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OMG! ऑपरेशन कर पेट में छोड़ दी रुई, नालंदा सदर अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही पर CS ने दी सफाई - NALANDA SADAR HOSPITAL - NALANDA SADAR HOSPITAL

NALANDA SADAR HOSPITAL: बिहार में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति क्या है वो नालंदा की इस खबर से समझ सकते हैं. खबर ये है कि नालंदा सदर अस्पताल के डॉक्टरों ने डिलीवरी के लिए आई एक महिला का ऑपरेशन के बाद उसके पेट में ही कॉटन छोड़ दिया. इस लापरवाही का पता कई महीनों बाद चला जब पीड़ित पेट दर्द से परेशान हुई और पेट का फिर ऑपरेशन करना पड़ा, पढ़िये पूरी खबर

ऑपरेशन के बाद पेट में छोड़ा कॉटन
ऑपरेशन के बाद पेट में छोड़ा कॉटन (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jun 26, 2024, 10:23 PM IST

नालंदाः बिहार सरकार बड़े जोर-शोर से सरकारी अस्पतालों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का दावा करती है, लेकिन अब राज्य के मुख्यमंत्री के गृह जिले के ही सदर अस्पताल से जानलेवा लापरवाही का मामला सामने आया है. जानकारी के मुताबिक बिहारशरीफ के सदर अस्पताल में ऑपरेशन के जरिए महिला ने बच्ची को जन्म दिया, लेकिन इस दौरान डॉक्टरों ने महिला के पेट में ही बैंडेज कॉटन छोड़ दिया. कई महीनों बाद महिला को पेट दर्द शुरू हुआ तो लापरवाही का ये मामला उजागर हुआ.

दिसंबर 2023 में हुआ था ऑपरेशनः जानकारी के मुताबिक पिछले साल यानी 2023 के दिसंबर महीने में पटना जिले के सकसोहरा थाना इलाके के अंदौली गांव के रवींद्र पासवान ने अपनी पत्नी बेबी देवी को डिलीवरी के लिए बिहारशरीफ के सदर अस्पताल में भर्ती कराया था. अस्पताल में ऑपरेशन के जरिये डिलीवरी हुई और बेबी देवी ने बच्ची को जन्म दिया.

दर्द से परेशान रहने लगी बेबी देवीः डिलीवरी के कई महीनों के बाद बेबी देवी के पेट में दर्द रहने लगा. पहले तो परिवार वालों ने इसे सामान्य दर्द समझकर अनदेखी की, लेकिन जब दर्द तेज हुआ तो बेबी देवी को लेकर पटना के निजी अस्पताल में भर्ती कराया. जहां डॉक्टरों ने एक्सरे और जांच रिपोर्ट के आधर पर बेबी के पेट में बैंडेज कॉटन होने की बात बताई. आखिरकार बेबी का ऑपरेशन करना पड़ा और पेट में पड़ा बैंडेज निकाला गया, लेकिन इस ऑपरेशन में पूरे 5 लाख रुपये खर्च हो गये. रवींद्र पासवान का आरोप है कि "जब उसने इसकी शिकायत सदर अस्पताल में की तो उसे डांट कर भगा दिया गया."

डीएम ने दिए जांच के आदेशः इस घटना के बाद पीड़ित परिवार ने डीएम के जनता दरबार में इंसाफ की गुहार लगाई.जिसके बाद डॉक्टरों की इस लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए डीएम ने नालंदा की सिविल सर्जन डॉ. श्यामा राय और डीएस डॉ. अशोक कुमार से 3 दिनों के अंदर पूरी घटना की जांच रिपोर्ट मांगी है.

'आदेश आएगा तो जांच की जाएगीः' वहीं नालंदा की सिविल सर्जन डॉ. श्यामा राय ने इस प्रकार की किसी घटना की जानकारी होने से साफ इंकार किया है. डॉ. श्यामा राय का कहना है कि "अगर ऐसी कोई बात हुई है और इसको लेकर पीड़ित परिवार कोई आवेदन करता है तो मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी."

"अभी ज़िला प्रशासन से न कोई आदेश आया है न ही पीड़ित परिवार की ओर से कोई आवेदन मिला है. अगर आदेश आता है तो टीम गठित कर मामले की जांच की जाएगी." डॉ. श्यामा राय, सिविल सर्जन, नालंदा

ये भी पढ़ेंःडॉक्टर ने ऑपरेशन के दौरान पेट में छोड़ी रुई, उपभोक्ता फोरम ने लगाया पांच लाख का जुर्मानाBihar Consumer Forum :

मरीज के पैर में छोड़ दिया था ड्रिल मशीन, उपभोक्ता फोरम ने डॉक्टर पर ठोका 7.4 लाख का जुर्माना.. 9 साल बाद फैसला

नालंदाः बिहार सरकार बड़े जोर-शोर से सरकारी अस्पतालों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का दावा करती है, लेकिन अब राज्य के मुख्यमंत्री के गृह जिले के ही सदर अस्पताल से जानलेवा लापरवाही का मामला सामने आया है. जानकारी के मुताबिक बिहारशरीफ के सदर अस्पताल में ऑपरेशन के जरिए महिला ने बच्ची को जन्म दिया, लेकिन इस दौरान डॉक्टरों ने महिला के पेट में ही बैंडेज कॉटन छोड़ दिया. कई महीनों बाद महिला को पेट दर्द शुरू हुआ तो लापरवाही का ये मामला उजागर हुआ.

दिसंबर 2023 में हुआ था ऑपरेशनः जानकारी के मुताबिक पिछले साल यानी 2023 के दिसंबर महीने में पटना जिले के सकसोहरा थाना इलाके के अंदौली गांव के रवींद्र पासवान ने अपनी पत्नी बेबी देवी को डिलीवरी के लिए बिहारशरीफ के सदर अस्पताल में भर्ती कराया था. अस्पताल में ऑपरेशन के जरिये डिलीवरी हुई और बेबी देवी ने बच्ची को जन्म दिया.

दर्द से परेशान रहने लगी बेबी देवीः डिलीवरी के कई महीनों के बाद बेबी देवी के पेट में दर्द रहने लगा. पहले तो परिवार वालों ने इसे सामान्य दर्द समझकर अनदेखी की, लेकिन जब दर्द तेज हुआ तो बेबी देवी को लेकर पटना के निजी अस्पताल में भर्ती कराया. जहां डॉक्टरों ने एक्सरे और जांच रिपोर्ट के आधर पर बेबी के पेट में बैंडेज कॉटन होने की बात बताई. आखिरकार बेबी का ऑपरेशन करना पड़ा और पेट में पड़ा बैंडेज निकाला गया, लेकिन इस ऑपरेशन में पूरे 5 लाख रुपये खर्च हो गये. रवींद्र पासवान का आरोप है कि "जब उसने इसकी शिकायत सदर अस्पताल में की तो उसे डांट कर भगा दिया गया."

डीएम ने दिए जांच के आदेशः इस घटना के बाद पीड़ित परिवार ने डीएम के जनता दरबार में इंसाफ की गुहार लगाई.जिसके बाद डॉक्टरों की इस लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए डीएम ने नालंदा की सिविल सर्जन डॉ. श्यामा राय और डीएस डॉ. अशोक कुमार से 3 दिनों के अंदर पूरी घटना की जांच रिपोर्ट मांगी है.

'आदेश आएगा तो जांच की जाएगीः' वहीं नालंदा की सिविल सर्जन डॉ. श्यामा राय ने इस प्रकार की किसी घटना की जानकारी होने से साफ इंकार किया है. डॉ. श्यामा राय का कहना है कि "अगर ऐसी कोई बात हुई है और इसको लेकर पीड़ित परिवार कोई आवेदन करता है तो मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी."

"अभी ज़िला प्रशासन से न कोई आदेश आया है न ही पीड़ित परिवार की ओर से कोई आवेदन मिला है. अगर आदेश आता है तो टीम गठित कर मामले की जांच की जाएगी." डॉ. श्यामा राय, सिविल सर्जन, नालंदा

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