भोपाल। एमपी में 2019 के लोकसभा चुनाव में केवल एक सीट पर जीत दर्ज करा पाई कांग्रेस का दावा है कि 11 सीटों पर पार्टी इस बार बेहद मजबूती में हैं. जिनमें से 6 सीटों पर आसानी से जीत दर्ज करेगी. कांग्रेस का अनुमान है कि इस बार पार्टी के पक्ष में तीन से चार फीसदी मतदान प्रतिशत बढ़ सकता है. उधर बीजेपी पहले ही दावा कर चुकी है कि सर्वाधिक वोट शेयर के साथ रिकार्ड मतों से जीत भी बीजेपी के ही उम्मीदवार की होगी. 29 सीटों पर पार्टी का कमल खिलेगा.
ये 11 सीटें जहां कांग्रेस दिखा रही जीत का दम
एमपी में लोकसभा चुनाव की वोटिंग पूरी हो चुकी है. 29 सीटों पर भाग्य आजमा रहे उम्मीदवारों का भाग्य ईवीएम में कैद हो चुका है, लेकिन अब वोटिंग पैटर्न और प्रतिशत के आधार पर दावे हैं कि कौन कितना मजबूत है. बीते दो लोकसभा चुनाव से दो अंकों में नहीं पहुंच पाई कांग्रेस का दावा है कि इस बार पार्टी दो अंकों में लोकसभा सीट पर जीत दर्ज करेगी. कांग्रेस नेता के के मिश्रा कहते हैं 'छिंदवाड़ा सीट पर तो कांग्रेस की मजबूती है ही दिग्विजय सिंह के चुनाव मैदान में उतर जाने के बाद अब राजगढ़ सीट भी बीजेपी के खाते में जाएगी.
इसके अलावा मंडला मुरैना और रतलाम पर भी कांग्रेस जीत दर्ज करेगी. उधर ग्वालियर चंबल में भिंड-ग्वालियर के साथ विंध्य में सतना, रीवा, बालाघाट और भोपाल में पार्टी मजबूत स्थिति में है. केके मिश्रा कहते हैं इस बार चुनाव में माहौल बदला हुआ है. कांग्रेस का अंडर करंट है. वे कहते हैं कांग्रेस का वोट शेयर भी पिछले चुनाव के मुकाबले तीन से चार प्रतिशत बढ़ेगा. मिश्रा कहते हैं आमजन जुमलेबाजी और उत्तरोत्तर मंहगाईं से त्रस्त है, पूरे देश में मतदाताओं की खामोशी एक नया इतिहास लिखेगी. लगातार मोदी - शाह का तिलस्म टूट रहा है, जो परिणामों में दिखाई देगा.'
जानिए कैसे जीत के रिकार्ड बनाएगी बीजेपी
उधर बीजेपी का दावा है कि इस बार पार्टी का वोट शेयर 10 फीसदी तक बढ़ेगा. पिछली बार जो 58 फीसदी था, वो अब बढ़कर 65 फीसदी के पार जाएगा. बीजेपी के प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल कहते हैं, 'बीजेपी का इस चुनाव में वोट शेयर भी बढ़ेगा. जो सबसे बड़े रिकार्ड से जीत होगी. वो भी बीजेपी के ही उम्मीदवार क नाम दर्ज होगी. इस बार हम पूरी 29 सीटें जीतेंगे.' क्या कम हुए मतदान का असर नहीं होगा, इस पर वे कहते हैं कि 'जो कम वोट शेयर हुआ है वो असल में कांग्रेस के प्रति लोगों की उदासीनता है. वही वोटर घर से बाहर नहीं निकला.'
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वोटिंग प्रतिशत क्यों सिमटा, मतदान की चुप्पी के मायने क्या
वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भटनागर कहते हैं, 'इस बार के चुनाव में किसी तरह की कोई लहर नहीं थी. ये ठीक है कि बीजेपी ने मोदी की गारंटी के साथ माहौल बनाने की कोशिश की. लेकिन 2014 और 2019 के मुकाबले 2024 का चुनाव ठंडा कहा जाएगा. एमपी में उसका असर भी दिखा. एमपी में पूरे चार चरणों में चुनाव खत्म हुए, लेकिन वोटिंग प्रतिशत 66.77 फीसदी तक पहुंचा जो 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले चार फीसदी कम है.