जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अधिवक्ताओं की प्रदेशव्यापी हड़ताल को संज्ञान में लेते हुए मामले की सुनवाई जनहित याचिका के रूप में करने के आदेश दिये थे. अब हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने प्रदेश के सभी जिला व तहसील बार एसोसिएशन को जवाब पेश करने के लिए अंतिम समय प्रदान किया है. युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई 15 अप्रैल को निर्धारित की है.
पिछले साल मार्च में की थी वकीलों ने हड़ताल
गौरतलब है कि मार्च 2023 में अधिवक्ता बेमियादी प्रदेशव्यापी हड़ताल पर चले गये थे. हाईकोर्ट ने अधिवक्ताओं को तत्काल काम पर वापस लौटने के आदेश दिए. हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को हवाला देते हुए कहा था कि अधिवक्ता काम पर नहीं लौटते हैं तो इसे न्यायालय की अवमानना माना जायेगा. आदेश का पालन नहीं करने वाले अधिवक्ताओं के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जायेगी और उनका निष्कासन किया जायेगा. हाईकोर्ट ने रजिस्ट्री को निर्देश दिए थे कि आदेश की प्रति के साथ स्टेट बार काउंसिल के चेयरमैन, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन जबलपुर, इंदौर व ग्वालियर के अध्यक्ष, हाईकोर्ट एडवोकेट्स बार एसोसिएशन जबलपुर के अध्यक्ष के अलावा प्रदेश भर के जिला तथा तहसील बार एसोसिएशन के अध्यक्षों को नोटिस जारी करें.
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हाईकोर्ट ने हड़ताल वापस लेने का निर्देश दिया था
युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा था कि 25 प्रकरणों के निराकरण का आदेश तीन माह के लिए स्थगित कर दिया गया था. इसकी सूचना ई-मेल के माध्यम से भेजी गयी थी. इसके बावजूद स्टेट बार एसोसिएशन के चेयरमैन ने राज्यव्यापी हड़ताल की घोषणा कर दी. इसके अलावा बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन ने भी 23 मार्च को स्टेट बार के चेयरमैन को पत्र लिखकर तत्काल हड़ताल वापस लेने के निर्देश दिए थे, जिसका पालन भी नहीं किया गया. हाईकोर्ट ने बीसीआई को निर्देशित किया था कि आदेश के बावजूद भी काम पर नहीं लौटने वाले अधिवक्ताओं के खिलाफ कार्रवाई कर न्यायालय को अवगत करवाएं.