भोपाल: मध्य प्रदेश बीजेपी के जिलाध्यक्षों की सूची का लंबा इंतजार गुरुवार यानि आज खत्म हो सकता है. जानकारी के मुताबिक सूची फाइनल हो चुकी है और किसी भी समय इस सूची का एलान किया जा सकता है. पहले ये सूची 5 जनवरी को जारी होनी थी, लेकिन कई जिलों में एक नाम पर सहमति ना बन पाने की वजह से गतिरोध इतना बढ़ा कि ये पूरा मामला केन्द्रीय नेतृत्व तक पहुंचा. सबसे ज्यादा खींचतान बुंदेलखंड में सागर और ग्वालियर चंबल से जुड़े जिलो को लेकर थी.
प्रदेश अधअयक्ष वीडी शर्मा और प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा दिल्ली पहुंचे थे. जहां राष्ट्रीय सह संगठन प्रभारी शिवप्रकाश और प्रदेश प्रभारी डॉ महेन्द्र सिंह से मंथन के बाद सूची को अंतिम रूप दिया जा सकता है. अब भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर की तरह सागर और धार जिले में भी शहर और ग्रामीण दो हिस्सों में जिला अधयक्ष घोषित किए जाएंगे. जानकारी के मुताबिक ये भी कहा गया है कि कद्दावर नेताओं के यहां से बीजेपी जिलाध्यक्ष को लेकर कोई सूचना प्रेषित ना की जाए.
लिस्ट फाइनल किसी भी समय हो सकता है एलान
लंबे समय से अटकी बीजेपी जिलाध्यक्षों की सूची गुरुवार को जारी हो सकती है. दिल्ली में राष्ट्रीय सहसंगठन महामंत्री शिवप्रकाश और प्रदेश बीजेपी प्रभारी डॉ महेन्द्र सिंह से मंथन के बाद इसे अंतिम रूप दे दिया है. जानकारी के मुताबिक धार और सागर में दो ग्रामीण जिले बढ़ाने के साथ अब बीजेपी में 62 जिले हैं. जिन पर जानकारी के मुताबिक एक साथ ये सूची जारी होगी. प्रदेश बीजेपी मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने ईटीवी भारत को बताया कि "बीजेपी एक लोकतांत्रिक पार्टी है और पूरी प्रक्रिया के बाद ही किसी भी सूची को अंतिम रुप दिया जाता है.
जिलों की रायशुमारी से लेकर एक-एक नाम पर दिल्ली तक मंथन हुआ है. ये बताता है कि पार्टी में संगठन का हर सिपाही पार्टी के कितना महत्वपूर्ण है. जैसे ही सूची जारी होगी आपको भी इसकी जानकारी लग जाएगी."
कहां अटक गई थी जिलाअध्यक्षों की सूची
असल में ये पहली बार है कि जिला अध्यक्ष की सूची के एलान में इतना लंबा समय लगा. वजह ये थी कि कई जिलों में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का अपने समर्थकों को जिलाध्यक्ष बनाए जाने का दबाव था. कई जिलों में चूंकि कद्दावर नेताओं की तादात ज्यादा थी, इसलिए एक नाम पर आम सहमति बनना कठिन हो रहा था. वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भटनागर कहते हैं, "बुंदेलखंड में आप देखिए तो गोपाल भार्गव ,भूपेन्द्र सिंह और गोविंद सिंह राजपूत ये तीन दिग्गज नेता हैं. जो अपनी पसंद का जिलाध्यक्ष चाह रहे हैं.
कमोबेश यही स्थिति ग्वालियर चंबल में भी रही. वहां भी सिंधिया और तोमर गुट में खींचतान है. यही वजह है कि आमतौर पर संगठन के चुनाव में तय समय सीमा में निपट जाने वाला बीजेपी के जिलाध्यक्ष के चुनाव में इतनी देरी हुई. उसकी वजह से प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव भी टल गया."
अब 60 नहीं 62 जिलों पर होगा बीजेपी जिलाध्यक्षों का एलान
वैसे बीजेपी के संगठनात्मक जिले 60 हैं, लेकिन इस बार सागर और धार में शहरी और ग्रामीण दो हिस्से कर दिए जाने के बाद अब 62 जिलों पर एक साथ जिलाध्यक्षों की सूची का एलान होगा. बीजेपी संगठनात्मक रूप से चार प्रमुख जिले भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर और इंदौर बड़े जिले होने की वजह से इन्हें शहरी और ग्रामीण दो हिस्सों में बांटा गया है.
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जिलाध्यक्षों के रिपीट होने की संभावना नहीं
पहले खास तौर पर भोपाल और इंदौर के जिलाध्यक्ष को रिपीट किए जाने को लेकर दबाव था. इंदौर जिलाध्यक्ष गौरव रणदिवे और भोपाल जिला अध्यक्ष सुमित पचौरी को युवा होने की वजह से रिपीट किए जाने का दबाव था, लेकिन पार्टी किसी भी जिलाध्यक्ष को रिपीट किए जाने पर विचार नहीं कर रही, बल्कि माना जा रहा है कि इस बार बड़ी तादात में महिलाओं को जिलाध्यक्ष के पद पर मौका दिया जाएगा.