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आसां नहीं यहां पनघट की डगर, पथरीले और कटीले रास्तों से गुजरकर मिटती है ग्रामीणों की प्यास

Water Crises In Anuppur: एमपी सरकार के नुमाइंदे किसी भी मौके पर विकास के दावे करने से पीछे नहीं हटते. जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की जमीनी हकीकत अलग ही है. अनूपपुर के इस गांव में इन ग्रामीणों की पनघट की डगर कठनाईयों भरी है. पढ़िए पानी से जूझते इस गांव की कहानी...

Water Crises in Anuppur
अनुपपुर में आसां नहीं यहां पनघट की डगर
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 25, 2024, 6:02 PM IST

Updated : Jan 25, 2024, 6:10 PM IST

आसां नहीं यहां पनघट की डगर

अनूपपुर। इस समय जहां पूरा प्रदेश ठंड कि ठिठुरन से परेशान है. अभी गर्मी के मौसम का दूर-दूर तक नामोनिशान नहीं दिख रहा. इसके बाद भी प्रदेश के कुछ हिस्से ऐसे हैं, जहां गर्मी के मौसम से भी बदतर हालात हैं. अनूपपुर जिले के विधानसभा क्षेत्र पुष्पराजगढ़ अंतर्गत पड़री पंचायत के चौरादादर के गांव के लोग पानी की समस्या से परेशान हैं. ये ग्रामीण सुबह होते ही पहाड़ों के रास्ते से होते हुए 2 किमी दूर पानी लेने जाते हैं. तब जाकर इनके सूखे कंठों की प्यास बुझ पाती है. ऐसे पथरीले रास्तों से पानी से भरे बर्तन लेकर आना-जाना यह इनका रोज का काम है.

Water Crises In Anuppur
पहाड़ो से गुजरते हैं ग्रामीण

सालों से पानी के लिए जूझ रहा ये गांव

दरअसल, यह गांव पहाड़ी इलाके पर स्थित है. जिसके चलते यहां पर्याप्त जलसंसाधन नही है. रोजमर्रा के कामों से लेकर पीने तक के पानी ले लिए ग्रामीणों को रोज परेशान होना पड़ता है. हर दिन सुबह-सबेरे उठकर ये पथरीले रास्तों से अपने बर्तन लेकर जाते हैं. ग्रामीण जब पानी लेने जाते हैं, तो इस दौरान अपनी भाषा में यह कहते हुए नजर आ रहे हैं कि 'पानी बनिस जियू के जंजाल' इसका मतलब है पानी जी का जंजाल बन गया है. यहां के लोग आजादी के 76 वर्ष बाद या यूं कहें कि सालों से पीने के पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. चौरादादर गांव में 45 घर के लोग निवासरत हैं और लगभग 300 की आबादी वाले गांव में शासन-प्रशासन की योजना दम तोड़ती नजर आ रही है.

Water Crises In Anuppur
पथरीले रास्तों से रोज पानी भरने जाते हैं ग्रामीण

क्या कह रहे ग्रामीण

इस गांव के ग्रामीणों ने बताया कि यह समस्या आज की नहीं है. कई पीढ़ी से हम ऐसे ही जंगली रास्तों का सफर तय कर रोजाना सुबह से पानी के लिए बकान गांव में आते हैं. इन जंगली-पथरीले रास्तों से होकर पानी ले जाते हैं, हालांकि पीएचई विभाग ने बकान गांव में एक बोर कराया था और कहा जा रहा था कि पहाड़ चढ़ाकर पानी पहुचाएंगे, पर 6 महीने से ऊपर बीत गए, बोर ऐसे का ऐसे ही पड़ा हुआ है.

क्या कह रहे अधिकारी

कहने को तो इस गांव में पीएचई विभाग ने पूर्व में 2 से 3 हैण्डपम्प खनन करवाए हैं, पर किसी काम के नहीं है. अब ऐसे में सवाल विभाग पर भी उठ रहा कि क्या इस गांव मे बोर कराने से पहले विभाग ने सर्वे नहीं कराया या महज कागजी सर्वे करा कर दिखावे के लिए हैण्डपम्प खनन कराया. जिससे ग्रामीणों की प्यास नहीं बुझ पा रही है.

Water Crises In Anuppur
सिर पर बर्तन रख पानी लेने जातीं महिलाएं

यहां पढ़ें...

कब होगा समस्या का हल

गौरतलब है की इस गांव में ग्रामीणों की परेशानी साफ दिखाई पड़ रही है. इस मामले पर सब अलग-अलग सफाई दे रहे हैं. देखने वाली बात तो यह होगी कि इस गांव के लिए शासन प्रशासन कौन सा स्थाई कदम उठता है और कब तक. जिससे ग्रामीणों की समस्या का समाधान हो सके बहरहाल वर्तमान की स्थिति बदहाल ही नजर आ रही है.

आसां नहीं यहां पनघट की डगर

अनूपपुर। इस समय जहां पूरा प्रदेश ठंड कि ठिठुरन से परेशान है. अभी गर्मी के मौसम का दूर-दूर तक नामोनिशान नहीं दिख रहा. इसके बाद भी प्रदेश के कुछ हिस्से ऐसे हैं, जहां गर्मी के मौसम से भी बदतर हालात हैं. अनूपपुर जिले के विधानसभा क्षेत्र पुष्पराजगढ़ अंतर्गत पड़री पंचायत के चौरादादर के गांव के लोग पानी की समस्या से परेशान हैं. ये ग्रामीण सुबह होते ही पहाड़ों के रास्ते से होते हुए 2 किमी दूर पानी लेने जाते हैं. तब जाकर इनके सूखे कंठों की प्यास बुझ पाती है. ऐसे पथरीले रास्तों से पानी से भरे बर्तन लेकर आना-जाना यह इनका रोज का काम है.

Water Crises In Anuppur
पहाड़ो से गुजरते हैं ग्रामीण

सालों से पानी के लिए जूझ रहा ये गांव

दरअसल, यह गांव पहाड़ी इलाके पर स्थित है. जिसके चलते यहां पर्याप्त जलसंसाधन नही है. रोजमर्रा के कामों से लेकर पीने तक के पानी ले लिए ग्रामीणों को रोज परेशान होना पड़ता है. हर दिन सुबह-सबेरे उठकर ये पथरीले रास्तों से अपने बर्तन लेकर जाते हैं. ग्रामीण जब पानी लेने जाते हैं, तो इस दौरान अपनी भाषा में यह कहते हुए नजर आ रहे हैं कि 'पानी बनिस जियू के जंजाल' इसका मतलब है पानी जी का जंजाल बन गया है. यहां के लोग आजादी के 76 वर्ष बाद या यूं कहें कि सालों से पीने के पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. चौरादादर गांव में 45 घर के लोग निवासरत हैं और लगभग 300 की आबादी वाले गांव में शासन-प्रशासन की योजना दम तोड़ती नजर आ रही है.

Water Crises In Anuppur
पथरीले रास्तों से रोज पानी भरने जाते हैं ग्रामीण

क्या कह रहे ग्रामीण

इस गांव के ग्रामीणों ने बताया कि यह समस्या आज की नहीं है. कई पीढ़ी से हम ऐसे ही जंगली रास्तों का सफर तय कर रोजाना सुबह से पानी के लिए बकान गांव में आते हैं. इन जंगली-पथरीले रास्तों से होकर पानी ले जाते हैं, हालांकि पीएचई विभाग ने बकान गांव में एक बोर कराया था और कहा जा रहा था कि पहाड़ चढ़ाकर पानी पहुचाएंगे, पर 6 महीने से ऊपर बीत गए, बोर ऐसे का ऐसे ही पड़ा हुआ है.

क्या कह रहे अधिकारी

कहने को तो इस गांव में पीएचई विभाग ने पूर्व में 2 से 3 हैण्डपम्प खनन करवाए हैं, पर किसी काम के नहीं है. अब ऐसे में सवाल विभाग पर भी उठ रहा कि क्या इस गांव मे बोर कराने से पहले विभाग ने सर्वे नहीं कराया या महज कागजी सर्वे करा कर दिखावे के लिए हैण्डपम्प खनन कराया. जिससे ग्रामीणों की प्यास नहीं बुझ पा रही है.

Water Crises In Anuppur
सिर पर बर्तन रख पानी लेने जातीं महिलाएं

यहां पढ़ें...

कब होगा समस्या का हल

गौरतलब है की इस गांव में ग्रामीणों की परेशानी साफ दिखाई पड़ रही है. इस मामले पर सब अलग-अलग सफाई दे रहे हैं. देखने वाली बात तो यह होगी कि इस गांव के लिए शासन प्रशासन कौन सा स्थाई कदम उठता है और कब तक. जिससे ग्रामीणों की समस्या का समाधान हो सके बहरहाल वर्तमान की स्थिति बदहाल ही नजर आ रही है.

Last Updated : Jan 25, 2024, 6:10 PM IST
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