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उत्तराखंड में नदियों से भू कटाव और जलभराव मामले में सुनवाई, HC ने सरकार को दिए ये निर्देश

Waterlogging And Soil Erosion By Rivers in Uttarakhand उत्तराखंड में नदियों का चैनेलाइज न होने से बरसात के दौरान भारी तबाही मच जाती है. साथ ही भूस्खलन और बाढ़ के कारण नदियों के मुहाने बंद हो जाते हैं. जिसके चलते आबादी वाले क्षेत्रों में जलभराव और मिट्टी का कटाव होता है. लिहाजा, यह मामला हाईकोर्ट की टेबल पर पहुंच गया है. जिस पर सुनवाई करते हुए सरकार को पूर्व के आदेश का अनुपालन करने को कहा है.

Nainital High Court
नैनीताल हाईकोर्ट
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 13, 2024, 5:01 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड में नंधौर, गौला, कोसी, गंगा, दाबका समेत अन्य नदियों से भू कटाव और मुहाना अवरुद्ध होने से आबादी क्षेत्रों में जल भराव की समस्या से जुड़ी याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने सरकार को पूर्व के आदेश का अनुपालन करने को कहा है. साथ ही सरकार से पूछा है कि आने वाले मानसून सीजन को लेकर क्या-क्या तैयारियां की गई है? आगामी 29 अप्रैल तक कोर्ट को अवगत कराएं.

नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान आज भी याचिकाकर्ता भुवन पोखरिया ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने पूर्व के आदेश का अनुपालन नहीं किया, न ही नदियों का चैनेलाइजेशन का काम किया. जिसका खुलासा आरटीआई से हुआ है. पूरे मामले के अनुसार, हल्द्वानी के चोरगलिया निवासी भुवन चंद्र पोखरिया ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि उत्तराखंड में बरसात के समय नदियां उफान में रहती है. ऐसे में नदियों के मुहाने अवरुद्ध हो जाने से बाढ़ और भू कटाव होता है. जिसके चलते आबादी क्षेत्र में जलभराव होता है.

नदियों के उफान पर होने के कारण हजारों हेक्टेयर वन भूमि, पेड़, सरकारी योजनाएं तबाह हो जाती है. नदियों का चैनेलाइजेशन न होने पर नदियां अपना रुख आबादी की तरफ कर देती हैं. जिसकी वजह से उधम सिंह नगर, हरिद्वार, हल्द्वानी, रामनगर, रुड़की, देहरादून में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. पिछले साल बाढ़ से कई पुल बह गए थे. आबादी वाले क्षेत्रों में बाढ़ आने का मुख्य कारण सरकार की लापरवाही है. सरकार ने नदियों के मुहाने पर जमा गाद, बोल्डर, मलबा को नहीं हटाया है.

याचिका में ये भी कहा गया कि सरकार ने 14 फरवरी 2023 में दिए हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया. जिसकी वजह से प्रदेश में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हुई है. बता दें कि हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि राज्य सरकार संबंधित विभागों को साथ लेकर नदियों से गाद, मलबा, बोल्डर हटाकर उन्हें चैनेलाइजेशन करें. ताकि, बरसात के दौरान नदियों का पानी बिना रुकावट के बह सके. अब पूरे मामले की अगली सुनवाई 29 अप्रैल को होगी.

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नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान आज भी याचिकाकर्ता भुवन पोखरिया ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने पूर्व के आदेश का अनुपालन नहीं किया, न ही नदियों का चैनेलाइजेशन का काम किया. जिसका खुलासा आरटीआई से हुआ है. पूरे मामले के अनुसार, हल्द्वानी के चोरगलिया निवासी भुवन चंद्र पोखरिया ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि उत्तराखंड में बरसात के समय नदियां उफान में रहती है. ऐसे में नदियों के मुहाने अवरुद्ध हो जाने से बाढ़ और भू कटाव होता है. जिसके चलते आबादी क्षेत्र में जलभराव होता है.

नदियों के उफान पर होने के कारण हजारों हेक्टेयर वन भूमि, पेड़, सरकारी योजनाएं तबाह हो जाती है. नदियों का चैनेलाइजेशन न होने पर नदियां अपना रुख आबादी की तरफ कर देती हैं. जिसकी वजह से उधम सिंह नगर, हरिद्वार, हल्द्वानी, रामनगर, रुड़की, देहरादून में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. पिछले साल बाढ़ से कई पुल बह गए थे. आबादी वाले क्षेत्रों में बाढ़ आने का मुख्य कारण सरकार की लापरवाही है. सरकार ने नदियों के मुहाने पर जमा गाद, बोल्डर, मलबा को नहीं हटाया है.

याचिका में ये भी कहा गया कि सरकार ने 14 फरवरी 2023 में दिए हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया. जिसकी वजह से प्रदेश में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हुई है. बता दें कि हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि राज्य सरकार संबंधित विभागों को साथ लेकर नदियों से गाद, मलबा, बोल्डर हटाकर उन्हें चैनेलाइजेशन करें. ताकि, बरसात के दौरान नदियों का पानी बिना रुकावट के बह सके. अब पूरे मामले की अगली सुनवाई 29 अप्रैल को होगी.

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