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"वाहन का बीमा कराने के बाद चेक बाउंस तो पॉलिसी वैध नहीं" MP हाईकोर्ट का आदेश - MP high court - MP HIGH COURT

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर ने वाहन बीमा पॉलिसी को लेकर अहम आदेश जारी किया है. दरअसल, वाहन मालिक ने पॉलिसी तो करा ली लेकिन उसका चेक बाउंस हो गया और राशि को नहीं भरा गया. इस कारण बीमा कंपनी क्लैम देने के लिए बाध्य नहीं है.

MP HIGH COURT
वाहन बीमा पॉलिसी को लेकर हाईकोर्ट का अहम आदेश (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 3, 2024, 3:39 PM IST

जबलपुर। हाईकोर्ट जस्टिस एके सिंह की एकलपीठ ने अपने अहम आदेश में कहा है "वैध पॉलिसी होने पर ही अनुबंध की शर्तें लागू जा सकती हैं." एकलपीठ ने इस आदेश के साथ ही इंश्योरेंस कंपनी को राहत देते हुए क्लेम देने से मुक्त कर दिया. दरअसल, बीमाधारक ने पॉलिसी तो करा ली लेकिन बीमा कंपनी को रकम नहीं मिली क्योंकि दिया गया चेक बाउंस हो गया.

89 हजार रुपये अदा करने के खिलाफ याचिका

मामले के अनुसार यूनाइटेड इंश्योरेंस कंपनी की तरफ से दायर की गयी अपील में कहा गया कि प्रथम अतिरिक्त मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण मंडला ने सड़क दुर्घटना के मामले में 89 हजार रुपये का अवार्ड पारित किया है. अवार्ड की राशि बीमा कंपनी, मोटर मालिक तथा चालक को अदा करनी थी. अधिकरण द्वारा बीमा कंपनी के प्रशासनिक अधिकारी के कथन को दरकिनार किये जाने के कारण ये अपील दायर की जा रही है. बीमा कंपनी की तरफ से कहा गया कि दुर्घटना के समय वाहन का बीमा नहीं था.

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बीमा राशि वाहन मालिक व चालक को देनी होगी

याचिका में ये भी बताया गया कि बीमा की राशि के लिए जो चेक दिया गया था, वह बाउंस हो गया था. इस संबंध में बीमा कंपनी ने मोटर मालिक का अवगत करवा दिया था. वैध पॉलिसी नहीं होने के कारण बीमा कंपनी पर मुआवजा का दायित्व नहीं बनता है. वहीं, अधिकरण ने तीसरे पक्ष होने के कारण बीमा कंपनी पर भी दायित्व निर्धारित किया है. एकलपीठ ने सुनवाई के बाद अपने अहम आदेश में कहा है "तीसरे पक्ष के लिए एग्रीमेंट के तहत अधिकार नहीं बनता और इसे लागू नहीं किया जा सकता है." कोर्ट ने मोटर मालिक तथा वाहन चालक से राशि वसूलने के निर्देश जारी किए.

जबलपुर। हाईकोर्ट जस्टिस एके सिंह की एकलपीठ ने अपने अहम आदेश में कहा है "वैध पॉलिसी होने पर ही अनुबंध की शर्तें लागू जा सकती हैं." एकलपीठ ने इस आदेश के साथ ही इंश्योरेंस कंपनी को राहत देते हुए क्लेम देने से मुक्त कर दिया. दरअसल, बीमाधारक ने पॉलिसी तो करा ली लेकिन बीमा कंपनी को रकम नहीं मिली क्योंकि दिया गया चेक बाउंस हो गया.

89 हजार रुपये अदा करने के खिलाफ याचिका

मामले के अनुसार यूनाइटेड इंश्योरेंस कंपनी की तरफ से दायर की गयी अपील में कहा गया कि प्रथम अतिरिक्त मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण मंडला ने सड़क दुर्घटना के मामले में 89 हजार रुपये का अवार्ड पारित किया है. अवार्ड की राशि बीमा कंपनी, मोटर मालिक तथा चालक को अदा करनी थी. अधिकरण द्वारा बीमा कंपनी के प्रशासनिक अधिकारी के कथन को दरकिनार किये जाने के कारण ये अपील दायर की जा रही है. बीमा कंपनी की तरफ से कहा गया कि दुर्घटना के समय वाहन का बीमा नहीं था.

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बीमा राशि वाहन मालिक व चालक को देनी होगी

याचिका में ये भी बताया गया कि बीमा की राशि के लिए जो चेक दिया गया था, वह बाउंस हो गया था. इस संबंध में बीमा कंपनी ने मोटर मालिक का अवगत करवा दिया था. वैध पॉलिसी नहीं होने के कारण बीमा कंपनी पर मुआवजा का दायित्व नहीं बनता है. वहीं, अधिकरण ने तीसरे पक्ष होने के कारण बीमा कंपनी पर भी दायित्व निर्धारित किया है. एकलपीठ ने सुनवाई के बाद अपने अहम आदेश में कहा है "तीसरे पक्ष के लिए एग्रीमेंट के तहत अधिकार नहीं बनता और इसे लागू नहीं किया जा सकता है." कोर्ट ने मोटर मालिक तथा वाहन चालक से राशि वसूलने के निर्देश जारी किए.

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