नालंदा: बिहार में नालंदा के सिलाव प्रखंड मुख्यालय से करीब दस किलोमीटर की दूरी पर रानी बिगहा गांव बसा है. इसके आसपास के आधा दर्जनभर गांव के किसान बीते 5 सालों से नीलगाय के आतंक से परेशान हैं. कई बार यहां के किसान जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगा चुके हैं, इसके बाद भी कोई सुनवाई नहीं हूई. जिसके बाद किसानों ने देसी जुगाड़ तकनीक का इस्तेमाल किया है.
क्या है किसानों का देसी जुगाड़: फसलों को बचाने के लिए दीपावली वाली सतरंगी लाइटों का इस्तेमाल किया गया है. किसानों ने खेतों में लगी फसलों की सुरक्षा के लिए खेत के चारों ओर रंग-बिरंगी लरियों का जाल बिछा दिया है. रात में रंगीन लाइटें टीमटीमाती हैं, तो नीलगायें फसलों के पास नहीं आते हैं. रानी बिगहा के किसान मिथलेश प्रसाद बताते हैं कि नीलगायों से बचने का भले यह अस्थायी तरीका है लेकिन यही उनका सहारा बना हुआ है.
सतरंगी लाइटों से ऐसे बचेगी फसल: युवा किसान अमरेंद्र कुमार ने बताया कि पहले गांव के किसान खेतों में एलईडी बल्ब लगाते थे. जितनी दूरी तक बल्ब से उजाला होता था, उतनी दूर में नीलगायें नहीं आती थीं. बाद में कुछ किसान खेतों के बीच में सतरंगी लरियां लगाने लगे. उससे खेत के बीच में नीलगायें नहीं जाती है. हालांकि पगडंडियों के किनारे की फसलों को चट कर जाती थी.
"3 माह पहले सोचा कि क्यों न खेत के चारों ओर पंगडंडियों के किनारे रंग-बिरंगी लाइटें लगाई जाए. ऐसा करने पर नीलगायों से खेत में लगी पूरी फसल की सुरक्षा होने लगी. अब अन्य किसान भी इस तरीके को अपना रहे हैं. आसपास के गांवों के एक हजार एकड़ खेतों में लगी फसल नीलगायों के निशाने पर है."- अमरेंद्र कुमार, युवा किसान
नीलगायों को मारने के लिए बनी टीम: बता दें कि रानी बिगहा, मनियामा, रंगीला बिगहा, नियामत नगर समेत कई गांवों के किसान नीलगाय के आतंक से जूझ रहे हैं. वहीं इस संबंध में राजगीर एसडीओ कुमार ओमकेश्वर ने बताया कि नीलगायों को मारने के लिए प्रत्येक प्रखंड से एक टीम का गठन करना था. पहले फेज में करियन्ना का चयन किया गया है. दूसरे फेज में अन्य पंचायतों का भी चयन किया जाएगा.
"नीलगायों से किसानों को छुटकारा मिल सके इसके लिए एक टीम तैयार की गई. जो नीलगायों को मारने के लिए प्रत्येक प्रखंड कर रही है. दूसरे फेज में दूसरे पंचायतों का भी चयन किया जाएगा."- कुमार ओमकेश्वर, एसडीओ, राजगीर