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MP हाईकोर्ट में फर्जी नर्सिंग कॉलेजों के मामले की सुनवाई, स्टडेंट्स की गुहार-'सरकार ने लापरवाही की, सजा हमें क्यों' - mp high court update

MP Nursing Colleges Scam: मध्यप्रदेश में फर्जी नर्सिंग कॉलेजों के मामलों की सुनवाई हाईकोर्ट में जारी है. सीबीआई जांच में अमानक पाए गए कॉलेजों के छात्रों ने अब हाई कोर्ट में याचिका लगाकर गुहार लगाई है. इनका कहना है कि सरकार ने अनेदखी कर कॉलेजों को मान्यता दी है तो इसकी सजा हम लोगों को क्यों मिलनी चाहिए.

MP Fake Nursing Colleges
MP हाईकोर्ट में फर्जी नर्सिंग कॉलेजों के मामले की सुनवाई
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Mar 12, 2024, 12:35 PM IST

जबलपुर। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा नर्सिंग कॉलेज के मान्यता नियम शिथिल किये जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई है. सीबीआई की जांच रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट द्वारा अयोग्य घोषित किये गये कॉलेज व छात्रों की तरफ से याचिका लगाई गई है. मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी द्वारा 2023-24 को जीरो ईयर घोषित किये जाने के खिलाफ भी आवेदन दायर किया गया है. हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी तथा जस्टिस एके पालीवाल की युगलपीठ ने सभी आवेदनों पर फैसला सुरक्षित रखने के आदेश जारी किये हैं.

सीबीआई जांच में कितने कॉलेज फर्जी पाए गए और कितने सही

गौरतलब है कि लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन की तरफ से प्रदेश में संचालित फर्जी नर्सिंग कॉलेजों को संचालन को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. सुनवाई के दौरान प्रदेश के सभी नर्सिंग कॉलेजों की जांच करने के आदेश सीबीआई को दिए गए थे. सीबीआई की तरफ से 308 कॉलेजों की जांच रिपोर्ट बंद लिफाफे में पेश की गयी. सीबीआई ने बताया था कि सर्वोच्च न्यायालय ने 56 कॉलेजों की जांच पर स्थगन आदेश जारी किये हैं. सीबीआई रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में संचालित 169 नर्सिंग कॉलेज पात्र पाए गए हैं. जबकि 74 नर्सिंग कालेज ऐसे पाए गए, जो मानकों को तो पूरा नहीं करते हैं किंतु उनमें ऐसी अनियमितताएं हैं, जिन्हें सुधारा जा सकता है. इसके अलावा 65 कॉलेज आयोग्य पाये गये हैं.

कुछ कॉलेजों की कमियां दूर कराकर रिपोर्ट पेश करेगी कमेटी

इसके बाद हाईकोर्ट की युगलपीठ ने अपात्र पाए गए कॉलेजों को किसी भी प्रकार की राहत देने से इंकार कर दिया. इन कॉलेजों के छात्रों को किसी अन्य कॉलेजों में समायोजित नहीं किया जायेगा. इसके अलावा मानक पूरा नहीं करने वाले कॉलेजों की खामियां दूर करने के लिए हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जस्टिस आरके श्रीवास्तव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई. हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि मानक पूरा नहीं करने वाले कॉलेजों को खामियां दूर करने समय मिलेगा. निर्धारित समय अवधि के बाद कॉलेजों की रिपोर्ट व राज्य सरकार को सौंपी जायेगी. रिपोर्ट के आधार पर खामियां दूर नहीं करने वाले कॉलेजों पर राज्य सरकार कार्रवाई करेगी.

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अयोग्य घोषित कॉलेजों ने रखा हाईकोर्ट में अपना पक्ष

इसके बाद अयोग्य घोषित किये गये कॉलेज के छात्रों की तरफ से याचिका दायर की गई. इसमें कहा गया है कि नियमों की अनदेखी कर मान्यता प्रदान की गयी, जिसकी सजा उन्हें नहीं मिलनी चाहिये. अयोग्य घोषित किये गये कॉलेजों की तरफ से कहा गया कि कमियों के संबंध में उन्हें कुछ नहीं बताया गया. उन्हें कमियां बताई जाती है तो वह उन्हें दूर कर लेंगे. वहीं, योग्य घोषित किये गये कॉलेजों की तरफ से कहा गया कि मेडिकल यूनिवर्सिटी ने साल 2023-24 को जीरो ईयर घोषित किया है. जबकि जीरो ईयर घोषित करने का अधिकार राज्य सरकार को है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आलोक बागरेचा ने पैरवी की.

जबलपुर। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा नर्सिंग कॉलेज के मान्यता नियम शिथिल किये जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई है. सीबीआई की जांच रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट द्वारा अयोग्य घोषित किये गये कॉलेज व छात्रों की तरफ से याचिका लगाई गई है. मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी द्वारा 2023-24 को जीरो ईयर घोषित किये जाने के खिलाफ भी आवेदन दायर किया गया है. हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी तथा जस्टिस एके पालीवाल की युगलपीठ ने सभी आवेदनों पर फैसला सुरक्षित रखने के आदेश जारी किये हैं.

सीबीआई जांच में कितने कॉलेज फर्जी पाए गए और कितने सही

गौरतलब है कि लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन की तरफ से प्रदेश में संचालित फर्जी नर्सिंग कॉलेजों को संचालन को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. सुनवाई के दौरान प्रदेश के सभी नर्सिंग कॉलेजों की जांच करने के आदेश सीबीआई को दिए गए थे. सीबीआई की तरफ से 308 कॉलेजों की जांच रिपोर्ट बंद लिफाफे में पेश की गयी. सीबीआई ने बताया था कि सर्वोच्च न्यायालय ने 56 कॉलेजों की जांच पर स्थगन आदेश जारी किये हैं. सीबीआई रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में संचालित 169 नर्सिंग कॉलेज पात्र पाए गए हैं. जबकि 74 नर्सिंग कालेज ऐसे पाए गए, जो मानकों को तो पूरा नहीं करते हैं किंतु उनमें ऐसी अनियमितताएं हैं, जिन्हें सुधारा जा सकता है. इसके अलावा 65 कॉलेज आयोग्य पाये गये हैं.

कुछ कॉलेजों की कमियां दूर कराकर रिपोर्ट पेश करेगी कमेटी

इसके बाद हाईकोर्ट की युगलपीठ ने अपात्र पाए गए कॉलेजों को किसी भी प्रकार की राहत देने से इंकार कर दिया. इन कॉलेजों के छात्रों को किसी अन्य कॉलेजों में समायोजित नहीं किया जायेगा. इसके अलावा मानक पूरा नहीं करने वाले कॉलेजों की खामियां दूर करने के लिए हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जस्टिस आरके श्रीवास्तव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई. हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि मानक पूरा नहीं करने वाले कॉलेजों को खामियां दूर करने समय मिलेगा. निर्धारित समय अवधि के बाद कॉलेजों की रिपोर्ट व राज्य सरकार को सौंपी जायेगी. रिपोर्ट के आधार पर खामियां दूर नहीं करने वाले कॉलेजों पर राज्य सरकार कार्रवाई करेगी.

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अयोग्य घोषित कॉलेजों ने रखा हाईकोर्ट में अपना पक्ष

इसके बाद अयोग्य घोषित किये गये कॉलेज के छात्रों की तरफ से याचिका दायर की गई. इसमें कहा गया है कि नियमों की अनदेखी कर मान्यता प्रदान की गयी, जिसकी सजा उन्हें नहीं मिलनी चाहिये. अयोग्य घोषित किये गये कॉलेजों की तरफ से कहा गया कि कमियों के संबंध में उन्हें कुछ नहीं बताया गया. उन्हें कमियां बताई जाती है तो वह उन्हें दूर कर लेंगे. वहीं, योग्य घोषित किये गये कॉलेजों की तरफ से कहा गया कि मेडिकल यूनिवर्सिटी ने साल 2023-24 को जीरो ईयर घोषित किया है. जबकि जीरो ईयर घोषित करने का अधिकार राज्य सरकार को है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आलोक बागरेचा ने पैरवी की.

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