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MP का पहला रेंडरिंग प्लांट लगेगा भोपाल में, चिकन-मटन की दुकानों से निकले वेस्ट से होगी मोटी कमाई - MP first rendering plant

राजधानी भोपाल के आदमपुर छावनी में नगर निगम प्रदेश का पहला रेंडरिंग प्लांट लगाएगा. यहां मीट वेस्ट के निपटान में हर माह खर्च होने वाले 6 लाख रुपये की बचत होगी. वहीं संचालन एजेंसी निगम को हर महीने 50 हजार रुपये की रॉयल्टी भी देगी.

rendering plant set up Bhopal
एमपी का पहला रेंडरिंग प्लांट लगेगा भोपाल में (ETV BHOPAL)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jun 4, 2024, 4:39 PM IST

भोपाल। चिकन-मटन सहित स्लाटर हाउस और फिश मार्केट से चार प्रकार का मीट वेस्ट निकलता है. ये ऐसा वेस्ट है, जिसे निष्पादन करने के लिए नगर निगम को हर महीने 6 लाख रुपए खर्च करना पड़ते हैं. निष्पदान न करने की स्थिति में यह वेस्ट भोपाल की आबोहवा के साथ ही भूजल दूषित करता है. अब इस मीट वेस्ट को नष्ट करने के लिए नगर निगम भोपाल प्रदेश में पहला रेंडरिंग प्लांट लगाने जा रहा है. जिससे इसके निपटान में खर्च होने वाली राशि भी बचेगी और इसका संचालन करने वाली एजेंसी नगर निगम को रॉयल्टी भी देगी.

मीट वेस्ट से मछलियों और कुत्तों के लिए बनेगा खाना

बता दें कि शहर से निकलने वाले मीट वेस्ट से कुत्तों और मछलियों के लिए भोजन तैयार किया जाएगा. रेंडरिंग प्लांट का संचालन निजी एजेंसी करेगी. इससे मीट वेस्ट के निपटान में हर माह खर्च होने वाले 6 लाख रुपये की बचत होगी. वहीं संचालन एजेंसी निगम को हर महीने 50 हजार रुपये की रॉयल्टी भी देगी. आदमपुर छावनी में करीब एक एकड़ एरिया में नगर निगम प्रदेश का पहला रेंडरिंग प्लांट लगा रहा है. संचालन एजेंसी ही इसमें 5 करोड़ की मशीनें लगा रही है, जो बाहर से बुलाई गईं है.

शहर से निकलता है प्रतिदिन 25 टन वेस्ट

शहर में रोजाना 25 टन मांस वेस्ट निकलता है. चिकन-मटन की दुकानों और स्लाटर हाउस से तो आसानी से इसका कलेक्शन हो जाता है. लेकिन फिश मार्केट से इसे उठाने के लिए निगम के कर्मचारी लगते हैं. वहीं निगम के कचरा वाहन भी गीला-सूखा कचरा ट्रांसफर स्टेशन भेजने के बाद इस वेस्ट को उठाते हैं. फिर इसे आमदपुर छावनी भेजा जाता है. मांस वेस्ट की समस्या से मिली निजातडोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन के अलावा नगर निगम के वाहन शहर में मौजूद स्लाटर हाउस, फिश मार्केट, चिकन-मटन की दुकानों से भी मांस वेस्ट का कलेक्शन करता है. इसे निष्पादन करने के लिए निगम के पास पहले कोई इतंजाम नहीं थे. ज्यादातर निगम इस वेस्ट को जमीन में दफन करता था. अगर इसे खुला रखते तो चील-कौए और आवारा कुत्ते ले जाते थे जिससे पूरे इलाके में जगह-जगह मांस के टुकड़े नजर आते थे. वहीं जमीन में दफन करने पर भूजल प्रदूषित हो रहा था.

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स्वच्छता सर्वेक्षण की रैंकिंग में सुधार होने का दावा

मीट मांस वेस्ट के अलावा शहर में मरने वाले पशु भी निगम के लिए एक बड़ी समस्या है. हालांकि मृत पशुओं के लिए निगम ने एक साल पहले आदमपुर छावनी में इंसीनेटर प्लांट लगाया है. लेकिन इसके संचालन पर हर महीने 6 लाख रुपए खर्च हो रहे हैं. इसलिए अब मृत पशुओं, जिसमें कुत्ता, गधा-घोड़ा, बकरा-बकरियां शामिल हैं, इन्हें भी रेंडरिंग प्लांट भेजा जाएगा. ताकि इनका निष्पादन किया जा सके. वहीं अनुबंध के मुताबिक प्लांट संचालन करने वाली कंपनी निगम को हर महीने 50 हजार रुपए रायल्टी देगी. नगर निगम के अधीक्षण यंत्री सुबोध जैन ने बताया "हर साल स्वच्छता सर्वेक्षण की रैंकिंग में नगर निगम भोपाल पिछड़ रहा है. लेकिन इस बार सर्वेक्षण में रेंडरिंग प्लांट संचालन और मृत पशुओं सहित मांस वेस्ट के निष्पादन पर निगम को नंबर मिलना तय हैx."

भोपाल। चिकन-मटन सहित स्लाटर हाउस और फिश मार्केट से चार प्रकार का मीट वेस्ट निकलता है. ये ऐसा वेस्ट है, जिसे निष्पादन करने के लिए नगर निगम को हर महीने 6 लाख रुपए खर्च करना पड़ते हैं. निष्पदान न करने की स्थिति में यह वेस्ट भोपाल की आबोहवा के साथ ही भूजल दूषित करता है. अब इस मीट वेस्ट को नष्ट करने के लिए नगर निगम भोपाल प्रदेश में पहला रेंडरिंग प्लांट लगाने जा रहा है. जिससे इसके निपटान में खर्च होने वाली राशि भी बचेगी और इसका संचालन करने वाली एजेंसी नगर निगम को रॉयल्टी भी देगी.

मीट वेस्ट से मछलियों और कुत्तों के लिए बनेगा खाना

बता दें कि शहर से निकलने वाले मीट वेस्ट से कुत्तों और मछलियों के लिए भोजन तैयार किया जाएगा. रेंडरिंग प्लांट का संचालन निजी एजेंसी करेगी. इससे मीट वेस्ट के निपटान में हर माह खर्च होने वाले 6 लाख रुपये की बचत होगी. वहीं संचालन एजेंसी निगम को हर महीने 50 हजार रुपये की रॉयल्टी भी देगी. आदमपुर छावनी में करीब एक एकड़ एरिया में नगर निगम प्रदेश का पहला रेंडरिंग प्लांट लगा रहा है. संचालन एजेंसी ही इसमें 5 करोड़ की मशीनें लगा रही है, जो बाहर से बुलाई गईं है.

शहर से निकलता है प्रतिदिन 25 टन वेस्ट

शहर में रोजाना 25 टन मांस वेस्ट निकलता है. चिकन-मटन की दुकानों और स्लाटर हाउस से तो आसानी से इसका कलेक्शन हो जाता है. लेकिन फिश मार्केट से इसे उठाने के लिए निगम के कर्मचारी लगते हैं. वहीं निगम के कचरा वाहन भी गीला-सूखा कचरा ट्रांसफर स्टेशन भेजने के बाद इस वेस्ट को उठाते हैं. फिर इसे आमदपुर छावनी भेजा जाता है. मांस वेस्ट की समस्या से मिली निजातडोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन के अलावा नगर निगम के वाहन शहर में मौजूद स्लाटर हाउस, फिश मार्केट, चिकन-मटन की दुकानों से भी मांस वेस्ट का कलेक्शन करता है. इसे निष्पादन करने के लिए निगम के पास पहले कोई इतंजाम नहीं थे. ज्यादातर निगम इस वेस्ट को जमीन में दफन करता था. अगर इसे खुला रखते तो चील-कौए और आवारा कुत्ते ले जाते थे जिससे पूरे इलाके में जगह-जगह मांस के टुकड़े नजर आते थे. वहीं जमीन में दफन करने पर भूजल प्रदूषित हो रहा था.

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मीट मांस वेस्ट के अलावा शहर में मरने वाले पशु भी निगम के लिए एक बड़ी समस्या है. हालांकि मृत पशुओं के लिए निगम ने एक साल पहले आदमपुर छावनी में इंसीनेटर प्लांट लगाया है. लेकिन इसके संचालन पर हर महीने 6 लाख रुपए खर्च हो रहे हैं. इसलिए अब मृत पशुओं, जिसमें कुत्ता, गधा-घोड़ा, बकरा-बकरियां शामिल हैं, इन्हें भी रेंडरिंग प्लांट भेजा जाएगा. ताकि इनका निष्पादन किया जा सके. वहीं अनुबंध के मुताबिक प्लांट संचालन करने वाली कंपनी निगम को हर महीने 50 हजार रुपए रायल्टी देगी. नगर निगम के अधीक्षण यंत्री सुबोध जैन ने बताया "हर साल स्वच्छता सर्वेक्षण की रैंकिंग में नगर निगम भोपाल पिछड़ रहा है. लेकिन इस बार सर्वेक्षण में रेंडरिंग प्लांट संचालन और मृत पशुओं सहित मांस वेस्ट के निष्पादन पर निगम को नंबर मिलना तय हैx."

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