस कथा का जिक्र दुर्गा सप्तशती में भी पढ़ने को मिलता है. स्थानीय लोग बताते हैं कि इस मंदिर में कई चमत्कार ऐसे हुए हैं जिनपर किसी को सहज विश्वास नहीं होगा.

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माता के नौ रूपों की होती है पूजा (ETV Bharat)

"भगवान शिव जब मां सती के शरीर को कंधे पर लेकर हिमालय की ओर जा रहे थे. तभी पूरी सृष्टि को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र का इस्तेमाल किया. जिससे मां सती का गाल यहां पर कटकर गिर गया."-पंडित सुरेंद्र नाथ तिवारी, मंदिर के पुजारी

मंदिर में कई चमत्कार का दावा: लोगों के मुताबिक एक बार कुछ असामाजिक तत्व के लोगों ने देर रात मंदिर का दरवाजा खोल दिया, नतीजतन मंदिर के अंदर आग लग गई थी. फिर पुजारियों ने लोगों के साथ मिलकर मां की प्रार्थना की तो अग्नि माता शांत हुई. अगली सुबह मंदिर के अंदर लोग गए तो कुछ भी जला हुआ नहीं था. इसके बाद से ही रात 10 बजे से लेकर सुबह 3 बजे तक मां का कपाट बंद रहता है. एक बार चोरों ने मंदिर से चोरी की और चोरी का सामान लेकर बढ़ने लगे तब उनको दिखाई देना ही बंद हो गया.

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नवरात्रि में उमड़ती है भक्तों की भीड़ (ETV Bharat)

"इस चंडी स्थान की बहुत महिमा है. बगहा में तीन शक्तिपीठ हैं जिसमें मदनपुर स्थान, नर देवी और चंडी स्थान शामिल है. चंडी स्थान में मां सती का गाल गिरा था. यहीं वजह है कि यहां दूर-दूर से लोग प्रतिदिन पूजा अर्चना करने आते हैं." -राजकुमारी देवी, श्रद्धालु

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