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यहां गिरी थी माता सती के पैर की उंगली, कलयुग में जमवाय माता के नाम से होती है पूजा

नवरात्रि के 7वें दिन दर्शन कीजिए जयपुर में स्थित शक्तिपीठ जमवाय माता का. पढ़िए क्या है इतिहास..

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 2 hours ago

जमवाय माता मंदिर
जमवाय माता मंदिर (ETV Bharat Jaipur)
यहां गिरी थी माता सती के पैर की उंगली (ETV Bharat Jaipur)

जयपुर : प्राचीन जमवाय माता मंदिर का इतिहास काफी रोचक है. जमवाय माता मंदिर जयपुर के जमवारामगढ़ बांध के पास अरावली की पहाड़ी की तलहती पर स्थित है. जमवाय माता मंदिर का इतिहास काफी पुराना है. राजा दूल्हराय ने जमवाय माता मंदिर का निर्माण करवाया था. देश भर से कछवाह वंश के लोग माता की पूजा करने जमवारामगढ़ आते हैं. नवरात्रों में माता के दरबार में काफी संख्या में लोग पहुंचते हैं. माता की विशेष पूजा अर्चना की जाती है.

माता सती के पैर की उंगली कट कर गिरी : जमवाय माता के पुजारी राजेश कुमार वशिष्ठ ने बताया कि जमवाय माता जयपुर जिले के जमवारामगढ़ में बांध के पास स्थित है. जमवाय माता का मंदिर काफी प्राचीन है और इतिहास से जुड़ा हुआ है. पौराणिक दृष्टि से देखा जाए तो माता सती के पैर की उंगली कट कर यहां गिरी थी और यहां शक्तिपीठ बना. अंबिका रूप में जमवाय माता यहां प्रकट हुईं. माता का इतिहास ढूंढाड़ प्रदेश में राज करने वाले कछवाह वंश से जुड़ा हुआ है. मान्यता है कि कछवाह प्रभु श्री राम के बड़े पुत्र के वंशज हैं. जमवाय माता कछवाह वंशज की कुलदेवी भी हैं. ग्वालियर में कछवाह शासनरत थे. कछवाह ढूंढाड़ प्रदेश के दौसा में आए और अपना शासन स्थापित किया. कछवाह राजाओं ने अपने शासन के विस्तार के लिए अनेक युद्ध किए.

जमवाय माता
जमवाय माता (ETV Bharat Jaipur)

पढ़ें. रोचक है अलवर के वैष्णोदेवी मंदिर के निर्माण की कहानी, जानें क्यों सिर्फ नवरात्रि में खुलती है ये गुफा

मंदिर परिसर में शिव और भैरव का भी स्थान: किंवदंती है कि जमवाय माता मंदिर की स्थापना से पहले जमवारामगढ़ में मीणाओं का शासन था. 11वीं सदी के अंत में राजा दूल्हराय का मीणाओं से युद्ध हुआ था. युद्ध में राजा दूल्हराय घायल होकर रण क्षेत्र में गिर गए थे. तब बुढ़वाय माता प्रकट हुईं और गाय के दूध की वर्षा करके राजा को स्वस्थ कर दिया. माता ने राजा से कहा कि इस जगह पर मेरा मंदिर बनवाना. कलयुग में मुझे जमवाय माता के नाम से पूजा जाएगा. इसके बाद राजा का फिर से मीणाओं से युद्ध हुआ. माता के आशीर्वाद से राजा युद्ध में विजयी हो गए. जिस जगह पर माता ने राजा को दर्शन दिए थे, वहीं पर जमवाय माता का मंदिर बनवाया गया. जमवाय माता की प्रतिमा की दाहिनी ओर धेनु और बछड़े की प्रतिमा है. बायीं तरफ बुढ़वाय माता की प्रतिमा स्थापित है, मंदिर परिसर में शिव और भैरव का भी स्थान है.

अरावली की पहाड़ी की तलहती पर स्थित मंदिर
अरावली की पहाड़ी की तलहती पर स्थित मंदिर (ETV Bharat Jaipur)

लोक शक्ति पीठ के रूप में प्रतिष्ठित हैं माता : पुजारी राजेश कुमार वशिष्ठ ने बताया कि जमवाय माता के मंदिर को लेकर मान्यता है कि जमवाय माता कछवाह वंश की कुलदेवी हैं. कछवाह वंश के शेखावत, नाथावत, राजावत, नरूका समेत सभी माताजी के स्थान पर आते हैं. जब भी परिवार में किसी बालक का जन्म होता है, तो यहां पर धोक लगाने के लिए आते हैं. बालकों का मुंडन संस्कार भी यहां करवाया जाता है. विवाह होने पर भी नव विवाहित जोड़े जमवाय माता के धोक लगाने के लिए आते हैं. जयपुर राज परिवार में भी यह परंपरा रही है. क्षत्रिय समाज के अलावा अन्य जातियों और समाज के लोग भी जमवाय माता के धोक लगाने के लिए आते हैं. राजस्थान के अलावा अन्य प्रदेशों से भी लोग अपनी मनोकामनाएं लेकर माता के दरबार में आते हैं. माता लोक शक्ति पीठ के रूप में प्रतिष्ठित हैं.

दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं लोग
दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं लोग (ETV Bharat Jaipur)

पढ़ें. यहां माता के घुटनों की होती है पूजा, खीर-पूरी और मांस-मदिरा का भी लगता है भोग - Navratri 2024

माता के बाद श्री रघुनाथ जी मंदिर में दर्शन : नवरात्रों में जमवाय माता मंदिर में विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं. सुबह से लेकर शाम तक काफी संख्या में भक्त माता के दरबार पहुंच रहे हैं. नवरात्रों में जमवाय माता मंदिर में काफी दूर-दूर से भक्त पहुंचते हैं. नवरात्रों के दौरान मंदिर में काफी भीड़ रहती है. कोई हाथों में ध्वज लेकर तो कोई पद यात्रा लेकर माता के दरबार में पहुंचते हैं. अपनी मनोकामनाएं लिए लोग दंडवत करते हुए भी माता के धोक लगाने पहुंचते हैं. जमवाय माता मंदिर के सामने ही श्री रघुनाथ जी का मंदिर है, जहां पर भगवान श्री राम की प्रतिमा विराजमान है. जमवाय माता और श्री रघुनाथ जी मंदिर के पुजारी घनश्याम शर्मा ने बताया कि कच्छवाह वंश भगवान श्री राम के ही वंशज हैं. जमवाय माता के आने वाले भक्त जमवाय माता के दर्शन करके श्री रघुनाथ जी मंदिर में दर्शन करते हैं

यहां गिरी थी माता सती के पैर की उंगली (ETV Bharat Jaipur)

जयपुर : प्राचीन जमवाय माता मंदिर का इतिहास काफी रोचक है. जमवाय माता मंदिर जयपुर के जमवारामगढ़ बांध के पास अरावली की पहाड़ी की तलहती पर स्थित है. जमवाय माता मंदिर का इतिहास काफी पुराना है. राजा दूल्हराय ने जमवाय माता मंदिर का निर्माण करवाया था. देश भर से कछवाह वंश के लोग माता की पूजा करने जमवारामगढ़ आते हैं. नवरात्रों में माता के दरबार में काफी संख्या में लोग पहुंचते हैं. माता की विशेष पूजा अर्चना की जाती है.

माता सती के पैर की उंगली कट कर गिरी : जमवाय माता के पुजारी राजेश कुमार वशिष्ठ ने बताया कि जमवाय माता जयपुर जिले के जमवारामगढ़ में बांध के पास स्थित है. जमवाय माता का मंदिर काफी प्राचीन है और इतिहास से जुड़ा हुआ है. पौराणिक दृष्टि से देखा जाए तो माता सती के पैर की उंगली कट कर यहां गिरी थी और यहां शक्तिपीठ बना. अंबिका रूप में जमवाय माता यहां प्रकट हुईं. माता का इतिहास ढूंढाड़ प्रदेश में राज करने वाले कछवाह वंश से जुड़ा हुआ है. मान्यता है कि कछवाह प्रभु श्री राम के बड़े पुत्र के वंशज हैं. जमवाय माता कछवाह वंशज की कुलदेवी भी हैं. ग्वालियर में कछवाह शासनरत थे. कछवाह ढूंढाड़ प्रदेश के दौसा में आए और अपना शासन स्थापित किया. कछवाह राजाओं ने अपने शासन के विस्तार के लिए अनेक युद्ध किए.

जमवाय माता
जमवाय माता (ETV Bharat Jaipur)

पढ़ें. रोचक है अलवर के वैष्णोदेवी मंदिर के निर्माण की कहानी, जानें क्यों सिर्फ नवरात्रि में खुलती है ये गुफा

मंदिर परिसर में शिव और भैरव का भी स्थान: किंवदंती है कि जमवाय माता मंदिर की स्थापना से पहले जमवारामगढ़ में मीणाओं का शासन था. 11वीं सदी के अंत में राजा दूल्हराय का मीणाओं से युद्ध हुआ था. युद्ध में राजा दूल्हराय घायल होकर रण क्षेत्र में गिर गए थे. तब बुढ़वाय माता प्रकट हुईं और गाय के दूध की वर्षा करके राजा को स्वस्थ कर दिया. माता ने राजा से कहा कि इस जगह पर मेरा मंदिर बनवाना. कलयुग में मुझे जमवाय माता के नाम से पूजा जाएगा. इसके बाद राजा का फिर से मीणाओं से युद्ध हुआ. माता के आशीर्वाद से राजा युद्ध में विजयी हो गए. जिस जगह पर माता ने राजा को दर्शन दिए थे, वहीं पर जमवाय माता का मंदिर बनवाया गया. जमवाय माता की प्रतिमा की दाहिनी ओर धेनु और बछड़े की प्रतिमा है. बायीं तरफ बुढ़वाय माता की प्रतिमा स्थापित है, मंदिर परिसर में शिव और भैरव का भी स्थान है.

अरावली की पहाड़ी की तलहती पर स्थित मंदिर
अरावली की पहाड़ी की तलहती पर स्थित मंदिर (ETV Bharat Jaipur)

लोक शक्ति पीठ के रूप में प्रतिष्ठित हैं माता : पुजारी राजेश कुमार वशिष्ठ ने बताया कि जमवाय माता के मंदिर को लेकर मान्यता है कि जमवाय माता कछवाह वंश की कुलदेवी हैं. कछवाह वंश के शेखावत, नाथावत, राजावत, नरूका समेत सभी माताजी के स्थान पर आते हैं. जब भी परिवार में किसी बालक का जन्म होता है, तो यहां पर धोक लगाने के लिए आते हैं. बालकों का मुंडन संस्कार भी यहां करवाया जाता है. विवाह होने पर भी नव विवाहित जोड़े जमवाय माता के धोक लगाने के लिए आते हैं. जयपुर राज परिवार में भी यह परंपरा रही है. क्षत्रिय समाज के अलावा अन्य जातियों और समाज के लोग भी जमवाय माता के धोक लगाने के लिए आते हैं. राजस्थान के अलावा अन्य प्रदेशों से भी लोग अपनी मनोकामनाएं लेकर माता के दरबार में आते हैं. माता लोक शक्ति पीठ के रूप में प्रतिष्ठित हैं.

दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं लोग
दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं लोग (ETV Bharat Jaipur)

पढ़ें. यहां माता के घुटनों की होती है पूजा, खीर-पूरी और मांस-मदिरा का भी लगता है भोग - Navratri 2024

माता के बाद श्री रघुनाथ जी मंदिर में दर्शन : नवरात्रों में जमवाय माता मंदिर में विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं. सुबह से लेकर शाम तक काफी संख्या में भक्त माता के दरबार पहुंच रहे हैं. नवरात्रों में जमवाय माता मंदिर में काफी दूर-दूर से भक्त पहुंचते हैं. नवरात्रों के दौरान मंदिर में काफी भीड़ रहती है. कोई हाथों में ध्वज लेकर तो कोई पद यात्रा लेकर माता के दरबार में पहुंचते हैं. अपनी मनोकामनाएं लिए लोग दंडवत करते हुए भी माता के धोक लगाने पहुंचते हैं. जमवाय माता मंदिर के सामने ही श्री रघुनाथ जी का मंदिर है, जहां पर भगवान श्री राम की प्रतिमा विराजमान है. जमवाय माता और श्री रघुनाथ जी मंदिर के पुजारी घनश्याम शर्मा ने बताया कि कच्छवाह वंश भगवान श्री राम के ही वंशज हैं. जमवाय माता के आने वाले भक्त जमवाय माता के दर्शन करके श्री रघुनाथ जी मंदिर में दर्शन करते हैं

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