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मोहन यादव के फैसले ने बढ़ाई कर्मचारियों की धड़कनें, प्रमोशन छोड़ा तो बिगड़ जाएगा रिटायरमेंट प्लॉन - Mohan Yadav Govt On Promotion - MOHAN YADAV GOVT ON PROMOTION

मध्य प्रदेश के मोहन सरकार के एक फैसले ने प्रदेश के सभी कर्मचारियों के माथे की सिकन बढ़ा दी है. कर्मचारी संगठनों ने सरकार के प्रमोशन प्लान के फैसले का विरोध जताया है. बता दें प्रमोशन के बाद जिम्मेदारी से बचने वाले कर्मचारियों को लेकर सीएम मोहन यादव ने बड़ा फैसला लिया है.

MOHAN YADAV GOVT ON PROMOTION
मोहन यादव के फैसले ने बढ़ाई कर्मचारियों की धड़कनें (Mohan Yadav X Image)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 4, 2024, 7:08 PM IST

भोपाल: मध्य प्रदेश के कर्मचारियों को लेकर प्रदेश सरकार ने महत्वपूर्ण फैसला किया है. अब प्रदेश में प्रमोशन से बाद जिम्मेदारी लेने से बचने के लिए प्रमोशन छोड़ने वाले कर्मचारियों को इसका भारी नुकसान उठाना होगा. प्रदेश सरकार ने फैसला किया है कि अब प्रमोशन का लाभ छोड़ने वाले कर्मचारियों को उच्चतर वेतनमान का लाभ भी नहीं दिया जाएगा. राज्य सरकार ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं. सरकार के इस फैसले का कर्मचारी संगठनों ने कड़ा विरोध जताया है.

क्या है इस आदेश के मायने

सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी किए गए आदेश में प्रावधान किया गया है कि यदि कोई कर्मचारी किसी भी कारण से प्रमोशन लेने से इंकार करता है, तो ऐसे कर्मचारियों को अब उच्चतर वेतनमान का लाभ नहीं दिया जाएगा. सरकार के इस आदेश से प्रदेश के साढ़े 7 लाख कर्मचारियों पर असर पड़ेगा. इस आदेश के मायने समझ लें. आदेश में लिखा है कि '2002 में जारी किए गए आदेश में प्रावधान किया गया था कि ऐसे कर्मचारी जिन्हें क्रमोन्नति का लाभ दिया गया है. उन्हें जब उच्च पद पर पदोन्नत किया जाता है और कर्मचारी पदोन्नति लेने से इंकार कर देते हैं, तो ऐसी स्थिति में कर्मचारियों को पहले से दी जाने वाली क्रमोन्नति वेतनमान का लाभ भी खत्म कर दिया जाएगा. अब इस नियम में बदलाव किया गया है. अब प्रावधान किया गया है कि यदि उच्चतर वेतनमान का लाभ लेने के बाद कोई कर्मचारी नियमित पदोन्नति स्वीकार नहीं करते तो ऐसी स्थिति में ऐसे कर्मचारी से उच्चतर वेतनमान का लाभ तो वापस नहीं लिया जाएगा, लेकिन आगे कभी उच्चतर वेतनमान का लाभ नहीं दिया जाएगा.

यहां पढ़ें...

मोहन यादव सरकार से जागी कर्मचारियों की उम्मीद, बिना प्रमोशन नहीं होगा कोई रिटायर्ड

प्रमोशन बैन कब खत्म होगा? दूसरे राज्यों में धड़ाधड़ हो रहे प्रमोशन, मोहन यादव सरकार की दूरी

इसलिए निकालना पड़ा आदेश

राज्य सरकार ने पदोन्नति के मामले में 22 साल बाद संशोधन किया है. प्रदेश में पदोन्नति नियम 2002 के साथ क्रमोन्नति के निर्देश दिए गए थे. हालांकि अब प्रदेश में क्रमोन्नति की व्यवस्था को खत्म कर समयमान वेतनमान की व्यवस्था लागू हो गई है. 2016 से पदोन्नति बंद है और यह पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. इस वजह से प्रदेश में कर्मचारियां के प्रमोशन नहीं हो पा रहे. ऐसे में सरकार द्वारा कर्मचारियों को उच्चतर वेतनमान देने की व्यवस्था शुरू कर दी, लेकिन प्रमोशन नहीं किया. पदोन्नति के साथ कर्मचारी के काम भी बढ़ जाता है. साथ ही ट्रांसफर की भी संभावना रहती है, इसलिए इस वजह से भी कर्मचारी इसे लेने से इंकार कर देते हैं.

भोपाल: मध्य प्रदेश के कर्मचारियों को लेकर प्रदेश सरकार ने महत्वपूर्ण फैसला किया है. अब प्रदेश में प्रमोशन से बाद जिम्मेदारी लेने से बचने के लिए प्रमोशन छोड़ने वाले कर्मचारियों को इसका भारी नुकसान उठाना होगा. प्रदेश सरकार ने फैसला किया है कि अब प्रमोशन का लाभ छोड़ने वाले कर्मचारियों को उच्चतर वेतनमान का लाभ भी नहीं दिया जाएगा. राज्य सरकार ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं. सरकार के इस फैसले का कर्मचारी संगठनों ने कड़ा विरोध जताया है.

क्या है इस आदेश के मायने

सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी किए गए आदेश में प्रावधान किया गया है कि यदि कोई कर्मचारी किसी भी कारण से प्रमोशन लेने से इंकार करता है, तो ऐसे कर्मचारियों को अब उच्चतर वेतनमान का लाभ नहीं दिया जाएगा. सरकार के इस आदेश से प्रदेश के साढ़े 7 लाख कर्मचारियों पर असर पड़ेगा. इस आदेश के मायने समझ लें. आदेश में लिखा है कि '2002 में जारी किए गए आदेश में प्रावधान किया गया था कि ऐसे कर्मचारी जिन्हें क्रमोन्नति का लाभ दिया गया है. उन्हें जब उच्च पद पर पदोन्नत किया जाता है और कर्मचारी पदोन्नति लेने से इंकार कर देते हैं, तो ऐसी स्थिति में कर्मचारियों को पहले से दी जाने वाली क्रमोन्नति वेतनमान का लाभ भी खत्म कर दिया जाएगा. अब इस नियम में बदलाव किया गया है. अब प्रावधान किया गया है कि यदि उच्चतर वेतनमान का लाभ लेने के बाद कोई कर्मचारी नियमित पदोन्नति स्वीकार नहीं करते तो ऐसी स्थिति में ऐसे कर्मचारी से उच्चतर वेतनमान का लाभ तो वापस नहीं लिया जाएगा, लेकिन आगे कभी उच्चतर वेतनमान का लाभ नहीं दिया जाएगा.

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इसलिए निकालना पड़ा आदेश

राज्य सरकार ने पदोन्नति के मामले में 22 साल बाद संशोधन किया है. प्रदेश में पदोन्नति नियम 2002 के साथ क्रमोन्नति के निर्देश दिए गए थे. हालांकि अब प्रदेश में क्रमोन्नति की व्यवस्था को खत्म कर समयमान वेतनमान की व्यवस्था लागू हो गई है. 2016 से पदोन्नति बंद है और यह पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. इस वजह से प्रदेश में कर्मचारियां के प्रमोशन नहीं हो पा रहे. ऐसे में सरकार द्वारा कर्मचारियों को उच्चतर वेतनमान देने की व्यवस्था शुरू कर दी, लेकिन प्रमोशन नहीं किया. पदोन्नति के साथ कर्मचारी के काम भी बढ़ जाता है. साथ ही ट्रांसफर की भी संभावना रहती है, इसलिए इस वजह से भी कर्मचारी इसे लेने से इंकार कर देते हैं.

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