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भोपाल में आउटसोर्स कर्मचारियों का शक्ति प्रदर्शन, वेतनमान और नौकरी में सुरक्षा की मांग - MP OUTSOURCED EMPLOYEES PROTEST

अपनी मांगों को लेकर मध्य प्रदेश के सभी आउटसोर्स कर्मचारियों ने भोपाल में धरना प्रदर्शन किया. कर्मचारियों की मांग है कि प्रदेश सरकार ने कर्मचारियों के लिए जो न्यूनतम वेतनमान तय किया है, वह तो दिया जाए. कर्मचारियों का कहना है कि इस महंगाई में भी उन्हें 2 हजार रुपये वेतन मिल रहा है, जिससे घर चलाना भी मुश्किल हो रहा है.

OUTSOURCED EMPLOYEES PROTEST
आउटसोर्स कर्मचारियों का प्रदर्शन (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 22, 2024, 5:02 PM IST

Updated : Sep 22, 2024, 5:35 PM IST

भोपाल: मध्यप्रदेश के विभिन्न विभागों में पदस्थ आउटसोर्स, अंशकालीन और ग्राम पंचायतों में पदस्थ कर्मचारियों ने न्यूनतम वेतनमान की मांग को लेकर कमर कस ली है. प्रदेश भर के जिलों से आए कर्मचारियों ने भोपाल के नीलम पार्क में अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन दिया. कर्मचारी श्रम मंत्री से मिलने की मांग पर अड़े हैं. कर्मचारियों की मांग है कि प्रदेश सरकार ने कर्मचारियों के लिए जो न्यूनतम वेतनमान तय किया है, वह तो दिया जाए. प्रदेश में कई कर्मचारी सालों से ढाई हजार से लेकर 5 हजार रुपए महीने के वेतनमान पर काम कर रहे हैं.

'नौकरी में सुरक्षा नहीं बची'
आउटसोर्स अस्थाई, अंशकालीन, ग्राम पंचायत कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारी वासुदेव शर्मा ने कहा कि, ''नौकरी में सुरक्षा नहीं है और न ही सम्मानजनक वेतनमान मिलता है. पंचायतों में चौकीदार, सफाई कर्मी, कम्प्यूटर ऑपरेटर को 2 से ढाई हजार रुपए वेतनमान मिलता है. स्कूलों, छात्रावासों में अंशकालिक, दैनिक वेतनभोगी, भृत्य को करीबन 5 हजार रुपए मिलते हैं, जबकि उन्हें 5 से 10 साल नौकरी करते हुए हो गए हैं. इसी तरह स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ आउटसोर्स कर्मचारियों की स्थिति है. जबकि सरकार द्वारा तय न्यूनतम वेतनमान ही 11 हजार 800 रुपए है, लेकिन सरकार ही अपने कर्मचारियों को न्यूनतम वेतनमान नहीं दे रही है.''

भोपाल के नीलम पार्क में आउटसोर्स कर्मचारियों का धरना (ETV Bharat)

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कई महीने बाद मिली प्रदर्शन की अनुमति
कर्मचारी संगठन के पदाधिकारी वासुदेव शर्मा ने बताया, ''कामकार क्रांति आंदोलन के तहत राजधानी आकर हम सरकार के सामने अपनी मांग रख रहे हैं. हमारी सरकार से एक ही मांग है कि सरकार ने जो न्यूनतम वेतनमान तय किया है, वह तो कम से कम दिया जाए. अपनी यह जायज मांग को सरकार के सामने रखने के लिए महीनों से भोपाल में धरना प्रदर्शन की अनुमति नहीं मिल रही थी.'' उन्होंने आरोप लगाया कि, ''प्रदेश के सभी सरकारी विभागों का 80 फीसदी निजीकरण हो चुका है. ऐसे में सरकारी विभागों के कर्मचारियों की नौकरी की सुरक्षा नहीं बची है.'' उन्होंने कहा कि, ''आउटसोर्स कर्मचारियों के वेतनमान से 18 फीसदी जीएसटी तक काटा जा रहा है.''

भोपाल: मध्यप्रदेश के विभिन्न विभागों में पदस्थ आउटसोर्स, अंशकालीन और ग्राम पंचायतों में पदस्थ कर्मचारियों ने न्यूनतम वेतनमान की मांग को लेकर कमर कस ली है. प्रदेश भर के जिलों से आए कर्मचारियों ने भोपाल के नीलम पार्क में अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन दिया. कर्मचारी श्रम मंत्री से मिलने की मांग पर अड़े हैं. कर्मचारियों की मांग है कि प्रदेश सरकार ने कर्मचारियों के लिए जो न्यूनतम वेतनमान तय किया है, वह तो दिया जाए. प्रदेश में कई कर्मचारी सालों से ढाई हजार से लेकर 5 हजार रुपए महीने के वेतनमान पर काम कर रहे हैं.

'नौकरी में सुरक्षा नहीं बची'
आउटसोर्स अस्थाई, अंशकालीन, ग्राम पंचायत कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारी वासुदेव शर्मा ने कहा कि, ''नौकरी में सुरक्षा नहीं है और न ही सम्मानजनक वेतनमान मिलता है. पंचायतों में चौकीदार, सफाई कर्मी, कम्प्यूटर ऑपरेटर को 2 से ढाई हजार रुपए वेतनमान मिलता है. स्कूलों, छात्रावासों में अंशकालिक, दैनिक वेतनभोगी, भृत्य को करीबन 5 हजार रुपए मिलते हैं, जबकि उन्हें 5 से 10 साल नौकरी करते हुए हो गए हैं. इसी तरह स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ आउटसोर्स कर्मचारियों की स्थिति है. जबकि सरकार द्वारा तय न्यूनतम वेतनमान ही 11 हजार 800 रुपए है, लेकिन सरकार ही अपने कर्मचारियों को न्यूनतम वेतनमान नहीं दे रही है.''

भोपाल के नीलम पार्क में आउटसोर्स कर्मचारियों का धरना (ETV Bharat)

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कई महीने बाद मिली प्रदर्शन की अनुमति
कर्मचारी संगठन के पदाधिकारी वासुदेव शर्मा ने बताया, ''कामकार क्रांति आंदोलन के तहत राजधानी आकर हम सरकार के सामने अपनी मांग रख रहे हैं. हमारी सरकार से एक ही मांग है कि सरकार ने जो न्यूनतम वेतनमान तय किया है, वह तो कम से कम दिया जाए. अपनी यह जायज मांग को सरकार के सामने रखने के लिए महीनों से भोपाल में धरना प्रदर्शन की अनुमति नहीं मिल रही थी.'' उन्होंने आरोप लगाया कि, ''प्रदेश के सभी सरकारी विभागों का 80 फीसदी निजीकरण हो चुका है. ऐसे में सरकारी विभागों के कर्मचारियों की नौकरी की सुरक्षा नहीं बची है.'' उन्होंने कहा कि, ''आउटसोर्स कर्मचारियों के वेतनमान से 18 फीसदी जीएसटी तक काटा जा रहा है.''

Last Updated : Sep 22, 2024, 5:35 PM IST
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