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राष्ट्रीय मिर्गी दिवस: भूत प्रेत नहीं बीमारी का उपचार करें, बच सकती है जान

मिर्गी को भूत प्रेत और ऊपरी जादू टोना से न जोड़कर समय रहते इलाज करने जान बच सकती है. इन बातों का ध्यान रखिये.

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राष्ट्रीय मिर्गी दिवस (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 2 hours ago

Updated : 1 hours ago

मेरठ: 17 नवंबर को राष्ट्रीय मिर्गी दिवस के तौर पर मनाया जाता है, देश में ऐसे मरीजों की संख्या काफी है. कुछ लोग इस बीमारी को भूत प्रेत और ऊपरी जादू टोना तक से जोड़ने लग जाते हैं. ऐसा करने से मरीज की जान जोखिम में पड़ सकती है. अगर यह समस्या बढ़ जाती है तो जान भी जा सकती है. आइए जानते हैं कैसे इस बीमारी को पहचान सकते हैं और इसके लिए किन जरूरी बातों का ध्यान रखना जरूरी है.

न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर विनोद अरोड़ा ने बताया कि अगर इंडिया की बात की जाए तो लगभग सवा करोड़ लोग देश में ऐसे हैं जो मिर्गी की समस्या से ग्रसित हैं. यह एक बेहद ही कॉमन बीमारी है. प्रत्येक चिकित्सक को चाहे वह फिजिशियन है या फिर, सर्जन उसके लिए यह जानना बेहद ही आवश्यक है कि ये बीमारी क्या है? इसके लक्षण क्या हैं? एपिलेप्सी बीमारी की अगर बात करें तो यह दो से चार दिन के बच्चे से लेकर 70 से 75 साल तक के व्यक्ति को भी हो सकती है. इस तरह के मरीज हर उम्र में होते हैं.

वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर विनोद अरोड़ा ने दी जानकारी (ETV BHARAT)

डॉक्टर विनोद अरोड़ा बताते हैं कि मिर्गी की बीमारी को कई लोग समझना नहीं चाहते. बल्कि कई बार ऐसी समस्या होने पर लोग भूत लगना और ऊपरी चक्कर बताकर उस मरीज के इलाज में देरी करते हैं, जिसे समय रहते उपचार की आवश्यकता है. उसे सही डॉक्टर से परामर्श ना लेकर झाड़ फूंक कराते हुए घूमते हैं. यह कोई भूत प्रेत लगना नहीं बल्कि एक गंभीर बीमारी है. इसका इलाज संभव है. जिस प्रकार हाई वोल्टेज से बल्ब फ्यूज हो जाता है, ठीक वैसे ही इसे समझ सकते हैं कि ब्रेन में भी कई बार ऐसी समस्या हो सकती है, इसी को मिर्गी न कहकर कई लोग दौरा बोलते हैं, आमतौर पर जब ऐसी समस्या होती है तो अमूमन दो से चार मिनट तक इस समस्या से ग्रसित इंसान बेहोशी की हालत में रह सकता है.

इसे भी पढ़े-अंधविश्वास नहीं, इलाज से ठीक हो सकती है मिर्गी

डॉक्टर विनोद अरोड़ा ने बताया कि लगातार पांच मिनट से अधिक समय तक दौरे की स्थिति में कोई व्यक्ति रहता है तो इस स्थिति को स्टेटस एपिलेप्टीकस हो सकता है. यानी जब किसी को दौरा पड़े और बीच में होश न आए, स्टेटस एपिलेप्टिकस से पीड़ित लोगों में स्थायी मस्तिष्क क्षति और मृत्यु का जोखिम भी बढ़ जाता है. यह एक खतरनाक स्टेज है.

इसमें 25 से 30 प्रतिशत मरीज मर जाते हैं. इसके बारे में सभी को जानना और पता होना बेहद ही जरूरी है कि मरीज को क्या हो रहा है और तत्काल उपचार जरूरी है. अगर बार बार किसी को दौरे पड़ेंगे और उपचार भी नहीं करेंगे तो पेशेंट की जान जाने की संभावना अधिक हो जाती है.



ऐसे करें बचाव: अचानक बेहोशी और शरीर के अंगों में झटके आने पर इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है. मिर्गी के मरीजों को समय पर सही इलाज और दवाइयों से सामान्य जीवन जीने में मदद मिल सकती है. नियमित रूप से डॉक्टर से परामर्श लें. दवाइयों का सेवन समय पर करना चाहिए. तनाव से बचें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं. दौरे के समय घबराना नहीं चाहिए, बल्कि उचित प्राथमिक उपचार करें.


ये है कारण: उनमें सबसे पहले तनाव ठीक से नींद न पूरी होना खाना पुराना खाना शराब या नशे करना, दौरे की दवाई का नियमित समय से सेवन न करने पर भी समस्या हो सकती है. मस्तिष्क में रक्तस्राव मस्तिष्क में असामान्य रक्त वाहिकाएं, मस्तिष्क को गंभीर चोट या मस्तिष्क को ऑक्सीजन का अभाव, मस्तिष्क की रसौली, मेनिनजाइटिस या इंसेफेलाइटिस जैसे मस्तिष्क के संक्रमण धमनियों के अवरोध के कारण स्ट्रोक, सेरेब्रल पाल्सी, मानसिक दिव्यांग, सिर में चोट लगने के बाद कुछ ही दिनों के भीतर दौरे पड़ने लगना, परिवार में किसी को मिर्गी रही हो, बुखार में दौरे पढ़ते रहे हों,अल्जाइमर की बीमारी लंबे बुखार, शराब या नशेबाजी ये वह कारण हैं जो मिर्गी की समस्या के प्रभावी लक्षण हैं.

यह भी पढ़े-फर्जी डॉक्टर ने हार्ट पेशेंट का किया इलाज, मरीज की मौत के बाद खुली पोल, जानें पूरा मामला - MBBS Exam Fail Doctor

मेरठ: 17 नवंबर को राष्ट्रीय मिर्गी दिवस के तौर पर मनाया जाता है, देश में ऐसे मरीजों की संख्या काफी है. कुछ लोग इस बीमारी को भूत प्रेत और ऊपरी जादू टोना तक से जोड़ने लग जाते हैं. ऐसा करने से मरीज की जान जोखिम में पड़ सकती है. अगर यह समस्या बढ़ जाती है तो जान भी जा सकती है. आइए जानते हैं कैसे इस बीमारी को पहचान सकते हैं और इसके लिए किन जरूरी बातों का ध्यान रखना जरूरी है.

न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर विनोद अरोड़ा ने बताया कि अगर इंडिया की बात की जाए तो लगभग सवा करोड़ लोग देश में ऐसे हैं जो मिर्गी की समस्या से ग्रसित हैं. यह एक बेहद ही कॉमन बीमारी है. प्रत्येक चिकित्सक को चाहे वह फिजिशियन है या फिर, सर्जन उसके लिए यह जानना बेहद ही आवश्यक है कि ये बीमारी क्या है? इसके लक्षण क्या हैं? एपिलेप्सी बीमारी की अगर बात करें तो यह दो से चार दिन के बच्चे से लेकर 70 से 75 साल तक के व्यक्ति को भी हो सकती है. इस तरह के मरीज हर उम्र में होते हैं.

वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर विनोद अरोड़ा ने दी जानकारी (ETV BHARAT)

डॉक्टर विनोद अरोड़ा बताते हैं कि मिर्गी की बीमारी को कई लोग समझना नहीं चाहते. बल्कि कई बार ऐसी समस्या होने पर लोग भूत लगना और ऊपरी चक्कर बताकर उस मरीज के इलाज में देरी करते हैं, जिसे समय रहते उपचार की आवश्यकता है. उसे सही डॉक्टर से परामर्श ना लेकर झाड़ फूंक कराते हुए घूमते हैं. यह कोई भूत प्रेत लगना नहीं बल्कि एक गंभीर बीमारी है. इसका इलाज संभव है. जिस प्रकार हाई वोल्टेज से बल्ब फ्यूज हो जाता है, ठीक वैसे ही इसे समझ सकते हैं कि ब्रेन में भी कई बार ऐसी समस्या हो सकती है, इसी को मिर्गी न कहकर कई लोग दौरा बोलते हैं, आमतौर पर जब ऐसी समस्या होती है तो अमूमन दो से चार मिनट तक इस समस्या से ग्रसित इंसान बेहोशी की हालत में रह सकता है.

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डॉक्टर विनोद अरोड़ा ने बताया कि लगातार पांच मिनट से अधिक समय तक दौरे की स्थिति में कोई व्यक्ति रहता है तो इस स्थिति को स्टेटस एपिलेप्टीकस हो सकता है. यानी जब किसी को दौरा पड़े और बीच में होश न आए, स्टेटस एपिलेप्टिकस से पीड़ित लोगों में स्थायी मस्तिष्क क्षति और मृत्यु का जोखिम भी बढ़ जाता है. यह एक खतरनाक स्टेज है.

इसमें 25 से 30 प्रतिशत मरीज मर जाते हैं. इसके बारे में सभी को जानना और पता होना बेहद ही जरूरी है कि मरीज को क्या हो रहा है और तत्काल उपचार जरूरी है. अगर बार बार किसी को दौरे पड़ेंगे और उपचार भी नहीं करेंगे तो पेशेंट की जान जाने की संभावना अधिक हो जाती है.



ऐसे करें बचाव: अचानक बेहोशी और शरीर के अंगों में झटके आने पर इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है. मिर्गी के मरीजों को समय पर सही इलाज और दवाइयों से सामान्य जीवन जीने में मदद मिल सकती है. नियमित रूप से डॉक्टर से परामर्श लें. दवाइयों का सेवन समय पर करना चाहिए. तनाव से बचें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं. दौरे के समय घबराना नहीं चाहिए, बल्कि उचित प्राथमिक उपचार करें.


ये है कारण: उनमें सबसे पहले तनाव ठीक से नींद न पूरी होना खाना पुराना खाना शराब या नशे करना, दौरे की दवाई का नियमित समय से सेवन न करने पर भी समस्या हो सकती है. मस्तिष्क में रक्तस्राव मस्तिष्क में असामान्य रक्त वाहिकाएं, मस्तिष्क को गंभीर चोट या मस्तिष्क को ऑक्सीजन का अभाव, मस्तिष्क की रसौली, मेनिनजाइटिस या इंसेफेलाइटिस जैसे मस्तिष्क के संक्रमण धमनियों के अवरोध के कारण स्ट्रोक, सेरेब्रल पाल्सी, मानसिक दिव्यांग, सिर में चोट लगने के बाद कुछ ही दिनों के भीतर दौरे पड़ने लगना, परिवार में किसी को मिर्गी रही हो, बुखार में दौरे पढ़ते रहे हों,अल्जाइमर की बीमारी लंबे बुखार, शराब या नशेबाजी ये वह कारण हैं जो मिर्गी की समस्या के प्रभावी लक्षण हैं.

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