छिंदवाड़ा। चुनाव के दौरान वोट मांगने के लिए जाने पर नेताजी को क्या-क्या जतन नहीं करने पड़ते. नेताजी मतदाताओं को हरसंभव रिझाने की कोशिश करते हैं. वोट के लिए प्रत्याशी अपने मतदाताओं के पैर भी छूते हैं. लेकिन अमरवाड़ा के उपचुनाव में एक ऐसे नेताजी हैं जो गांवों मे वोट मांगने पहुंचते हैं तो जनता उनके पैरों पर झुककर प्रणाम करती है. दरअसल, दादा धूनी वाले दरबार के छोटे महाराज चुनावी मैदान में हैं. अमरवाड़ा में विधानसभा के उपचुनाव 10 जुलाई है. ऐसे में कांग्रेस के प्रत्याशी धीरनशा ऐसे नेता हैं, जब वे गांव में वोट मांगने पहुंचते हैं तो लोग उनके पैर छूने के लिए लाइन लगा लेते हैं.
आंचलकुंड दरबार क्या है इतिहास
दरअसल, धीरनशा इनवाती आंचलकुंड दादा धूनी वाले दरबार के मुख्य पुजारी सुखराम दास बाबा के बेटे हैं, जिनकी छोटे महाराज के नाम से भी पहचान है. इस दरबार की पूरे इलाके में काफी आस्था है. इसी के चलते लोग छोटे महाराज के पैर छूने के लिए लाइन लगा लेते हैं. बता दें कि करीब 200 साल पहले आंचलकुंड धाम में खंडवा के दादाजी धूनीवाले केशवानंद जी महाराज और हरिहर महाराज ने आकर अपने भक्त कंगाल दास बाबा को दर्शन दिए थे और धूनी रमाई थी. वह धूनी आज भी लगातार जल रही है. लोगों का मानना है कि इसी धूनी की भभूति से लोगों की बीमारियां, कष्ट और परेशानियां दूर होती हैं. इस भभूति को लेने के लिए लोग हर दिन आंचलकुंड धाम पहुंचते हैं. कंगाली दास बाबा की चौथी पीढ़ी अब सेवादार के रूप में यहां पर है. फिलहाल सुखरामदास बाबा यहां के मुख्य सेवादार हैं. उनके बेटे धीरनशा को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया है.
आंचलकुंड दरबार और महल के बीच चुनाव
लगातार तीन बार कांग्रेस से विधायक रहे कमलेश प्रताप शाह हर्रई राजघराने के राजा हैं. लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़कर बीजेपी का दामन थामा और विधायक पद से इस्तीफा दिया. इसी के चलते अमरवाड़ा में उपचुनाव हो रहे. राजघराने को टक्कर देने के लिए कांग्रेस ने अमरवाड़ा विधानसभा सीट पर आदिवासियों की आस्था का केंद्र आंचलकुंड दादा धूनी वाले दरबार के छोटे महाराज को मैदान में उतारा. अब चुनावी लड़ाई कांग्रेस और बीजेपी के बीच में नहीं बल्कि हर्रई राजमहल और आंचलकुंड दादा दरबार के नाम पर हो रही है.
बीजेपी व कांग्रेस के अपने-अपने मुद्दे
एक तरफ जहां बीजेपी राजमहल की दुहाई देकर विकास को आगे बढ़ाने की बात कर रही है तो वहीं कांग्रेस पूर्व विधायक की दगाबाजी जनता के सामने लाकर आंचलकुंड दरबार के नाम पर वोट मांग रही है. कांग्रेस का कहना है कि जिस आंचलकुंड दरबार में बड़े राजनीतिक दिग्गज भी सिर झुकाते हैं, इस दरबार के छोटे महाराज अब लोगों के घर जाकर वोट मांग रहे हैं, जिसका फायदा कांग्रेस को जरूर मिलेगा. धूनी वाले दरबार से धार्मिक सेवा के बाद राजनीतिक सेवादार भी मैदान में आएंगे.
ये खबरें भी पढ़ें... जिस मठ के पुजारी को कांग्रेस ने बनाया उम्मीदवार, बीजेपी का कुनबा माथा टेकने पहुंचा उनके द्वार |
आंचलकुंड दादा दरबार के उत्तराधिकारी है धीरनशा
आंचलकुंड दादा दरबार की परंपरा है कि चार पीढ़ियां से एक ही परिवार वहां पर सेवादार के तौर पर काम कर रहा है. वर्तमान में बाबा सुखराम दास यहां के मुख्य सेवादार हैं. उनके बाद उत्तराधिकारी होंगे उनके बेटे धीरनशा, जिन्हें छोटे महाराज के नाम से भी पहचाना जाता है. छोटे महाराज धीरनशा इनवाती चुनावी मैदान में आने में आने से पहले सेवा सहकारी समिति में सेल्समैन के पद पर थे. उन्होंने टिकट मिलने के दिन ही नौकरी से इस्तीफा दिया था और फिर सीधे चुनावी मैदान में आ गए.