हरिद्वार: धर्मनगरी में आज मुल्तान जोत महोत्सव (Multan Jot Festival) का आयोजन बड़ी धूमधाम से किया गया. इस दौरान देश के अलग-अलग राज्यों से आये मुल्तान समाज के लोग एकत्रित हुए. सभी ने हरकी पैड़ी के पवित्र ब्रह्मकुंड में मां गंगा के साथ दूध की होली खेली. साथ ही मां गंगा को स्वछ रखने का संदेश दिया. इन नजारें ने सभी श्रद्धालुओं का ध्यान अपनी ओर खींचा.
साल 1911 में लाला रूपचंद ने शुरू की थी परंपरा: बता दें कि मुल्तान जोत महोत्सव के 114 साल पूरे हो चुके हैं. हरिद्वार में जोत लाने की परंपरा साल 1911 की है, जब पकिस्तान के रहने वाले व्यापारी लाला रूपचंद मुल्तान से पैदल जोत लेकर हरिद्वार पहुंचे थे, तभी से ये लोग लालाजी की उस परंपरा को आगे बढ़ाते चले आ रहे हैं. देश के अलग-अलग राज्यों से आकर मुल्तान समाज के लोग मुल्तान जोत महोत्सव में शामिल होते हैं.
लाला रूपचंद की मां गंगा ने पूरी की थी मुराद: पकिस्तान में रहने वाले व्यापारी लाला रूपचंद की दस संतानें थी, लेकिन उनकी कोई भी औलाद बचती नहीं थी. एक दिन जब उनकी लड़की को गंभीर चोट लगी तो, उन्हें लगा कि उनकी यह औलाद भी बच नहीं पाएगी. ऐसे में किसी ने उनसे कहा कि अगर वे हरिद्वार पैदल जाकर मां गंगा में जोत जलाएंगे, तो गंगा मैया के आशीर्वाद से उनके दुख दूर होंगे. जिस पर लालाजी मुल्तान से जोत लेकर हरिद्वार आये और उनकी कामना पूरी हुई. इस अवसर पर मां गंगा में दूध अर्पित करना और दूध की होली खेलने का खास महत्व है. मुल्तान समाज इसके माध्यम से गंगा की पवित्रता, निर्मलता समेत देश-दुनिया में सुख शांति का पैगाम देता है.
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