जयपुर. नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर प्रदेश में मुस्लिम संगठन लोकसभा चुनाव से पहले मुखालफत का रुख अख्तियार कर चुके हैं. इन मुस्लिम संगठनों का कहना है कि केंद्र ने बीते 5 साल में इस कानून को लेकर कोई ठोस काम नहीं किया और चुनाव जब सिर पर है तो एक बार फिर इसका ढिंढोरा पीटा जा रहा है. मुस्लिम संगठनों का कहना है कि विकास के मुद्दों से ध्यान हटाकर धार्मिक मुद्दों पर भाजपा चुनाव लड़ना चाहती है. भाजपा के झंडे में सभी के साथ सभी के विकास वाली बात नजर नहीं आती है. ऐसे में अगर जरूरत पड़ी तो फिर एक बार देशव्यापी धरना दिया जाएगा.
विकास का मुद्दा हुआ एजेंडे से गायब : चुनाव में जो मुद्दे विकास को लेकर होने चाहिए थे, वो मुद्दे नजर नहीं आ रहे हैं. महज धार्मिक मुद्दों के आधार पर हिंदू-मुस्लिम करने की कोशिश की जा रही है. भले ही भारतीय जनता पार्टी की सरकार सभी का साथ, सभी का विकास की बात करती हो, लेकिन सभी का साथ, सभी का विकास नजर नहीं आ रहा है. वहीं, फिलहाल CAA को लेकर जो बातें कही जा रही है, वो सही नहीं है. ऐसे में अगर जरूरत पड़ी तो फिर से धरने प्रदर्शन का ऐलान किया जाएगा.
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मुस्लिम धर्मगुरु हाफिज मंजूर ने बताया कि पिछले चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी ने अपने मेनिफेस्टो में इस मुद्दे को शामिल किया था और अब जब आचार संहिता लगने की तैयारी है, तो भाजपा एक बार फिर ध्रुवीकरण का राग छेड़ रही है. उन्होंने कहा कि पहले भी जब इस तरह की चर्चा हुई तो पूरे देश में शाहीन बाग तैयार हो गए थे, जिससे सरकार को बैक फुट पर जाना पड़ा था. मंजूर ने आगे कहा कि सरकार की ओर से कदम बढ़ाए जाने के बाद वे इस सिलसिले में गंभीरता से विचार करेंगे. दूसरी ओर जमात-ए-इस्लामी हिंद के अध्यक्ष नाजीमुद्दीन ने कहा कि केंद्र सरकार फिलहाल पूरा फोकस आने वाले चुनाव पर कर रही है. उनका हर फैसला चुनाव के लिहाज से देखा जा रहा है. सीएए की भावना हमारे देश के कानून के खिलाफ है.