नई दिल्ली : दिल्ली की नंबर एक विधानसभा सीट नरेला है. हरियाणा की सीमा से सटे नरेला विधानसभा क्षेत्र उत्तर पश्चिमी लोकसभा सीट का हिस्सा है. इस विधानसभा में दो दर्जन से अधिक गांव और तीन दर्जन से अधिक अनाधिकृत कॉलोनियां हैं. इसके अलावा डीडीए रोहिणी और द्वारका की तर्ज पर नरेला को भी सबसिटी के रूप में विकसित करने में जुटी है. यहां डीडीए द्वारा बनाई गई नई-पुरानी सोसाइटी और हाउसिंग अपार्टमेंट हजारों की संख्या में है.
सार्वजनिक परिवहन की बेहतर सुविधा के लिए बीते महीनों में दिल्ली मेट्रो की रिठाला से नरेला होते हुए आगे कुंडली तक मेट्रो लाइन के विस्तार की अनुमति मिली है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मेट्रो लाइन के निर्माण कार्य का शुभारंभ भी कर दिया है.
नरेला को भौगोलिक दृष्टि से देखा जाए तो यहां की आबादी बीते दो दशक में बढ़ी है. इस विधानसभा चुनाव में जीत-हार काफी हद तक दिल्ली देहात और अनधिकृत कॉलोनी में रहने वाले मतदाताओं पर निर्भर करता है. इस क्षेत्र में प्रमुख गांव में बांकनेर, लामपुर, खेड़ा कलां, खेड़ा खुर्द, घोघा, सिंघु, टिकरी खुर्द, अलीपुर, पल्ला, बख्तावरपुर भोरगढ़ आदि गांव शामिल हैं.
नरेला में सिंघु बॉर्डर के पास ही डीडीए ने हजारों की तादाद में ग्रुप हाउसिंग सोसायटी का निर्माण किया है. हालांकि वहां पर उतनी बसावट नहीं है लेकिन आने वाले दिनों में जब परिवहन की सुविधा बेहतर हो जाएगी तो यह इलाका भी विकसित हो सकता है. जहां तक अनधिकृत कॉलोनी की बात है तो यहां स्वतंत्र नगर, नई बस्ती, त्रिवेणी कॉलोनी, मेट्रो विहार फेस 1 फेस 2, स्वर्ण जयंती विहार आदि अनाधिकृत कॉलोनियां है. जहां पर आसपास की औद्योगिक क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की तादाद अच्छी है.
जीत-हार में भूमिकाः पिछले दो दशक से यहां जाट फैक्टर भारी रहा है. तभी आम आदमी पार्टी ने बीते दो विधानसभा चुनाव में यहां से जाट उम्मीदवार को ही प्रत्याशी बनाया है. एक दशक पहले दिल्ली की राजनीति में उतरी आम आदमी पार्टी ने शरद चौहान को टिकट देकर अच्छी पकड़ बनाई. लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने भी प्रत्याशी बदल दिए हैं. अगर हरियाणा के समीकरण को देखते हुए बीजेपी ने यहां के नॉन जाट उम्मीदवार को तय करती है तो आने वाला मुकाबला काफी दिलचस्प होने वाला है. आम आदमी पार्टी ने विधायक शरद चौहान का टिकट काटकर अब अर्जुन अवार्ड विजेता दिनेश भारद्वाज को टिकट दी है.
खास बात यह है कि नरेला सीट पर कांग्रेस लगातार जीत की हैट्रिक लगा चुकी है. 1998 में कांग्रेस के चरण सिंह को जीत मिली जबकि 2003 के चुनाव में वह अपनी सीट बचा पाने में कामयाब रहे. दिल्ली में 1993 में पहली बार विधानसभा चुनाव कराया गया था, तब बीजेपी ने इस सीट पर जीत के साथ खाता खोला था.
विधानसभा का राजनीतिक मिजाजः वर्ष 1993 से अब तक सात बार हुए विधानसभा चुनाव में यहां से तीन बार कांग्रेस ने बाजी मारी है, जबकि दो-दो बार बीजेपी और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार ने जीत हासिल की. दरअसल, इस इलाके में मतदाता चुनाव के वक्त के माहौल के साथ ही जाते हैं. वर्ष 1993 में यहां बीजेपी ने जीत हासिल की तो उसके बाद शीला दीक्षित की अगुवाई में लगातार तीन बार कांग्रेस के प्रत्याशी ने जीत हासिल की. इसके बाद वर्ष 2013 में बीजेपी के नीलदमन खत्री ने जीत हासिल की. उसके बाद पिछले दो विधानसभा चुनाव वर्ष 2015 और 2020 में लगातार आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी शरद चौहान ने जीत हासिल की और वह विधायक बने. हालांकि पिछली बार हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के शरद चौहान और बीजेपी के नील दमन खत्री के बीच जीत हार का अंतर 25 फीसद से कम होकर 11 फीसद रह गया था.
इस विधानसभा चुनाव के मुद्देः नरेला विधानसभा सीट के अंदर करीब बीते दो दशक से भी मेट्रो के की मांग की जा रही थी. हर चुनाव में यह चुनावी मुद्दा बनता था. गत वर्ष संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी और अब सांसद योगेंद्र चंदोलिया ने क्षेत्र की जनता से वादा किया था कि वह मेट्रो लाइन को मंजूरी दिलाएंगे और अपने वादे के अनुसार इसे पूरा भी किया. बीते रविवार को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रिठाला से नरेला तक जाने वाली मेट्रो लाइन को निर्माण कार्य का शुभारंभ कर दिया है. जो इस क्षेत्र के लोगों के लिए बड़ी सौगात है.
इसके अलावा दिल्ली देहात के इस विधानसभा क्षेत्र में अतिक्रमण, सड़कों पर ट्रैफिक जाम, अनियमित तरीके से बसतीजा रही अवैध कॉलोनी की वजह से यहां पर संसाधन की कमी हो रही है और जनसंख्या घनत्व बढ़ता जा रहा है. गांव के अंदर गंदे पानी की निकासी की व्यवस्था तक नहीं है जो हर बार चुनावी मुद्दा बनता है.
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