भीलवाड़ा. सरसों की फसल में मोयले का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. ऐसे में कृषि विभाग के सयुंक्त निदेशक ने कहा कि मोयले से फसलों को बचाने के लिए रासायनिक दवा का छिड़काव करें. अगर किसान इनका छिड़काव नहीं करेंगे, तो उत्पादन में भी फर्क पड़ेगा.
सर्दी के बाद जैसे-जैसे तापमान में बढ़ोतरी हो रही है, वैसे-वैसे मोयले का प्रकोप भी बढ़ता जा रहा है. इस बार किसानों द्वारा बोई गई सरसों की फसल में मोयले (मच्छर) का प्रकोप ज्यादा हो रहा है. मोयले से बचाने के लिए भीलवाड़ा कृषि विभाग के सयुंक्त निदेशक डॉ इंदर सिंह सचेती ने किसानों को सलाह दी है.
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सयुंक्त निदेशक ने कहा कि वर्तमान समय में मौसम में बदलाव हो रहा है. तापक्रम लगातार बढ़ रहा है. इस तापक्रम के बढ़ते हुए क्रम को देखते हुए मोयले की संभावना बढ़ गई है. इससे सरसों की फसल में नुकसान हो सकता है. इसके लिए किसान अपने खलियान में सरसों की फसल में मिथाईल पेराथियान व मेलाथियान पाउडर का छिड़काव करें. अगर पानी की सुविधा उपलब्ध है, तो मैलाथियन 50 इसी या डाईमेथाऐट एक लीटर रासायनिक दवा का एक हेक्टेयर में छिड़काव करें. वहीं किसान नीम के निंबोली का अर्क बनाकर छिड़काव भी कर सकते हैं.
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लगातार मोयला बढ़ने से फसलों में भी नुकसान होता है. इसमें रस चूसने वाला कीड़ा है, जो सरसों की फसल में फलियों व पौधे से रस चूसता है. इसलिए इनका नियंत्रण करना जरूरी है. अगर रस चूसने वाले कीड़े पर कंट्रोल नहीं किया, तो फसल के उत्पादन में भी फर्क पड़ता है. क्योंकि हरे रंग की फलियों पर यह मच्छर चूसता रहता है, जिससे सरसों का दाना छोटा हो जाता है और उत्पादन में भी गिरावट आ जाती है.