ETV Bharat / state

चंबल नदी का पानी पीने योग्य नहीं!, WII की टीम पहली बार मशीनों से करेगी जांच - WII Check Chambal Water Quality - WII CHECK CHAMBAL WATER QUALITY

चंबल नदी का पानी जलीय-जीवों के साथ मनुष्यों के लिए कितना पीने योग्य है, इसकी जांच करने के लिए राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल सेंक्चुरी और भारतीय वन्यजीव संस्थान की टीम पहली बार मुरैना पहुंचेगी. अत्याधुनिक मशीनों के जरिये पानी की जांच की जाएगी.

Chambal river water testing
चंबल नदी के पानी की होगी मशीनों से जांच (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jun 1, 2024, 4:38 PM IST

मुरैना। एक पुरानी कहावत है कि चंबल की कोख में शेर पलते हैं लेकिन इसके पानी में कितना दम है इसकी गुणवत्ता परखने के लिए डब्ल्यूआईआई की टीम पहली बार मुरैना पहुंचेगी. वैज्ञानिकों के डेलीगेट्स ने फॉरेस्ट विभाग के अधिकारियों से मुलाकात कर पूरी रूपरेखा तैयार कर ली है. यह टीम एक पखवाड़े के अंदर श्योपुर से लेकर यूपी के पचनदा घाट तक भ्रमण कर पानी के कई जगह से सैंपल लेगी और फिर पानी की जांच अत्याधुनिक मशीनों के जरिये की जाएगी.

डब्ल्यूआईआई की टीम करेगी चंबल के पानी की जांच (ETV Bharat)

चंबल के पानी की होगी जांच

चंबल नदी के 495 किलोमीटर के एरिया में चंबल का पानी जलीय जीवों के साथ मनुष्यों के लिए कितना पीने योग्य है, इसकी जांच करने के लिए राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल सेंक्चुरी और भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) की टीम जल्द ही मुरैना पहुंचेगी. बताते हैं कि 3 दिन पहले वैज्ञानिकों के डेलीगेट्स ने फॉरेस्ट विभाग के अधिकारियों के साथ एक बैठक आयोजित कर अपनी पूरी कार्य योजना बना ली है. इस योजना के तहत जून के पहले सप्ताह से डब्ल्यूआईआई की टीम पानी की सैंपलिंग का काम शुरू कर देगी.

श्योपुर से यूपी तक भम्रण करेगी टीम

फॉरेस्ट विभाग के अधिकारियों के अनुसार डब्ल्यूआईआई की टीम बोट और अन्य साधनों के जरिये श्योपुर से लेकर यूपी के पचनदा तक चंबल नदी का भ्रमण कर पानी के सैंपल लेगी. पानी की जांच के लिए अत्याधुनिक तकनीक से निर्मित मशीनें लाई जा रही हैं. DFO स्वरूप दीक्षित का कहना है कि "चंबल नदी से अलग-अलग जगहों से पानी लेकर इसकी गुणवत्ता जांची जायेगी. इस सर्वे टीम के साथ वन विभाग की टीम भी साथ रहेगी. ये सर्वे जून के शुरुआत से ही शुरू होगा."

3 चरणों में होगी पानी की जांच

DFO स्वरूप दीक्षित का कहना है कि "पानी की गुणवत्ता 3 चरणों में परखी जाएगी. इनमें से पहली जांच में पानी में ऑक्सीजन की मात्रा देखी जाएगी. अभी तक हुई छोटी-मोटी जांचों में चम्बल के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा महज 3.4 फीसदी पाई गई है. तलहटी से लेकर ऊपर तक पानी में ऑक्सीजन की मात्रा कितनी है, यह पता लगाने के लिए डिजाल्व ऑक्सीजन की जांच होगी. इसके साथ ही स्वच्छ पेयजल में कैल्शियम, मैग्नीशियम, सल्फर जैसे मिनरल्स पाए जाते हैं, चंबल के पानी में कौन-कौन से मिनरल्स कितनी मात्रा में मौजूद हैं इसकी भी जांच की जाएगी. दूसरा चंबल नदी के किनारों पर पानी में कई प्रजाति के छोटे-छोटे वनस्पति पौधे पाए जाते हैं जो 12 महीने हरे-भरे रहते हैं. इन वनस्पति पौधों से पानी की गुणवत्ता पर क्या असर पड़ रहा है इसका पता लगाने के लिए प्लेंकन जांच की जाएगी. इसके अलावा पानी में अपशिष्ट पदार्थो की जांच भी की जाएगी."

ये भी पढ़ें:

चंबल नदी में बढ़ा घड़ियालों का कुनबा, मुरैना से पचनदा तक जलीय जीवों की भरमार, सर्वे में आये चौकाने वाले आंकड़े

खत्म हो रहा ग्वालियर का पानी! भीषण गर्मी में यहां हर रोज होती है पानी के लिए मारामारी

पेयजल के लिए सप्लाई होगा चंबल का पानी

वन अधिकारियों के अनुसार वर्ष 2012 में की गई जांच में पानी में अपशिष्ट पदार्थ की मात्रा 249 मिलीग्राम प्रति लीटर पाई गई थी. जो वर्ष 2013 में बढ़कर 374 मिलीग्राम प्रति लीटर पहुंच गई. पेयजल में अपशिष्ट पदार्थों की मात्रा शून्य होनी चाहिए, तभी पानी को पेयजल योग्य माना जाता है. जांच परिणाम आने के बाद चंबल के पानी में पाई जाने वाली कमियों को दूर कर नदी को स्वच्छ बनाने का काम शुरू होगा. चंबल का पानी आगामी साल में मुरैना, ग्वालियर में पेयजल सप्लाई में मिलेगा इसलिए भी यह जांच बेहद अहम मानी जा रही है.

मुरैना। एक पुरानी कहावत है कि चंबल की कोख में शेर पलते हैं लेकिन इसके पानी में कितना दम है इसकी गुणवत्ता परखने के लिए डब्ल्यूआईआई की टीम पहली बार मुरैना पहुंचेगी. वैज्ञानिकों के डेलीगेट्स ने फॉरेस्ट विभाग के अधिकारियों से मुलाकात कर पूरी रूपरेखा तैयार कर ली है. यह टीम एक पखवाड़े के अंदर श्योपुर से लेकर यूपी के पचनदा घाट तक भ्रमण कर पानी के कई जगह से सैंपल लेगी और फिर पानी की जांच अत्याधुनिक मशीनों के जरिये की जाएगी.

डब्ल्यूआईआई की टीम करेगी चंबल के पानी की जांच (ETV Bharat)

चंबल के पानी की होगी जांच

चंबल नदी के 495 किलोमीटर के एरिया में चंबल का पानी जलीय जीवों के साथ मनुष्यों के लिए कितना पीने योग्य है, इसकी जांच करने के लिए राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल सेंक्चुरी और भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) की टीम जल्द ही मुरैना पहुंचेगी. बताते हैं कि 3 दिन पहले वैज्ञानिकों के डेलीगेट्स ने फॉरेस्ट विभाग के अधिकारियों के साथ एक बैठक आयोजित कर अपनी पूरी कार्य योजना बना ली है. इस योजना के तहत जून के पहले सप्ताह से डब्ल्यूआईआई की टीम पानी की सैंपलिंग का काम शुरू कर देगी.

श्योपुर से यूपी तक भम्रण करेगी टीम

फॉरेस्ट विभाग के अधिकारियों के अनुसार डब्ल्यूआईआई की टीम बोट और अन्य साधनों के जरिये श्योपुर से लेकर यूपी के पचनदा तक चंबल नदी का भ्रमण कर पानी के सैंपल लेगी. पानी की जांच के लिए अत्याधुनिक तकनीक से निर्मित मशीनें लाई जा रही हैं. DFO स्वरूप दीक्षित का कहना है कि "चंबल नदी से अलग-अलग जगहों से पानी लेकर इसकी गुणवत्ता जांची जायेगी. इस सर्वे टीम के साथ वन विभाग की टीम भी साथ रहेगी. ये सर्वे जून के शुरुआत से ही शुरू होगा."

3 चरणों में होगी पानी की जांच

DFO स्वरूप दीक्षित का कहना है कि "पानी की गुणवत्ता 3 चरणों में परखी जाएगी. इनमें से पहली जांच में पानी में ऑक्सीजन की मात्रा देखी जाएगी. अभी तक हुई छोटी-मोटी जांचों में चम्बल के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा महज 3.4 फीसदी पाई गई है. तलहटी से लेकर ऊपर तक पानी में ऑक्सीजन की मात्रा कितनी है, यह पता लगाने के लिए डिजाल्व ऑक्सीजन की जांच होगी. इसके साथ ही स्वच्छ पेयजल में कैल्शियम, मैग्नीशियम, सल्फर जैसे मिनरल्स पाए जाते हैं, चंबल के पानी में कौन-कौन से मिनरल्स कितनी मात्रा में मौजूद हैं इसकी भी जांच की जाएगी. दूसरा चंबल नदी के किनारों पर पानी में कई प्रजाति के छोटे-छोटे वनस्पति पौधे पाए जाते हैं जो 12 महीने हरे-भरे रहते हैं. इन वनस्पति पौधों से पानी की गुणवत्ता पर क्या असर पड़ रहा है इसका पता लगाने के लिए प्लेंकन जांच की जाएगी. इसके अलावा पानी में अपशिष्ट पदार्थो की जांच भी की जाएगी."

ये भी पढ़ें:

चंबल नदी में बढ़ा घड़ियालों का कुनबा, मुरैना से पचनदा तक जलीय जीवों की भरमार, सर्वे में आये चौकाने वाले आंकड़े

खत्म हो रहा ग्वालियर का पानी! भीषण गर्मी में यहां हर रोज होती है पानी के लिए मारामारी

पेयजल के लिए सप्लाई होगा चंबल का पानी

वन अधिकारियों के अनुसार वर्ष 2012 में की गई जांच में पानी में अपशिष्ट पदार्थ की मात्रा 249 मिलीग्राम प्रति लीटर पाई गई थी. जो वर्ष 2013 में बढ़कर 374 मिलीग्राम प्रति लीटर पहुंच गई. पेयजल में अपशिष्ट पदार्थों की मात्रा शून्य होनी चाहिए, तभी पानी को पेयजल योग्य माना जाता है. जांच परिणाम आने के बाद चंबल के पानी में पाई जाने वाली कमियों को दूर कर नदी को स्वच्छ बनाने का काम शुरू होगा. चंबल का पानी आगामी साल में मुरैना, ग्वालियर में पेयजल सप्लाई में मिलेगा इसलिए भी यह जांच बेहद अहम मानी जा रही है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.