जबलपुर. नगर निगम स्वास्थ्य अधिकारी भूपेंद्र सिंह (Nagar nigam health officer) को उनकी कार्यशैली के चलते पद से हटा दिया है. दरअसल, निगम आयुक्त प्रीति यादव को लगातार स्वास्थ्य अधिकारी के खिलाफ शिकायतें मिल रही थीं. वहीं उनपर सफाई ठेकेदारों से यारी और कार्य में गंभीर लापरवाही के भी आरोप लगे. इतना ही नहीं, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन जबलपुर के संयुक्त सचिव दीपक कुमार सिंह ने स्वास्थ्य अधिकारी भूपेंद्र सिंहकी नियुक्ति पर सवाल खड़े किए गए थे। आखिरकार आयुक्त प्रीति यादव ने उन्हें पद से हटा दिया.
जो काम पर नहीं आते, उनकी भी बन रही थी पेमेंट
पिछले महीने जबलपुर की नवनियुक्त नगर निगम कमिश्नर प्रीति यादव ने जबलपुर की सफाई में लगी पांच निजी कंपनियों पर जुर्माना लगाया था और यह जुर्माना लगभग 11 लाख रुपए का था. इसमें कमिश्नर ने आरोप लगाया था कि कंपनियां कम लेबर सप्लाई करती हैं, लेकिन पेमेंट ज्यादा लेती हैं. बिना काम पर आए कई कर्मचारियों की उपस्थिति दर्ज होती है लिहाजा पहले कंपनियों पर जुर्माना लगाया गया और अब स्वास्थ्य अधिकारी को हटा दिया गया.
हर महीने करोड़ों के घोटाले के आरोप
जबलपुर नगर निगम में 80 वार्ड हैं और हर वार्ड में सफाई के लिए रोज 40 कर्मचारी लगाए जाते हैं. इस तरह से शहर में लगभग 3 हजार कर्मचारी सफाई का काम करते हैं. यदि सचमुच में इतने कर्मचारी सफाई का काम करें तो जबलपुर इंदौर की तरह स्वच्छता में नंबर वन बन जाए. लेकिन आरोप हैं कि शहर की सफाई व्यवस्था में आधे कर्मचारी ही काम पर लगाए जाते हैं और इनका वेतन अधिकारी, कर्मचारी और कुछ नेता चट कर जाते हैं. जबलपुर के 80 वार्डों की एक महीने की लगभग डेढ़ करोड़ रुपए की रकम भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है।
ठेकेदारों से यारी पड़ी भारी?
निगम के गलियारों में यह भी चर्चा है कि स्वास्थ्य अधिकारी की ठेकेदारों से यारी निगम आयुक्त (Nagar nigam comissioner) को खटक रही थी. वहीं स्वास्थ्य अधिकारी के खिलाफ लगातार मिलती शिकायतों के कारण रविवार को जारी हुए एक आदेश में भूपेंद्र सिंह को पद से हटा दिया गया. आदेश में लिखा गया कि प्रशासनिक कार्य सुविधा की दृष्टि से संभव मनु अयाची, सहायक आयुक्त को अपने वर्तमान कार्य के साथ-साथ प्रभारी उपायुक्त एवं प्रभारी स्वास्थ्य अधिकारी का कार्यभार अग्रिम आदेश तक दे दिया गया है.
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सफाईकर्मियों को 400 की जगह मिल रहे 250 रु
जवाहर वार्ड में काम कर रही महिला सफाई कर्मियों से हमने बात की तो उन्होंने बताया कि उन्हें मात्र 250 रु ही प्रतिदिन के हिसाब से मजदूरी दी जाती है. जबकि ठेकेदार को 400 प्रतिदिन के हिसाब से नगर निगम भुगतान करता है. वहीं कर्मचारियों को पीएफ, कर्मचारी राज्य बीमा बोनस, राष्ट्रीय त्योहार पर छुट्टी और ओवर टाइम का भुगतान भी नहीं किया जा रहा है. कई कर्मचारियों को कुछ दिन काम पर रखा जाता है और फिर अलग कर दिया जाता है.