जबलपुर. जबलपुर के आसपास पीले रंग की रहस्यमयी फफूंद (Mysterious fungus) फसलों की तबाही का कारण बन रही है. कई इलाकों में मटर की फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है और जबलपुर के पास नरसिंहपुर में भी इस रस्ट ने मसूर और चने की फसल पर प्रहार किया है. फिलहाल इस समस्या का सरकार के पास कोई निदान नहीं है. कृषि वैज्ञानिकों की सलाह है कि किसान अपने स्तर पर इसे रोकने की कोशिश करें.
बारिश के बाद पीली फंगस का प्रकोप
बीते दिनों बे मौसम हुई बारिश का दौर तो थम गया है लेकिन जाते-जाते यह बारिश किसानों के लिए आफत की बारिश बन गई है. बारिश के साथ आए ओलों ने कई जगह फसल चौपट कर दी और जो फसल बच गई थी उसमें बड़ी तेजी से रोग लगना शुरू हो गए हैं. कृषि वैज्ञानिक बृजेश अरजरिया ने बताया कि जबलपुर के आसपास की दलहनी फैसलें बड़ी तेजी से एक पीले कलर की फफूंद (yellow fungus) की शिकार हो रही हैं. कृषि वैज्ञानिक ने कहा, 'यह एक किस्म की फफूंद है जो किसी विस्फोट की तरह फसलों में फैल रही है और यह इतनी तेजी से फैल रही है कि मात्र दो से तीन दिनों में यह पूरे खेत को अपनी चपेट में ले लेती है और एक सप्ताह में पूरी फसल बर्बाद हो जाती है.'
तेजी से फैल रही रहस्यमयी फंगस
जबलपुर के आसपास बड़े पैमाने पर हरे मटर की खेती होती है इस पूरी हरी मटर में यह फंगस फैल चुका है. इसके साथ ही जबलपुर से सटे हुए जिले नरसिंहपुर में भी इस पीली फफूंद का असर देखा जा रहा है. यह आफत इतनी तेजी से फैल रही है कि किसान इसका निदान तक नहीं कर पा रहे हैं. नरसिंहपुर में बड़े पैमाने पर मसूर और चने की खेती होती है और सबसे ज्यादा नुकसान इसका मसूर में देखने को मिल रहा है.
किसान एहतियातन उठाएं ये कदम
कृषि सलाहकार ब्रजेश अरजरिया किसानों को उनके खेत पर ही जाकर सलाह दे रहे हैं. उन्होंने सलाह देते हुए कहा, 'अपने खेत में कोई भी सिस्टमैटिक फफूंद नाशक का छिड़काव तुरंत शुरू कर दें. यदि आपकी फसल इस रोग से ग्रसित नहीं है तब भी आप खेत में फफूंद नाशक का छिड़काव करें क्योंकि यह कभी भी आपके खेत को अपनी चपेट में ले सकती है.'
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अब सरकार से उम्मीद लगा रहे किसान
कृषि विभाग का अमला भी किसानों को समझाइश दे रहा है लेकिन जो किसान इस छिड़काव में देरी कर रहे हैं उनकी फसलें बर्बाद होती जा रही हैं. इस तरह की खतरनाक फंगस भी बहुत दिनों बाद देखने को मिला है लेकिन इस साल इसने जो असर छोड़ा है वह किसानों पर भारी पड़ेगा. ऐसी स्थिति में किसानों को सरकार से उम्मीदें हैं कि सरकार अपने स्तर पर बड़ी मशीनों से छिड़काव करवाए.