भोपाल: केन बेतवा प्रोजेक्ट के जरिए पूरे बुंदेलखंड की सूरत बदलने जा रही है. मध्य प्रदेश के 11 जिलों की सूरत इस प्रोजेक्ट के जरिए बदलेगी. सीएम डॉ मोहन यादव ने बताया कि "अटलजी की 100वीं जन्म जयंती के मौके पर नदी जोड़ने का उनका सपना पूरा होगा. 25 दिसंबर को छतरपुर में इस योजना का भूमिपूजन पीएम मोदी के हाथों होगा. उन्होंने कहा कि "केन बेतवा प्रोजेक्ट में मध्य प्रदेश के 11 जिले लाभान्वित होंगे. इसी तरह से पार्वती-काली-सिंध और चंबल नदी को जोड़ने का जो मामला अब तक अटका हुआ था, लेकिन अब मध्य प्रदेश और राजस्थान दोनों राज्यों की सरकारों के साझा प्रयासों के बाद वह पूरा होगा.
केन बेतवा प्रोजेक्ट, एमपी के 11 जिलों की बदलेगी तस्वीर
सीएम डॉ मोहन यादव ने कहा कि "पूर्व प्रधानमंत्री अटलजी का नदी जोड़ो का सपना पूरा होने जा रहा है. उन्होंने बताया कि 25 दिसंबर को केन-बेतवा प्रोजेक्ट का छतरपुर में भूमिपूजन पीएम मोदी करेंगे. उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट की बदौलत मध्य प्रदेश के करीब 11 जिले और बाकी उत्तर प्रदेश के जिलों की तस्वीर बदल जाएगी.
उन्होंने बताया कि इस योजना में मध्य प्रदेश के साथ उत्तर प्रदेश की केवल 10 फीसदी ही राशि लगेगी. बाकी राशि केंद्र से आएगी. इस प्रोजेक्ट की बदौलत कुल 10 लाख हेक्टेयर इलाके में सिंचाई हो सकेगी."
स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी की जन्म जयंती के अवसर पर आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की उपस्थिति में प्रदेश को एक बड़ी सौगात मिलेगी...@narendramodi pic.twitter.com/mjyVEEnsLo
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) December 12, 2024
पीएम मोदी करेंगे शिलान्यास
सीएम यादव ने कहा कि "लंबे समय तक राजस्थान में विरोधी विचारधारा होने की वजह से जो पार्वती काली सिंध और चंबल नदी को जोड़ने का मामला अटका हुआ था, लेकिन अब उस पर भी राजस्थान और मध्य प्रदेश सरकार की सहमति बन गई है. उ्न्होंने बताया कि इस परियोजना से गुना, शिवपुरी, सीहोर, देवास, राजगढ़ उज्जैन, आगर मालवा, इंदौर, शाजापुर, मंदसौर और मुरैना प्रभावित होंगे. इस परियोजना में करीब 6 लाख 13 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो सकेगी. इस परियोजना का शिलान्यास पीएम मोदी जयपुर में करेंगे.
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सिंहस्थ के पहले क्षिप्रा का शुद्धिकरण, 599 करोड़ की लागत
सीएम डॉ मोहन यादव ने बताया कि 1980 के बाद से सिंहस्थ में क्षिप्रा के जल में स्नान नहीं हो सका. साधू-संतों की भी इसे लेकर मांग थी, उनका कहना था कि क्षिप्रा में हम नर्मदा जी के जल से स्नान करते हैं, लेकिन क्षिप्रा का जल नहीं मिल पाता है. इसी तरह से कान्ह नदी के साथ सीवर का पानी क्षिप्रा में आता था. उसे गंदा करता था. अब उसे रोकने के लिए 599 करोड़ की लागत से कान्ह क्लोज डक्ट परियोजना का काम शुरु हुआ. जिसके बाद इस बार सिंहस्थ में श्रद्धालु क्षिप्रा के जल से स्नान कर सकेंगे.