नर्मदापुरम। जिले की तहसील पिपरिया में 11 वर्ष पुराने गेहूं खरीदी में हुए भ्रष्टाचार के मामले में प्रथम अतिरिक्त सेशन कोर्ट ने नपाध्यक्ष पति, भाजपा नेता और विधायक प्रतिनिधि सहित 10 लोगों को 7-7 वर्ष का सश्रम कारावास की सुनाई सजा. 5-5 हजार रुपए का जुर्माना लगाया. सजा पाने वालों में शाखा प्रबंधक और तीन महिलाएं भी शामिल हैं. न्यायालय प्रथम अतिरिक्त सेशन न्यायाधीश कैलाश प्रसाद मरकाम ने वर्ष 2013 में 26 लाख 95 हजार 343 रुपए के गेहूं खरीदी घोटाले मामले में यह सजा सुनाई है.
सभी को जेल भेजा, कोर्ट के बाहर भीड़
गेहूं खरीदी घोटाला मामले में न्यायाधीश द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद ही कोर्ट परिसर के बाहर भीड़ लग गई. सजा पाने वालों में भाजपा नेताओं के शामिल होने की सूचना के साथ कई वरिष्ठ भाजपा नेता भी कोर्ट पहुंच गए. लेकिन फैसले के बाद सभी दोषियों को जेल भेज दिया गया. शासन की ओर से पैरवी करने वाले अपर लोक अभियोजक सुनील कुमार चौधरी ने बताया "15 जून 2013 को विपणन सहकारी समिति मर्यादित पिपरिया द्वारा 1 लाख 4 हजार 34 क्विंटल से अधिक गेहूं उपार्जित किया गया था. लेकिन निगम को 1416.19 क्विंटल गेहूं कम मिला था. वहीं 1628.86 क्विंटल गेहूं अमानक और परिवहन के दौरान 185.02 क्विंटल गेहूं की कमी पाई गई."
यहां पढ़ें... बहुचर्चित हनी ट्रैप मामले में भोपाल कोर्ट का बड़ा फैसला, इस वजह से बरी हुए तीन आरोपी व्यापम घोटाला मामले में 10 साल बाद फैसला, भोपाल कोर्ट ने 7 आरोपियों को सुनाई 7-7 साल की सजा |
आरोपियों को भेजा गया जेल
पूरे मामले की जांच के बाद समिति संचालक सहित संचालक मंडल के सदस्यों के द्वारा भ्रष्टाचार करना पाया गया था. जिसमें शुक्रवार को प्रथम अतिरिक्त सेशन न्यायाधीश ने समिति संचालक राजेंद्र दुबे, नवनीत सिंह नागपाल, अजय कुमार महेश्वरी, सतीश कुमार जायसवाल, हेमराज सिंह चौधरी, राघव सिंह पुरविया, जगदीश अग्रवाल, संध्या अग्रवाल, सुनीता रघुवंशी और जानकी पटेल को सजा सुनाई है. इन सभी आरोपियों को जेल भेज दिया गया है.