भोपाल : वाइल्ड लाइफ से समृद्ध मध्यप्रदेश अपने बाघों, तेंदुओं और चीतों के बाद घड़ियालों के लिए मशहूर है. आपको जानकर हैरानी होगी कि देश में सबसे ज्यादा घड़ियालों की संख्या मध्यप्रदेश की चंबल नदी में पाई जाती है. देश में घड़ियालों की संख्या 3044 है, जिसमें से 2456 घड़ियाल को अकेले मध्यप्रदेश में ही हैं. इस प्रकार देश के 80 प्रतिशत से अधिक घड़ियालों का घर है मध्यप्रदेश. आज सीएम डॉ. मोहन यादव प्रदेश की शान बढ़ा रही चंबल नदी और यहां मौजूद घड़ियाल अभ्यारण्य का भ्रमण करने पहुंच रहे हैं.
प्रतिवर्ष छोड़ रहे 200 घड़ियाल
गौरतलब है कि चंबल नदी के 435 किलोमीटर क्षेत्र को चंबल घड़ियाल अभ्यारण्य घोषित किया गया है. चंबल नदी मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सीमा पर बहती है. नदी में घड़ियालों की वृद्धि की वजह देवरी ईको सेंटर है. इस सेंटर में घड़ियाल के अण्डे लाए जाते हैं और उनसे बच्चे निकलने के बाद उनका पालन किया जाता है. बच्चों की आयु 3 साल होने पर उन्हें नदी में छोड़ दिया जाता है. प्रतिवर्ष 200 घड़ियाल को 'ग्रो-एंड-रिलीज' कार्यक्रम के तहत नदी में छोड़ा जाता है. स्वच्छ नदियों में रहना और नदियों को स्वच्छ रखना घड़ियालों की विशेषता है. इसी वजह से कई राज्यों में इनकी भारी डिमांड भी है.
जब अचानक गायब होने लगे थे घड़ियाल
बता दें कि देश में वर्ष 1950 और 1960 के दशक के बीच घड़ियालों की आबादी में 80 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आ गई थी. अचानक घड़ियालों के गायब होने से भारत सरकार चिंतित थी, जिसके बाद 1970 के दशक में इन्हें संरक्षण प्रदान किया गया. संरक्षण समूहों ने प्रजनन और पुनः प्रवेश कार्यक्रम शुरू किए. हालांकि, वर्ष 1997 और वर्ष 2006 के बीच घड़ियालों की आबादी में फिर गिरावट आई. पंजाब में तो वर्ष 1960-70 के बाद से घड़ियाल पूरी तरह से गायब हो गए थे, जिसके बाद 2017 में चंबल नदी के देवरी घड़ियाल सेंटर से कई घड़ियाल पंजाब भेजे गए. वर्ष 2018 में 25 घड़ियाल सतलुज नदी के लिए भेजे गए और वर्ष 2020 में व्यास नदी के लिए 25 घड़ियाल भेजे गए थे.
घड़ियाल नाम कैसे पड़ा?
घड़ियाल को गेवियलिस गैंगेटिकस, जिसे गेवियल या मछली खाने वाला मगरमच्छ भी कहा जाता है. वयस्क मादा घड़ियाल 2.6 से 4.5 मीटर (8 फीट 6 इंच से 14 फीट 6 इंच) लम्बी होती है और नर घड़ियाल 3 से 6 मीटर (9 फीट 10 इंच से 19 फीट 8 इंच) लम्बे होते हैं. वयस्क नर के थूथन के अंत में एक अलग सिरा होता है, जो घड़ा नामक मिट्टी के बर्तन जैसा दिखता है, इसलिए इसका नाम घड़ियाल पड़ा. घड़ियाल अपने लम्बी, संकरी थूथन और आपस में जुड़े 110 तीखे दांतों की वजह से आसानी से मछली पकड़ लेते हैं.
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