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मुरैना में मौत का सफर, जितनी सवारी बस के अंदर उतनी ही छत पर, कई लटककर कर रहे यात्रा, जिम्मेदार बेसुध - Morena Overloaded Bus Running - MORENA OVERLOADED BUS RUNNING

मुरैना में सवारी वाहनों से यात्रा करना किसी जंग पर जाने के बराबर है. यहां पर लोग अपनी जान हथेली पर लेकर यात्रा करते है. मुरैना की सड़कों पर बसों की छत पर बैठे व वाहनों के पीछे लटक कर यात्रा करते लोग दिखाई देंगे. वहीं यहां का प्रशासन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति करता है.

MORENA OVERLOADED BUS RUNNING
जान पर खेलकर सफर कर रहे मुरैना के लोग (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 25, 2024, 9:50 AM IST

मुरैना: जिले भर में यात्री वाहन में लोग अपनी जान जोखिम में डालकर सफर कर रहे हैं. नेशनल हाइवे पर चलने वाले यात्री वाहनों में चालक और परिचालक सीट से दोगुनी संख्या में यात्री बैठाते हैं और ज्यादा मुनाफा कमाने के लालच में यात्रियों की जिंदगी को खतरे में डाल गेट और खिड़की पर लटका लेते हैं. नेशनल हाइवे पर यह ओवरलोड वाहन अनियंत्रित स्पीड में फर्राटे भरते हैं. जिससे आए दिन हादसे हो जाते हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है.

मुरैना की सड़कों पर दौड़ रहे ओवरलोड सवारी वाहन (ETV Bahrat)

जान जोखिम में डालकर यात्रा कर रहे लोग

आपको बता दें कि प्रदेश भर में ओवरलोडेड वाहनों से कई हादसे हो चुके हैं, लेकिन उसके बाद शासन और प्रशासन इन ओवरलोडेड वाहनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं करता है. हादसा होने पर कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति करते हैं, फिर वो कार्रवाई भी ठंडे बस्ते में डाल दी जाती है. यही वजह है कि सड़कों पर यात्री वाहन क्षमता से दोगुनी सवारी भरकर बेखौफ फर्राटा भर रहे हैं. ऐसा सिर्फ बस चालक ही नहीं कर रहे हैं, बल्कि टमटम से लेकर के पिकअप और स्कूली वैनों के भी यही हालात है.

गेट पर लटकर सफर करने को मजबूर लोग

मुरैना शहर के जौरा रोड से लेकर के कैलारस सबलगढ़ और अंबाह पोरसा रोड की जब जमीनी हकीकत जानकर आप भी दंग रह जाएंगे. जिस यात्री बस की क्षमता 30 सवारी ले जाने की है. उसमें 100 से 120 सवारी भरी हुई थी. बस चालक द्वारा पहले तो बस को अंदर से सवारियों को खचाखच भर लिया जाता है, फिर ऊपर छत पर लोगों को बिठा दिया जाता है. इसके बाद बचे-कुचे यात्री गेट से लटक कर सफर करते हैं.

यहां पढ़ें...

मारुति वैन में जानवरों की तरह ठूसे जा रहे बच्चे, हादसों के बाद भी स्कूल प्रशासन नहीं ले रहा सबक

जान जोखिम में डालकर बस की छत पर यात्रा कर रहे बच्चे, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति

स्कूली वैन और डग्गामार वाहनों की बात की जाए तो उनकी स्थिति और भी चिंताजनक है. उनमें भी छमता से अधिक लोग बैठ कर सफर करते हैं. जिसके चलते कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है, लेकिन जिम्मेदार है कि कार्रवाई करने से बचते हुए नजर आते हैं. इस मामले में ASP डॉ. अरविंद ठाकुर का कहना है कि "जब भी ओवरलोड वाहनों की शिकायत मिलती है, तो कार्रवाही जरूर की जाती है. वैसे ये RTO से संबिधित है और एसपी साहब ने उनको कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए हैं."

मुरैना: जिले भर में यात्री वाहन में लोग अपनी जान जोखिम में डालकर सफर कर रहे हैं. नेशनल हाइवे पर चलने वाले यात्री वाहनों में चालक और परिचालक सीट से दोगुनी संख्या में यात्री बैठाते हैं और ज्यादा मुनाफा कमाने के लालच में यात्रियों की जिंदगी को खतरे में डाल गेट और खिड़की पर लटका लेते हैं. नेशनल हाइवे पर यह ओवरलोड वाहन अनियंत्रित स्पीड में फर्राटे भरते हैं. जिससे आए दिन हादसे हो जाते हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है.

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जान जोखिम में डालकर यात्रा कर रहे लोग

आपको बता दें कि प्रदेश भर में ओवरलोडेड वाहनों से कई हादसे हो चुके हैं, लेकिन उसके बाद शासन और प्रशासन इन ओवरलोडेड वाहनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं करता है. हादसा होने पर कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति करते हैं, फिर वो कार्रवाई भी ठंडे बस्ते में डाल दी जाती है. यही वजह है कि सड़कों पर यात्री वाहन क्षमता से दोगुनी सवारी भरकर बेखौफ फर्राटा भर रहे हैं. ऐसा सिर्फ बस चालक ही नहीं कर रहे हैं, बल्कि टमटम से लेकर के पिकअप और स्कूली वैनों के भी यही हालात है.

गेट पर लटकर सफर करने को मजबूर लोग

मुरैना शहर के जौरा रोड से लेकर के कैलारस सबलगढ़ और अंबाह पोरसा रोड की जब जमीनी हकीकत जानकर आप भी दंग रह जाएंगे. जिस यात्री बस की क्षमता 30 सवारी ले जाने की है. उसमें 100 से 120 सवारी भरी हुई थी. बस चालक द्वारा पहले तो बस को अंदर से सवारियों को खचाखच भर लिया जाता है, फिर ऊपर छत पर लोगों को बिठा दिया जाता है. इसके बाद बचे-कुचे यात्री गेट से लटक कर सफर करते हैं.

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कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति

स्कूली वैन और डग्गामार वाहनों की बात की जाए तो उनकी स्थिति और भी चिंताजनक है. उनमें भी छमता से अधिक लोग बैठ कर सफर करते हैं. जिसके चलते कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है, लेकिन जिम्मेदार है कि कार्रवाई करने से बचते हुए नजर आते हैं. इस मामले में ASP डॉ. अरविंद ठाकुर का कहना है कि "जब भी ओवरलोड वाहनों की शिकायत मिलती है, तो कार्रवाही जरूर की जाती है. वैसे ये RTO से संबिधित है और एसपी साहब ने उनको कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए हैं."

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