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गांव में नहीं पहुंचती एंबुलेंस, खाट पर ढोए जाते हैं मरीज, आजादी के बाद से आउट ऑफ कवरेज है यह गांव - Morena Chhoti Konthar No Road

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 30, 2024, 1:08 PM IST

मुरैना के कई गांवों में अब तक पक्की सड़कें नहीं बनी है. जिसकी वजह से इन गांवों की हालत बद से बदतर है. अगर यहां कोई बीमार पड़ जाता है, तो उसको खाट के सहारे अस्पताल पहुंचाया जाता है. ऐसा ही एक मामला छोटी कोंथर से आया है.

MORENA CHHOTI KONTHAR NO ROAD
कीचड़ वाले रास्ते से मरीज को खाट पर लेकर निकलते ग्रामीण (ETV Bharat)

मुरैना: जिले के कई गांवों में आजादी के बाद से अब तक सड़कें नहीं बन पाई है. जिसके चलते गांव में स्वास्थ्य सेवाएं भी नहीं पहुंच पाती हैं. पोरसा जनपद क्षेत्र के कई गांवों की हालत शासन प्रशासन की लापरवाही की वजह से खराब बनी हुई है. बीते दिनों छोटी कोंथर गांव में जब एक व्यक्ति की अचानक तबीयत बहुत खराब हो गई, तो उसे खाट पर लिटाकर 3 किलोमीटर ले जाना पड़ा. तब जाकर उसको उपचार मिल सका.

छोटी कोंथर गांव तक नहीं पहुंचती एंबुलेंस (ETV Bharat)

गांव तक नहीं पहुंची एंबुलेंस

ताजा मामला जिले के पोरसा ब्लॉक की छोटी कोंथर कलां गांव से सामने आया है. यहां सड़क नहीं होने से ग्रामीण मजबूरन कीचड़ से होकर गुजर रहे हैं. खास बात तो यह है कि अगर गांव में किसी व्यक्ति की तबीयत बिगड़ जाए, तो उसे लेने के लिए गांव तक एंबुलेंस नहीं पहुंचती है. यही वजह है कि कोंथर कलां गांव निवासी हरिओम तोमर का स्वास्थ्य खराब होने पर उन्हें खाट पर लादकर ग्रामीण कीचड़युक्त 3 किमी लंबे रास्ते से लेकर अस्पताल पहुंचे. जिसके बाद उन्हें इलाज मिल सका.

मरीज को खाट पर ले जाने को मजबूर ग्रामीण

आपको बता दें कि छोटी कौंथर के 5 मजरा जिनमें रन सिंह का पुरा, दफेदार का पुरा, जसवंत का पुरा, हरीज्ञान सिंह का पुरा और बुद्ध सिंह का पुरा गांव के लिए पक्का रास्ता नहीं हैं. बारिश के समय इन गांवों में कोई बीमार होता है, तो गांव तक एबुलेंस नहीं पहुंच पाती है. इन गावों से तीन किमी दूर धनेटा गांव तक मरीज को चारपाई पर ही ले जाना पड़ता है. इस दौरान ग्रामीणों कीचड़ से होकर गुजरना पड़ता है. वहीं स्कूल जाने वाले बच्चों को भी आने जाने में परेशानी होती है. कई बार तो स्कूली बच्चों के कपड़े भी खराब हो जाते हैं.

यहां पढ़ें...

काल जैसे बीतता है बारिश का महीना, मूलभूत सुविधाओं का अभाव, प्रसूता को खाट पर ले जाते ग्रामीण

बालाघाट में सड़क की हालत देख एंबुलेंस ने मानी हार, खाट बनी बेबस महिला का सहारा

सांसद और विधायक देते हैं सिर्फ आश्वासन

ग्रामीणों का कहना हैं कि चुनाव के समय सड़क बनवाने का हर कोई वादा कर जाता है. उसके बाद सभी लोग हमारी परेशानी को भूल जाते हैं. वहीं ग्रामीण अनिल तोमर ने कहा कि "पूर्व में कई बार शासन व प्रशासन के नुमाइंदे विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, सांसद और विधायकों से शिकायत की जा चुकी है, लेकिन हर कोई आश्वासन देकर भूल जाता है. वहीं इस मामले को लेकर संयुक्त कलेक्टर शुभम शर्मा ने कहा कि, "यह मामला हमारे संज्ञान में आया है और अगर ऐसा है तो जांच करवाते हैं. जो भी संभव होगा उसी के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी."

मुरैना: जिले के कई गांवों में आजादी के बाद से अब तक सड़कें नहीं बन पाई है. जिसके चलते गांव में स्वास्थ्य सेवाएं भी नहीं पहुंच पाती हैं. पोरसा जनपद क्षेत्र के कई गांवों की हालत शासन प्रशासन की लापरवाही की वजह से खराब बनी हुई है. बीते दिनों छोटी कोंथर गांव में जब एक व्यक्ति की अचानक तबीयत बहुत खराब हो गई, तो उसे खाट पर लिटाकर 3 किलोमीटर ले जाना पड़ा. तब जाकर उसको उपचार मिल सका.

छोटी कोंथर गांव तक नहीं पहुंचती एंबुलेंस (ETV Bharat)

गांव तक नहीं पहुंची एंबुलेंस

ताजा मामला जिले के पोरसा ब्लॉक की छोटी कोंथर कलां गांव से सामने आया है. यहां सड़क नहीं होने से ग्रामीण मजबूरन कीचड़ से होकर गुजर रहे हैं. खास बात तो यह है कि अगर गांव में किसी व्यक्ति की तबीयत बिगड़ जाए, तो उसे लेने के लिए गांव तक एंबुलेंस नहीं पहुंचती है. यही वजह है कि कोंथर कलां गांव निवासी हरिओम तोमर का स्वास्थ्य खराब होने पर उन्हें खाट पर लादकर ग्रामीण कीचड़युक्त 3 किमी लंबे रास्ते से लेकर अस्पताल पहुंचे. जिसके बाद उन्हें इलाज मिल सका.

मरीज को खाट पर ले जाने को मजबूर ग्रामीण

आपको बता दें कि छोटी कौंथर के 5 मजरा जिनमें रन सिंह का पुरा, दफेदार का पुरा, जसवंत का पुरा, हरीज्ञान सिंह का पुरा और बुद्ध सिंह का पुरा गांव के लिए पक्का रास्ता नहीं हैं. बारिश के समय इन गांवों में कोई बीमार होता है, तो गांव तक एबुलेंस नहीं पहुंच पाती है. इन गावों से तीन किमी दूर धनेटा गांव तक मरीज को चारपाई पर ही ले जाना पड़ता है. इस दौरान ग्रामीणों कीचड़ से होकर गुजरना पड़ता है. वहीं स्कूल जाने वाले बच्चों को भी आने जाने में परेशानी होती है. कई बार तो स्कूली बच्चों के कपड़े भी खराब हो जाते हैं.

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बालाघाट में सड़क की हालत देख एंबुलेंस ने मानी हार, खाट बनी बेबस महिला का सहारा

सांसद और विधायक देते हैं सिर्फ आश्वासन

ग्रामीणों का कहना हैं कि चुनाव के समय सड़क बनवाने का हर कोई वादा कर जाता है. उसके बाद सभी लोग हमारी परेशानी को भूल जाते हैं. वहीं ग्रामीण अनिल तोमर ने कहा कि "पूर्व में कई बार शासन व प्रशासन के नुमाइंदे विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, सांसद और विधायकों से शिकायत की जा चुकी है, लेकिन हर कोई आश्वासन देकर भूल जाता है. वहीं इस मामले को लेकर संयुक्त कलेक्टर शुभम शर्मा ने कहा कि, "यह मामला हमारे संज्ञान में आया है और अगर ऐसा है तो जांच करवाते हैं. जो भी संभव होगा उसी के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी."

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