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हिमाचल के डिपुओं में पहली बार मिलेगा ऑर्गेनिक मक्की का आटा, इतने किलो की पैकिंग में होगा उपलब्ध

हिमाचल के डिपुओं में पहली बार बिना कीटनाशकों और रसायनों से तैयार की गई मक्की का आटा मिलेगा.

NATURAL FARMING MAIZE FLOUR
डिपुओं में मिलेगा मक्की का आटा (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 2 hours ago

शिमला: हिमाचल में पढ़े लिखे युवा खेती बाड़ी और बागवानी से किनारा कर रोजगार की तलाश में शहरों की तरफ रुख कर रहे हैं. जिसका असर प्रदेश में फसलों के उत्पादन पर पड़ने लगा है. ऐसे में युवाओं के पलायन को रोकने और फिर से खेती बाड़ी के पेशे से जोड़ने के लिए सुक्खू सरकार ने अहम फैसला लिया है. ग्रामीणों की आर्थिकी मजबूत करने के लिए सुक्खू सरकार प्राकृतिक खेती से तैयार पारंपरिक फसलों को किसानों से महंगे भाव में खरीदने की योजना लेकर आई है.

25 अक्टूबर से मक्की की खरीद शुरू

इस योजना के तहत सरकार पहली बार किसानों से प्राकृतिक खेती से तैयार मक्की की फसल को 30 रुपए प्रति किलो के हिसाब से खरीद रही है. जिसके लिए प्रदेशभर में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत 25 अक्तूबर से मक्की को खरीदने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. ऐसे में प्राकृतिक खेती से तैयार मक्की की खपत बढ़ाने के लिए सरकार ने डिपुओं में मक्की का आटा बेचने की योजना तैयार की है. इसके तहत हिमाचल के डिपुओं में पहली बार बिना कीटनाशकों और रसायनों से तैयार की गई मक्की का आटा मिलेगा. प्रदेश की सुक्खू सरकार का ये कदम स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और लोगों को स्वस्थ आहार उपलब्ध कराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण है.

NATURAL FARMING MAIZE FLOUR
प्राकृतिक खेती से तैयार मक्की की फसल (ETV Bharat)

इतनी किलो पैकिंग में उपलब्ध होगा आटा

हिमाचल के डिपुओं में पहली बार उपभोक्ताओं को प्राकृतिक खेती से तैयार की गई मक्की का आटा मिलेगा. ये मक्की का आटा एक किलो और पांच किलो की पैकिंग में उपलब्ध होगा. जिसके लिए खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग ने फ्लोर मिलों से मक्की की पिसाई को लेकर भी बात कर ली है. ऐसे में जल्द मक्की की पिसाई के बाद आटा उचित मूल्यों की दुकानों में बेचने के लिए उपलब्ध होगा. खासकर शहरी क्षेत्रों में सदियों के मौसम में मक्की के आटे की काफी अधिक मांग रहती है. बता दें कि ऑर्गेनिक मक्की का आटा उच्च गुणवत्ता से भरपूर होता है. जिसमें कीटनाशकों और रसायनों का प्रयोग नहीं किया जाता है. डिपुओं में इसे उपलब्ध कराने से आम जनता तक इसकी पहुंच बढ़ेगी और उन्हें एक पोषक और प्राकृतिक आहार विकल्प मिलेगा. मक्की के आटे में फाइबर, प्रोटीन और कई महत्वपूर्ण विटामिन होते हैं, जो सेहत के लिए फायदेमंद हैं. खासकर सर्दियों में मक्की की रोटी खाने से शरीर को गर्मी मिलती है.

अभी तक 20 रुपए किलो बिकती है मक्की

हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती से तैयार की जाने वाली मक्की को सरकार पहली 30 रुपए किलो के हिसाब से खरीद रही है. यानी प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत अब किसानों की मक्की की फसल 3 हजार प्रति क्विंटल बिक रही है. वहीं, किसानों को रासायनिक खेती के जरिए तैयार मक्की का भाव 20 रुपए प्रति किलो मिल रहा है. इस तरह से देश में मक्की पर दिया जाने वाला यह सबसे अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य है. प्रति किसान से अधिकतम 20 क्विंटल मक्की खरीदी जाएगी. जिसके बाद मक्की की पिसाई कर लोगों को डिपुओं में पैकिंग में मक्की का आटा उपलब्ध कराया जाएगा, ताकि भविष्य में मक्की की खपत बढ़ने से किसानों से ज्यादा फसल खरीदी जा सके. इससे किसानों की आर्थिक मजबूत होगी.

3218 प्रमाणित किसान चयनित

इसके लिए प्रदेश भर में प्राकृतिक खेती करने वाले 3,218 प्रमाणित किसान चयनित किए गए हैं. बता दें कि इस साल लाहौल-स्पीति और किन्नौर के अलावा अन्य 10 जिलों में प्राकृतिक खेती से 13.304 हेक्टेयर भूमि पर 27,768 मीट्रिक टन मक्की तैयार की गई है. इसमें से 508 मीट्रिक टन अतिरिक्त मक्की सरकार किसानों से खरीदेगी. इस सीजन में 92,516 किसानों ने प्राकृतिक खेती से मक्की की फसल तैयार की है. जिसमें खरीद के लिए विभाग ने 3,218 किसान चयनित किए हैं.

प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के उप निदेशक डॉ. मोहिंद्र सिंह भवानी ने बताया, "25 अक्टूबर से मक्की की खरीद शुरू हो गई है. अब लोगों को ऑर्गेनिक मक्की का आटा उपलब्ध हो सके, इसके सरकार ने मक्की की पिसाई के लिए आटा पीसने वाली फ्लोर मिलों से भी बात की है."

ये भी पढ़ें: हिमाचल में प्राकृतिक खेती उत्पादों के समर्थन मूल्य की घोषणा, मक्के की एमएसपी ₹3000 प्रति क्विंटल

ये भी पढ़ें: हिमाचल में मक्की की फसल किसानों को करेगी मालामाल

ये भी पढ़ें: प्राकृतिक खेती से तैयार फसल को बढ़ावा दे रही सुक्खू सरकार, मंडी के 431 किसानों से खरीदेगी 65 मीट्रिक टन मक्की

शिमला: हिमाचल में पढ़े लिखे युवा खेती बाड़ी और बागवानी से किनारा कर रोजगार की तलाश में शहरों की तरफ रुख कर रहे हैं. जिसका असर प्रदेश में फसलों के उत्पादन पर पड़ने लगा है. ऐसे में युवाओं के पलायन को रोकने और फिर से खेती बाड़ी के पेशे से जोड़ने के लिए सुक्खू सरकार ने अहम फैसला लिया है. ग्रामीणों की आर्थिकी मजबूत करने के लिए सुक्खू सरकार प्राकृतिक खेती से तैयार पारंपरिक फसलों को किसानों से महंगे भाव में खरीदने की योजना लेकर आई है.

25 अक्टूबर से मक्की की खरीद शुरू

इस योजना के तहत सरकार पहली बार किसानों से प्राकृतिक खेती से तैयार मक्की की फसल को 30 रुपए प्रति किलो के हिसाब से खरीद रही है. जिसके लिए प्रदेशभर में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत 25 अक्तूबर से मक्की को खरीदने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. ऐसे में प्राकृतिक खेती से तैयार मक्की की खपत बढ़ाने के लिए सरकार ने डिपुओं में मक्की का आटा बेचने की योजना तैयार की है. इसके तहत हिमाचल के डिपुओं में पहली बार बिना कीटनाशकों और रसायनों से तैयार की गई मक्की का आटा मिलेगा. प्रदेश की सुक्खू सरकार का ये कदम स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और लोगों को स्वस्थ आहार उपलब्ध कराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण है.

NATURAL FARMING MAIZE FLOUR
प्राकृतिक खेती से तैयार मक्की की फसल (ETV Bharat)

इतनी किलो पैकिंग में उपलब्ध होगा आटा

हिमाचल के डिपुओं में पहली बार उपभोक्ताओं को प्राकृतिक खेती से तैयार की गई मक्की का आटा मिलेगा. ये मक्की का आटा एक किलो और पांच किलो की पैकिंग में उपलब्ध होगा. जिसके लिए खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग ने फ्लोर मिलों से मक्की की पिसाई को लेकर भी बात कर ली है. ऐसे में जल्द मक्की की पिसाई के बाद आटा उचित मूल्यों की दुकानों में बेचने के लिए उपलब्ध होगा. खासकर शहरी क्षेत्रों में सदियों के मौसम में मक्की के आटे की काफी अधिक मांग रहती है. बता दें कि ऑर्गेनिक मक्की का आटा उच्च गुणवत्ता से भरपूर होता है. जिसमें कीटनाशकों और रसायनों का प्रयोग नहीं किया जाता है. डिपुओं में इसे उपलब्ध कराने से आम जनता तक इसकी पहुंच बढ़ेगी और उन्हें एक पोषक और प्राकृतिक आहार विकल्प मिलेगा. मक्की के आटे में फाइबर, प्रोटीन और कई महत्वपूर्ण विटामिन होते हैं, जो सेहत के लिए फायदेमंद हैं. खासकर सर्दियों में मक्की की रोटी खाने से शरीर को गर्मी मिलती है.

अभी तक 20 रुपए किलो बिकती है मक्की

हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती से तैयार की जाने वाली मक्की को सरकार पहली 30 रुपए किलो के हिसाब से खरीद रही है. यानी प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत अब किसानों की मक्की की फसल 3 हजार प्रति क्विंटल बिक रही है. वहीं, किसानों को रासायनिक खेती के जरिए तैयार मक्की का भाव 20 रुपए प्रति किलो मिल रहा है. इस तरह से देश में मक्की पर दिया जाने वाला यह सबसे अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य है. प्रति किसान से अधिकतम 20 क्विंटल मक्की खरीदी जाएगी. जिसके बाद मक्की की पिसाई कर लोगों को डिपुओं में पैकिंग में मक्की का आटा उपलब्ध कराया जाएगा, ताकि भविष्य में मक्की की खपत बढ़ने से किसानों से ज्यादा फसल खरीदी जा सके. इससे किसानों की आर्थिक मजबूत होगी.

3218 प्रमाणित किसान चयनित

इसके लिए प्रदेश भर में प्राकृतिक खेती करने वाले 3,218 प्रमाणित किसान चयनित किए गए हैं. बता दें कि इस साल लाहौल-स्पीति और किन्नौर के अलावा अन्य 10 जिलों में प्राकृतिक खेती से 13.304 हेक्टेयर भूमि पर 27,768 मीट्रिक टन मक्की तैयार की गई है. इसमें से 508 मीट्रिक टन अतिरिक्त मक्की सरकार किसानों से खरीदेगी. इस सीजन में 92,516 किसानों ने प्राकृतिक खेती से मक्की की फसल तैयार की है. जिसमें खरीद के लिए विभाग ने 3,218 किसान चयनित किए हैं.

प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के उप निदेशक डॉ. मोहिंद्र सिंह भवानी ने बताया, "25 अक्टूबर से मक्की की खरीद शुरू हो गई है. अब लोगों को ऑर्गेनिक मक्की का आटा उपलब्ध हो सके, इसके सरकार ने मक्की की पिसाई के लिए आटा पीसने वाली फ्लोर मिलों से भी बात की है."

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