रांची:स्वाधीनता आंदोलन में राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाने वाला खादी आज देश-दुनिया में लोकप्रिय हो चुका है.रोजगार और स्वदेशी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राष्ट्रपिता बापू का यह हथियार हमेशा जीवंत बना रहे इसी उद्देश्य के साथ राजधानी रांची के मोरहाबादी मैदान में शुक्रवार 20 दिसंबर से राष्ट्रीय खादी व सरस महोत्सव का आगाज हुआ. 6 जनवरी तक चलने वाले इस महोत्सव की शुरुआत मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति में उद्योग मंत्री संजय प्रसाद यादव और ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने किया. इस मौके पर उद्योग सचिव जितेंद्र कुमार सिंह और खादी बोर्ड की सीईओ सुमन पाठक ने आगंतुक अतिथियों का स्वागत करते हुए इस महोत्सव की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला.
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17 दिवसीय खादी महोत्सव का उद्घाटन करते हुए ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने कहा कि खादी से रोजगार की असीम संभावनाएं हैं. यही वजह है कि जिस खादी की शुरुआत राष्ट्रपिता ने की थी वह हमेशा लोगों के लिए उपयोगी बना रहेगा.वहीं इस मौके पर उद्योग मंत्री संजय प्रसाद यादव ने कहा कि खादी को बढ़ावा देकर पलायन को रोका जा सकता है. झारखंड की सबसे बड़ी समस्या पलायन है. सरकार उद्योग को बढ़ावा देकर अपने ही राज्य में लोगों को रोजगार देने का काम करने में जुटी है. वहीं खादी महोत्सव के उद्घाटन पर रांची विधायक सीपी सिंह ने खादी की उपयोगिता बताते हुए कहा कि यह एक ऐसा वस्त्र है, जो हर मौसम में पहना जाता है. इसकी खासियत यह है कि मौसम के अनुकूल यह शरीर को लाभ पहुंचाता है.
साबरमती आश्रम बना आकर्षण का केंद्र
झारखंड सरकार के उद्योग विभाग और ग्रामीण विकास विभाग के संयुक्त प्रयास से झारखंड राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा आयोजित इस राष्ट्रीय खादी एवं सरस महोत्सव 2024-25 में 485 स्टॉल लगाए गए हैं. जिसमें विभिन्न राज्यों से खादी के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था और उसके द्वारा निर्मित सामानों को प्रदर्शित किया गया है.
राष्ट्रीय खादी मेला में साबरमती आश्रम खास आकर्षण का केंद्र है. यहां राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा के साथ जीवंत प्रदर्शनी लगाई गई है. इसके अलावा सरस मेला में फूड स्टॉल, राज सरकार के विभिन्न विभागों के द्वारा स्टॉल और प्रदर्शनी लगाई गई है. साथ ही बच्चों के लिए विभिन्न प्रकार के झूले और खादी वस्त्रों की एक से बढ़कर एक वेराइटी लगाई गई है.
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