भोपाल। उच्च माध्यमिक शिक्षक भर्ती यानि वर्ग एक में पद बढ़वाने के लिए गुरुवार को प्रदेशभर के एक हजार से अधिक गुरुजी राजधानी की सड़कों पर उतर गए. दरअसल इससे पहले वर्ग 1 की पात्रता परीक्षा में ये शिक्षक सफल हो चुके हैं. इन्हें वेटिंग में रखा गया है. शिक्षकों की मांग है कि सरकारी स्कूलों में वर्ग 1 के जो पद खाली हैं, उनके विरुद्ध भर्तियां की जाए. जिससे सरकारी स्कूलों में बच्चों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा और शिक्षकों को समय पर रोजगार मिल सके और वो ओवर ऐज न हों.
पुलिस ने शिक्षकों को किया परेशान
दरअसल, प्रदेशभर से आए शिक्षक रानी कमलापति रेलवे स्टेशन के पास प्रदर्शन कर रहे थे. इसकी सूचना पुलिस को पहले से ही थी. ऐसे में पुलिस मौके पर मौजूद थी. पहले तो पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकना चाहा, जब उन्होंने पुलिस की बात नहीं मानी, तो उन्हें थाने ले जाया गया. हालांकि प्रदर्शन करने आए शिक्षकों का कहना है कि थाने से बाहर आते ही हम फिर प्रदर्शन करेंगे.
अभी अनारक्षित श्रेणी में 102 लोगों को ही मिलेगा मौका
वर्ग 1 शिक्षक भर्ती 2023 में 8720 पदों पर भर्ती होना है. इनमें 3668 बैकलॉग के पद हैं. सभी आरक्षण को हटाने के बाद अनारक्षित कैटेगिरी के 102 पद ही बचते हैं. चूंकि वर्ग 1 में शिक्षकों की भर्ती विषयवार होना है, ऐसे में 102 पदों पर जब 16 विषयों में डिवाइड करें तो अनारक्षित श्रेणी के 6 से 7 लोगों को ही नौकरी मिल पाएगी.
34 हजार से अधिक पद खाली, नहीं हो रही नियुक्ति
वर्ग 1 के शिक्षकों का कहना है कि सरकार ने 30 जुलाई 2018 के राजपत्र में स्वीकार किया है, कि वर्ग 1 के 34,789 पद खाली हैं, लेकिन इन पदों पर भर्ती नहीं की जा रही है. जबकि बीते 6 सालों में हजारों शिक्षक रिटायर हो चुके हैं. वहीं वर्ग 1 के तहत 30 हजार से अधिक शिक्षक सरकारी स्कूलों में अध्यापन कार्य कर रहे हैं. इनकी जगह नियमित शिक्षकों की भर्ती की जानी चाहिए. सयुंक्त मोर्चा के नीरज द्विवेदी ने बताया कि 'हम लोग पात्रता परीक्षा पास कर चुके हैं. हमें वेटिंग में रखा गया है, जबकि हजारों पद खाली हैं. ऐसे में अतिथि शिक्षकों की जगह नियमित शिक्षकों को मौका मिलना चाहिए.
नियमित शिक्षकों की कमी से बिगड़ा रिजल्ट
प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों का कहना है कि साल 2023-24 के 10वीं और 12वीं कक्षा का रिजल्ट नियमित शिक्षकों की कमी के कारण पिछड़ा है. इस कारण 12वीं कक्षा के अंग्रेजी में 1.52 लाख, हिंदी में 47 हजार, फिजिक्स में 60 हजार और अर्थशास्त्र में 53 हजार से अधिक छात्र फेल हो गए. यदि इनके स्कूलों में शिक्षक पर्याप्त होते तो यह दिन नहीं देखना पड़ता.