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मैनुअल स्कैवेंजर्स मामले में हाईकोर्ट की फटकार- दस साल पहले बना कानून, अभी तक कुछ नहीं किया

MP High Court Angry : मैनुअल स्कैवेंजर्स (हाथ से मैला ढोना) के रूप में रोजगार का निषेध और उनके पुनर्वास अधिनियम में दिये गये प्रावधानों का पालन नहीं किये जाने पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की.

MP High Court Angry
मैनुअल स्कैवेंजर्स मामले में हाईकोर्ट की फटकार
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 19, 2024, 7:44 PM IST

जबलपुर। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि मैनुअल स्कैवेंजर्स के मामले में अभी तक कुछ नहीं किया गया. गौरतलब है कि ग्वालियर के बिरला नगर में सीवर चैम्बर की सफाई के दौरान जहरीली गैस के रिसाव होने से दो श्रमिकों की मौत हो गई थी. इस मामले को हाई कोर्ट ने संज्ञान में लेते हुए सुनवाई जनहित याचिका के रूप में करने के निर्देश दिये थे.

ग्वालियर सीवर चैम्बर हादसा, सुनवाई जारी

संज्ञान याचिका में कहा गया था कि यह एक दिल दहलाने वाली घटना है. सीवर चैम्बर साफ करने गये दो मजदूर जहरीली गैस के रिसाव की चपेट में आ गये. बचाव के प्रयास के बावजूद मदद पहुंचने से पहले उनकी मौत हो गयी. इसी तरह की घटनाएं मध्य प्रदेश में कई जगहों पर हुई हैं. गरीब श्रमिकों को गटर या सीवर लाइन में प्रवेश करने के लिए भेजते समय उचित उपकरण उपलब्ध नहीं कराए जाते हैं. इस बात पर जोर देने की जरूरत नहीं है कि ऐसे लोग समाज के निचले तबके से आते हैं.

प्रावधानों के तहत होना था कमेटियों का गठन

याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया था कि सीवर चैम्बर नोमैन होल होगा और सफाई के लिए सिर्फ मशीनी होल होंगे. इस संबंध में सरकार द्वारा नोटिफिकेशन जारी किया जा रहा है. कोर्ट मित्र अधिवक्ता आकाश चौधरी की तरफ से युगलपीठ को बताया गया था कि मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार का निषेध और उनके पुनर्वास अधिनियम 2013 के तहत सरकार को विभिन्न कमेटी का गठन करना था. एक्ट के परिपालन के लिए कमेटी की समय-समय पर बैठक का आयोजित होनी थी.

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अगले सप्ताह याचिका पर फिर होगी सुनवाई

युगलपीठ ने याचिका में राज्य मानव अधिकार आयोग को अनावेदक बनाते हुए स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिये थे. याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से स्टेटस रिपोर्ट पेश करने समय प्रदान करने का आग्रह किया गया. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद तल्ख टिप्पणी करते हुए याचिका पर सुनवाई अगले सप्ताह निर्धारित की है.

जबलपुर। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि मैनुअल स्कैवेंजर्स के मामले में अभी तक कुछ नहीं किया गया. गौरतलब है कि ग्वालियर के बिरला नगर में सीवर चैम्बर की सफाई के दौरान जहरीली गैस के रिसाव होने से दो श्रमिकों की मौत हो गई थी. इस मामले को हाई कोर्ट ने संज्ञान में लेते हुए सुनवाई जनहित याचिका के रूप में करने के निर्देश दिये थे.

ग्वालियर सीवर चैम्बर हादसा, सुनवाई जारी

संज्ञान याचिका में कहा गया था कि यह एक दिल दहलाने वाली घटना है. सीवर चैम्बर साफ करने गये दो मजदूर जहरीली गैस के रिसाव की चपेट में आ गये. बचाव के प्रयास के बावजूद मदद पहुंचने से पहले उनकी मौत हो गयी. इसी तरह की घटनाएं मध्य प्रदेश में कई जगहों पर हुई हैं. गरीब श्रमिकों को गटर या सीवर लाइन में प्रवेश करने के लिए भेजते समय उचित उपकरण उपलब्ध नहीं कराए जाते हैं. इस बात पर जोर देने की जरूरत नहीं है कि ऐसे लोग समाज के निचले तबके से आते हैं.

प्रावधानों के तहत होना था कमेटियों का गठन

याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया था कि सीवर चैम्बर नोमैन होल होगा और सफाई के लिए सिर्फ मशीनी होल होंगे. इस संबंध में सरकार द्वारा नोटिफिकेशन जारी किया जा रहा है. कोर्ट मित्र अधिवक्ता आकाश चौधरी की तरफ से युगलपीठ को बताया गया था कि मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार का निषेध और उनके पुनर्वास अधिनियम 2013 के तहत सरकार को विभिन्न कमेटी का गठन करना था. एक्ट के परिपालन के लिए कमेटी की समय-समय पर बैठक का आयोजित होनी थी.

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अगले सप्ताह याचिका पर फिर होगी सुनवाई

युगलपीठ ने याचिका में राज्य मानव अधिकार आयोग को अनावेदक बनाते हुए स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिये थे. याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से स्टेटस रिपोर्ट पेश करने समय प्रदान करने का आग्रह किया गया. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद तल्ख टिप्पणी करते हुए याचिका पर सुनवाई अगले सप्ताह निर्धारित की है.

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