भोपाल। अनौपचारिक तौर पर तो पहले ही एमपी की राजनीति से कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को विधानसभा चुनाव के ठीक बाद विदाई दी जा चुकी है, लेकिन माना जा रहा है कि अब एमपी से ताल्लुक रखने वाले पार्टी के इन दो दिग्गज नेताओं को कांग्रेस ऑफिशियल भी मध्य प्रदेश के बाहर भेजेगी. कांग्रेस की फैक्ट फाइडिंग रिपोर्ट्स ने जो नतीजे दिए हैं. उसके साथ ही माना जा रहा है कि इसकी पटकथा लिखी जा चुकी है. असल में लोकसभा चुनाव में ये दो बड़े दिग्गज नेता ही कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा थे, लेकिन चुनाव में पार्टी का प्रचार तो दूर ये दिग्गज चुनाव के दौरान पार्टी में हुई टूट को संभालने में भी नाकामयाब रहे.
कमलनाथ और दिग्विजय के लिए अब नो एमपी
कांग्रेस की जो फैक्ट फाइंडिग कमेटी है उसकी बैठक में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह दोनों ही शामिल नहीं हुए, लेकिन जो फीडबैक पार्टी तक पहुंचा है. उसमें ये माना जा रहा है कि ये दोनों ही नेता ना लोकसभाचुनाव में पार्टी के प्रचार के लिए दम से निकले और ना ही पार्टी में हुई बड़ी टूट को संभाल पाए. वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भटनागर कहते हैं, 'ये कांग्रेस की राजनीतिक सेहत के लिए अच्छा नहीं था कि जिनका अपना गुट हो इतने मजबूत पार्टी का चेहरा रहे दो नेता अपनी-अपनी चौखट से बाहर नहीं आए.
एक राजगढ़ से बाहर नहीं निकले तो दूसरे छिंदवाड़ा से. ये इलाकाई नेता नहीं हैं. इनसे ये अपेक्षा की जाती है कि वे पूरे प्रदेश में मोर्चा संभालें. हैरत की बात है कि पार्टी में इतनी टूट हुई, उसे संभालने में भी इनकी कोई भूमिका नहीं थी.'
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अब दिल्ली में मिल सकती है जिम्मेदारी
माना जा रहा है कि कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को एआईसीसी में कोई जवाबदारी दी जा सकती है. यानि ये लगभग तय है कि एमपी चैप्टर इन नेताओं के लिए लगभग बंद हो गया है. यूं भी पार्टी ने नेता प्रतिपक्ष से लेकर प्रदेश अध्यक्ष तक उमंग सिंघार और जीतू पटवारी की नियुक्ति के साथ ये बता दिया है कि कांग्रेस अब पीढ़ी परिवर्तन के दौर से गुजर रही है.'