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IPS कैलाश मकवाना बने मध्य प्रदेश के नए DGP, महाकाल लोक भ्रष्टाचार की शुरु कराई थी जांच - MP NEW DGP KAILASH MAKWANA

महाकाल लोक कॉरिडोर के भ्रष्टाचार की जांच करने वालों आईपीएस अधिकारी कैलाश मकवाना को मध्य प्रदेश की बड़ी जिम्मेदारी मिली.

MP NEW DGP KAILASH MAKWANA
IPS कैलाश मकवाना बने मध्यप्रदेश के नए डीजीपी (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 24, 2024, 9:36 AM IST

भोपाल: लोकायुक्त में महानिदेशक रहते महाकाल लोक कॉरिडोर की भ्रष्टाचार की जांच शुरू कराने वाले 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी कैलाश मकवाना मध्य प्रदेश के नए डीजीपी होंगे. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विदेश यात्रा पर जाने के बाद देर रात गृह विभाग ने इस संबध में आदेश जारी कर दिए हैं. कैलाश मकवाना 1 दिसंबर 2024 को प्रदेश के डीजीपी के रूप में कार्यभार संभालेंगे. वह मध्य प्रदेश के 32वें डीजीपी होंगे. कैलाश मकवाना दिसंबर 2025 तक इस पद पर रहेंगे. प्रदेश के मौजूदा डीजीपी सुधीर सक्सेना 30 नवंबर 2024 को रिटायर्ड होने जा रहे हैं. उन्हें 4 मार्च 2020 को डीजीपी बनाया गया था.

सख्त और ईमानदार अधिकारी हैं मकवाना

कैलाश मकवाना की छवि सख्त और ईमानदार अधिकारी के रूप में रही है. वे अभी मध्य प्रदेश पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन के चेयरमैन है. इसके पहले शिवराज सरकार ने उन्हें लोकायुक्त में डीजी बनाया था. इस पद को संभालते ही उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई तेज करा दी. कई पुरानी भ्रष्टाचार की फाइलों को धूल झड़ाकर बाहर निकाला गया और उन पर जांच शुरू की गई. उन्होंने महाकाल लोक कॉरिडोर में हुए भ्रष्टाचार की जांच भी शुरू की, लेकिन इससे वे सरकार की आंख में किरकिरी बन गए और सरकार ने उन्होंने करीब छह माह बाद ही यहां से हटाकर पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन में भेज दिया था.

इसके बाद मकवाना की एसीआर यानी गोपनीय चरित्रावली कम कर दी गई थी. मकवाना ने इसे सुधरवाने के लिए शिवराज सरकार से अपील की और सरकार से कहा कि लोकायुक्त संगठन में डीजी रहने के दौरान उनकी एसीआर खराब कर दी गई. इसे दुर्भावनापूर्वक खराब किया गया.

लगातार झेला तबादला

कैलाश मकवाना 2019 से 2022 के बीच 9 बार तबादला हुआ हैं. कमलनाथ सरकार के दौरान 2019 में उन्हें एडीजी इंटेलिजेंस बनाया, लेकिन बाद में हटाकर एजीपी प्रशासन बना दिया गया. 2020 में उन्हें एडीजी नाकोटिक्स बनाया, लेकिन 1 माह बाद ही सीआईडी में भेज दिया गया. 2021 में पुलिस हाउसिंग कॉपोरेशन में भेजा. फिर लोकायुक्त में डीजी बनाया, लेकिन कुछ माह बाद ही यहां से हटा दिया गया. 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी कैलाश मकवाना अविभाजित मध्य प्रदेश में दंतेवाड़ा, बस्तर, मंदसौर और बैतूल में एसपी रहे.

तीन नामों के पैनल में मकवाना निकले आगे

मध्य प्रदेश के नए डीजीपी की रेस में प्रदेश के 9 सीनियर आईपीएस अधिकारी थे. इनमें डीपी होमगार्ड अरविंद कुमार, पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन के चेयरमैन कैलाश मकवाना, डीजी ईओडब्ल्यू अजय कुमार शर्मा, डीजी जेल जीपी सिंह, स्पेशल डीजी आरएपीटीसी इंदौर वरूण कुमार, पुलिस हाउसिंग कार्पोशन के एमडी उपेन्द्र कुमार जैन, प्रतिनियुक्ति में दिल्ली में पदस्थ आलोक रंजन, स्पेशल डीजी महिला सेल प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव और स्पेशल डीजी तकनीकी सेवाएं योगेश मुदगल का नाम शामिल था. इन अधिकारियों में से 3 आईपीएस अधिकारियों का पैनल तैयार किया गया था. इनमें 1988 बैच के अरविंद कुमार, कैलाश मकवाना और 1989 बैच के अजय कुमार शर्मा का नाम सबसे आगे था.

भोपाल: लोकायुक्त में महानिदेशक रहते महाकाल लोक कॉरिडोर की भ्रष्टाचार की जांच शुरू कराने वाले 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी कैलाश मकवाना मध्य प्रदेश के नए डीजीपी होंगे. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विदेश यात्रा पर जाने के बाद देर रात गृह विभाग ने इस संबध में आदेश जारी कर दिए हैं. कैलाश मकवाना 1 दिसंबर 2024 को प्रदेश के डीजीपी के रूप में कार्यभार संभालेंगे. वह मध्य प्रदेश के 32वें डीजीपी होंगे. कैलाश मकवाना दिसंबर 2025 तक इस पद पर रहेंगे. प्रदेश के मौजूदा डीजीपी सुधीर सक्सेना 30 नवंबर 2024 को रिटायर्ड होने जा रहे हैं. उन्हें 4 मार्च 2020 को डीजीपी बनाया गया था.

सख्त और ईमानदार अधिकारी हैं मकवाना

कैलाश मकवाना की छवि सख्त और ईमानदार अधिकारी के रूप में रही है. वे अभी मध्य प्रदेश पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन के चेयरमैन है. इसके पहले शिवराज सरकार ने उन्हें लोकायुक्त में डीजी बनाया था. इस पद को संभालते ही उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई तेज करा दी. कई पुरानी भ्रष्टाचार की फाइलों को धूल झड़ाकर बाहर निकाला गया और उन पर जांच शुरू की गई. उन्होंने महाकाल लोक कॉरिडोर में हुए भ्रष्टाचार की जांच भी शुरू की, लेकिन इससे वे सरकार की आंख में किरकिरी बन गए और सरकार ने उन्होंने करीब छह माह बाद ही यहां से हटाकर पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन में भेज दिया था.

इसके बाद मकवाना की एसीआर यानी गोपनीय चरित्रावली कम कर दी गई थी. मकवाना ने इसे सुधरवाने के लिए शिवराज सरकार से अपील की और सरकार से कहा कि लोकायुक्त संगठन में डीजी रहने के दौरान उनकी एसीआर खराब कर दी गई. इसे दुर्भावनापूर्वक खराब किया गया.

लगातार झेला तबादला

कैलाश मकवाना 2019 से 2022 के बीच 9 बार तबादला हुआ हैं. कमलनाथ सरकार के दौरान 2019 में उन्हें एडीजी इंटेलिजेंस बनाया, लेकिन बाद में हटाकर एजीपी प्रशासन बना दिया गया. 2020 में उन्हें एडीजी नाकोटिक्स बनाया, लेकिन 1 माह बाद ही सीआईडी में भेज दिया गया. 2021 में पुलिस हाउसिंग कॉपोरेशन में भेजा. फिर लोकायुक्त में डीजी बनाया, लेकिन कुछ माह बाद ही यहां से हटा दिया गया. 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी कैलाश मकवाना अविभाजित मध्य प्रदेश में दंतेवाड़ा, बस्तर, मंदसौर और बैतूल में एसपी रहे.

तीन नामों के पैनल में मकवाना निकले आगे

मध्य प्रदेश के नए डीजीपी की रेस में प्रदेश के 9 सीनियर आईपीएस अधिकारी थे. इनमें डीपी होमगार्ड अरविंद कुमार, पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन के चेयरमैन कैलाश मकवाना, डीजी ईओडब्ल्यू अजय कुमार शर्मा, डीजी जेल जीपी सिंह, स्पेशल डीजी आरएपीटीसी इंदौर वरूण कुमार, पुलिस हाउसिंग कार्पोशन के एमडी उपेन्द्र कुमार जैन, प्रतिनियुक्ति में दिल्ली में पदस्थ आलोक रंजन, स्पेशल डीजी महिला सेल प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव और स्पेशल डीजी तकनीकी सेवाएं योगेश मुदगल का नाम शामिल था. इन अधिकारियों में से 3 आईपीएस अधिकारियों का पैनल तैयार किया गया था. इनमें 1988 बैच के अरविंद कुमार, कैलाश मकवाना और 1989 बैच के अजय कुमार शर्मा का नाम सबसे आगे था.

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