देहरादून: उम्मीद के मुताबिक आखिरकार 28 जून के दिन उत्तराखंड में मानसून पहुंच गया है. सुबह से ही पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में बारिश हो रही है. मौसम में परिवर्तन उत्तराखंड के कई जिलों में बृहस्पतिवार देर शाम से ही होना शुरू हो गया था. लेकिन शुक्रवार सुबह से मूसलाधार बारिश शुरू हो गई है. जिससे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं मौसम विभाग और वैज्ञानिक अंदेशा जता रहे हैं कि मानसून इस बार न केवल लंबा रहेगा, बल्कि अत्यधिक बारिश भी होगी.
कुमाऊं मंडल में सबसे ज्यादा बारिश: बता दें कि साल 2023 भी उत्तराखंड में बारिश के लिहाज से अच्छा नहीं रहा था और बीते साल राज्य को भारी नुकसान और जनहानि का सामना भी करना पड़ा था. मानसून की पहली बारिश का सबसे ज्यादा असर कुमाऊं मंडल में देखने को मिला है. कुमाऊं के नैनीताल, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा जैसे जनपदों में सुबह से ही मूसलाधार बारिश हो रही है. हालांकि मैदानी क्षेत्र की बात करें तो उधम सिंह नगर में अभी इतना असर देखा नहीं गया है. लेकिन इसी जिले में बीते तीन दिनों में बिजली गिरने से तीन लोगों की मौत हुई है. खटीमा में 25 जून को खेत में काम कर रहे भाई बहन की आसमानी बिजली गिरने से मौत हो गई थी. जबकि 27 जून को ही उधम सिंह नगर जिले में एक व्यक्ति के ऊपर बिजली गिरने से उसकी मृत्यु हो गई थी. हालांकि मौजूदा समय में उधम सिंह नगर में अत्यधिक बारिश दर्ज नहीं की गई है. कुमाऊं में लगातार बारिश हो रही है.
कुमाऊं कमिश्नर ने अधिकारियों को किया निर्देशित: बीते 24 घंटे में नैनीताल जिले में 102 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई है, जबकि रामनगर में 17 मिलीमीटर बारिश हुई है. पिथौरागढ़ में भी अच्छी खासी बारिश हुई है. प्रदेश में अब तक सबसे अधिक बारिश नैनीताल और देहरादून के साथ ही बागेश्वर में रिकॉर्ड की गई है. प्रशासन के स्तर पर भी मानसून को लेकर दिशा निर्देश जारी किए गए हैं. कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने सभी जिला अधिकारियों को मौसम विभाग के अलर्ट को देखते हुए हल्द्वानी, नैनीताल और आसपास के जनपदों में अधिकारियों को अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं. कोई भी अधिकारी और कर्मचारी अपना मोबाइल बंद ना करें और जनपदों को जोड़ने वाली सड़कों पर जेसीबी और कर्मचारियों को तैनात रखने के निर्देश दिए हैं. हल्द्वानी से नैनीताल जाने वाली मार्ग पर 40 जेसीबी तैनात की गई हैं. इसी के साथ जिन जगहों पर सड़कों का काम हो रहा है और मजदूर काम कर रहे हैं उन जगहों पर तत्काल मार्ग खोला जाए.
बारिश के बाद मौसम सुहावना: वहीं गढ़वाल कमिश्नर ने भी गढ़वाल के सभी जिला अधिकारियों को अलर्ट रहने को कहा है.कहा कि चारधाम यात्रा पर जा रहे श्रद्धालुओं से भी लगातार अपील की जा रही है कि तेज बारिश अगर आपको रास्ते में मिलती है तो अपनी गाड़ी को सुरक्षित स्थान पर खड़ी करके बारिश रुकने का इंतजार करें. वहीं सभी जिलाधिकारियों व चारधाम यात्रा मार्गों पर एसडीआरएफ को मुस्तैद रहने के निर्देश दिए हैं. गढ़वाल में अगर बारिश की बात करें तो हरिद्वार में आज सुबह झमाझम बारिश हुई. हालांकि देहरादून में बारिश का इतना असर शुक्रवार को नहीं देखा गया है. लेकिन मसूरी में लगातार बारिश हो रही है, जबकि चमोली में धूप खिली रही. कोटद्वार और पौड़ी में कई जगहों पर अच्छी खासी बारिश के बाद मौसम सुहावना हो गया है. प्रशासन इस मौसम में उत्तराखंड में आने वाले पर्यटकों और स्थानीय लोगों से यह भी अपील कर रहा है कि किसी भी तरह की पुरानी अथवा भ्रामक वीडियो पर भरोसा ना करें.
ऋषिकेश में खारा स्रोत में फंसे वाहन: वहीं ऋषिकेश में बीते दिन खारा स्रोत में गाड़ियों के फंसने के बाद खौफ का माहौल पैदा हो गया था. जिसके बाद प्रशासन ने कहा कि ऋषिकेश में जो गाड़ियां फंसी थी, वो पहाड़ों से आए पानी की वजह से हुआ था, जबकि ऋषिकेश में हालात सामान्य हैं. बरसाती नदी का अचानक जलस्तर बढ़ने से ये घटना घटित हुई थी. 27 जून की देर रात जारी हुए मौसम विभाग के बुलेटिन के मुताबिक अभी 1 जुलाई तक उत्तराखंड के सभी जनपदों में मौसम ऐसा ही रहने वाला है. हालांकि 30 और एक जुलाई को हरिद्वार में हल्की बारिश रहेगी. लेकिन सबसे ज्यादा अगर कहीं पर 28 जून यानि आज और 29 जून को बारिश होने की संभावना है. जिसमें रुद्रप्रयाग, टिहरी गढ़वाल और देहरादून जिला शामिल है.
लोगों को सचेत रहने की अपील: जबकि पिथौरागढ़ में भी 28 जून को अत्यधिक बारिश होने की चेतावनी जारी की गई है. कुमाऊं में इस बार अधिक बारिश हो सकती है. ऐसा आने वाले 4 दिन के आंकड़े कह रहे हैं. बागेश्वर में भी 28 यानि आज और 29 जून को तेज बारिश की संभावना जताई जा रही है. जबकि चंपावत और नैनीताल में भी 29 जून तक हैवी रेनफॉल बताया गया है. लिहाजा उत्तराखंड के पर्वतीय जनपदों में रहने वाले लोगों को सावधान रहने की जरूरत है.
हर साल मानसून में जाती हैं लोगों की जान: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और आपदा प्रबंधन विभाग के तमाम अधिकारी लगातार मानसून को लेकर पहले से ही तैयारी कर रहे हैं. सीएम धामी ने अब तक तीन से अधिक बैठक मानसून को लेकर की हैं और सभी जिलाधिकारी को निर्देश दिए हैं कि किसी भी परिस्थितियों में जान माल की हानि ना हो. बात अगर बीते साल की करें तो उत्तराखंड में बारिश का ट्रैक रिकॉर्ड कुछ अच्छा नहीं रहा है. साल 2023 भूस्खलन और अन्य वजह से राज्य में 87 लोगों की मौत रिकॉर्ड की गई थी. सबसे अधिक मौत उत्तराखंड में बारिश के दौरान भूस्खलन से होती हैं. साल 2023 में उत्तराखंड में 1173 भूस्खलन की घटनाएं सामने आई थी. जिसमें 30 लोगों की मौत मानसून के दौरान भूस्खलन से रिकॉर्ड की गई थी.
ऐसा नहीं है कि यह मौत का आंकड़ा साल 2023 में ही बड़ा है. अगर बीते कुछ सालों की बात करें तो साल 2015 में 12 लोगों की मौत हुई थी, जबकि साल 2016 में 24 लोगों की मौत मानसून के दौरान भूस्खलन और अन्य घटनाओं से हुई थी. साल 2017 में 17 लोगों की मौत हुई थी, जबकि साल 2018 में आंकड़ा बढ़कर 47 लोगों तक पहुंच गया था. साल 2019 में यह आंकड़ा 25 पर रहा, जबकि साल 2020 में भी 25 लोगों की मौत मानसून के दौरान हुई थी. साल 2021 में एक बार फिर से आंकड़ा बड़ा और यह 48 तक पहुंच गया. साल 2022 में 39 लोगों की मौत हुई, जबकि साल 2023 में भूस्खलन से 30 लोगों की मौत हुई थी.