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धमतरी के पुलिस थाने में मेहमान बनकर आए बंदर, जानिए फिर क्या हुआ - Dhamtari News - DHAMTARI NEWS

पुलिस थाना, कोर्ट और कचहरी, इन जगहों पर लोग मजबूरी में ही जाते हैं. कभी जाना भी पड़े तो लोग जल्द इनके झमेलों से बाहर निकलने की कोशिश में रहते हैं. लेकिन धमतरी के अर्जुनी थाने में कुछ मेहमान लगातार 2 महीने से जमे हुआ हैं. इन मेहमानों के रहने से थाना का स्टाफ भी खुशी और सुकून महसूस करता है. जानिए आखिर पूरा पुलिस स्टाफ इन मेहमानों की आवभगत में क्यों जुटा हुआ है.

ARJUNI POLICE STATION of Dhamtari
धमतरी के अर्जुनी थाना (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : May 27, 2024, 2:57 PM IST

Updated : May 27, 2024, 5:18 PM IST

धमतरी के अर्जुनी थाना में बंदरों का परिवार का डेरा (ETV Bharat)

धमतरी : जिले के अर्जुनी थाना परिसर में आए मेहमान इंसान नहीं बल्कि बंदर हैं. पिछले करीब 2 महीने से इस थाना में बंदरों का एक झुंड डेरा जमाए हुए हैं. पुलिस स्टाफ रोजाना इन बंदरों को खाना और पानी दे रहे हैं. इस भीषण गर्मी में इन बेजुबान जानवरों को इससे बड़ी राहत मिली है. वहीं पुलिस वाले इसे अपना मानव धर्म और कर्तव्य मानकर सेवा भाव से बेजुबानों को खाना खिला रहे हैं.

भूखे बंदरों को खिलाया खाना, तो थाने में जमाया डेरा : बंदरों के इस झुंड में छोटे छोटे बच्चे भी हैं. गर्मी की शुरुआत में ये झुंड जंगल से निकलकर शहर की ओर आ गए. थाने के पास इन बंदरों को कुछ पुलिस वालों ने भूखा प्यासा देख कर पानी, फल और बिस्किट वगैरह दे दिया. इस भीषण गर्मी में ठंडी छांव, भरपूर भोजन और पानी मिल जाये तो क्या ही बात है. बस, तभी से ये बंदर अर्जुनी पुलिस थाने में जम गए. अब दिन भर कोई न कोई पुलिस वाला इनके लिए कुछ न कुछ खाने का सामान ले आता है. कोई बाल्टी में इनके लिए पानी रख देता है. थाने में मौजूद आम, पीपल जैसे कई छायादार पेड़ से ठंडी छांव मिलती है. अब तो पुलिस वालों के साथ आसपास रहने वाले भी इन्हें दाना पानी देने लगे हैं.

"बंदरों का झुंड आए दिन थाने में आते थे, तो हम में से कोई उन्हें चना, फल, रोटी आदि खाने के लिए दे देते हैं. गर्मी से परेशान बंदरों को भी प्यास लगती है, तो पीने के लिए पानी का इंतजाम भी हम कर देते हैं. इतने दिनों में किसी भी व्यक्ति को इन बंदरों ने कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है. हम इसे अपना मानव धर्म और कर्तव्य मानकर इनकी थेड़ी सेवा कर देते हैं." - केके भारद्वाज, एएसआई

बंदरों ने किसी को नहीं पहुंचाया नुकसान : अर्जुनी पुलिस थाना, धमतरी जिले के सबसे व्यस्त थानों में से एक है. दिन भर यहां लोगों का आना जाना रहता है. लेकिन हैरानी की एक बात यह है कि 2 महीने बीत जाने के बाद भी बंदरों ने अभी तक किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाया है. यहां के नजारा देखने से लगता है कि बंदरो और पुलिस वालों के बीच भले संवाद स्थापित न हुआ हो, लेकिन एक तरह का रिश्ता जरूर बन गया. पुलिस वालों को भी इन्हें खाना देकर सुकून मिलता है. कुछ पुलिस कर्मी तो इसे मानव धर्म, तो कुछ इसे अपना कर्तव्य मानते हैं.

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धमतरी : जिले के अर्जुनी थाना परिसर में आए मेहमान इंसान नहीं बल्कि बंदर हैं. पिछले करीब 2 महीने से इस थाना में बंदरों का एक झुंड डेरा जमाए हुए हैं. पुलिस स्टाफ रोजाना इन बंदरों को खाना और पानी दे रहे हैं. इस भीषण गर्मी में इन बेजुबान जानवरों को इससे बड़ी राहत मिली है. वहीं पुलिस वाले इसे अपना मानव धर्म और कर्तव्य मानकर सेवा भाव से बेजुबानों को खाना खिला रहे हैं.

भूखे बंदरों को खिलाया खाना, तो थाने में जमाया डेरा : बंदरों के इस झुंड में छोटे छोटे बच्चे भी हैं. गर्मी की शुरुआत में ये झुंड जंगल से निकलकर शहर की ओर आ गए. थाने के पास इन बंदरों को कुछ पुलिस वालों ने भूखा प्यासा देख कर पानी, फल और बिस्किट वगैरह दे दिया. इस भीषण गर्मी में ठंडी छांव, भरपूर भोजन और पानी मिल जाये तो क्या ही बात है. बस, तभी से ये बंदर अर्जुनी पुलिस थाने में जम गए. अब दिन भर कोई न कोई पुलिस वाला इनके लिए कुछ न कुछ खाने का सामान ले आता है. कोई बाल्टी में इनके लिए पानी रख देता है. थाने में मौजूद आम, पीपल जैसे कई छायादार पेड़ से ठंडी छांव मिलती है. अब तो पुलिस वालों के साथ आसपास रहने वाले भी इन्हें दाना पानी देने लगे हैं.

"बंदरों का झुंड आए दिन थाने में आते थे, तो हम में से कोई उन्हें चना, फल, रोटी आदि खाने के लिए दे देते हैं. गर्मी से परेशान बंदरों को भी प्यास लगती है, तो पीने के लिए पानी का इंतजाम भी हम कर देते हैं. इतने दिनों में किसी भी व्यक्ति को इन बंदरों ने कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है. हम इसे अपना मानव धर्म और कर्तव्य मानकर इनकी थेड़ी सेवा कर देते हैं." - केके भारद्वाज, एएसआई

बंदरों ने किसी को नहीं पहुंचाया नुकसान : अर्जुनी पुलिस थाना, धमतरी जिले के सबसे व्यस्त थानों में से एक है. दिन भर यहां लोगों का आना जाना रहता है. लेकिन हैरानी की एक बात यह है कि 2 महीने बीत जाने के बाद भी बंदरों ने अभी तक किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाया है. यहां के नजारा देखने से लगता है कि बंदरो और पुलिस वालों के बीच भले संवाद स्थापित न हुआ हो, लेकिन एक तरह का रिश्ता जरूर बन गया. पुलिस वालों को भी इन्हें खाना देकर सुकून मिलता है. कुछ पुलिस कर्मी तो इसे मानव धर्म, तो कुछ इसे अपना कर्तव्य मानते हैं.

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Last Updated : May 27, 2024, 5:18 PM IST
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