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1 लाख से ज्यादा कर्मचारियों की तनख्वाह पर चलेगी कैंची? हाईकोर्ट ने बदला था सरकार का आइडिया - MP High Court Cost Cutting Verdict

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 24, 2024, 7:14 AM IST

Updated : Aug 24, 2024, 11:16 AM IST

मोहन यादव सरकार के द्वारा संविदाकर्मियों की सैलरी में कटौती की जा रही है. इससे नाराज कर्मचारियों ने सिवनी के एक मामले को आधार बनाकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. इस ऑर्टिकल के जरिए जानिए कैसे सिवनी के इसी तरह के मामले में हाईकोर्ट ने सरकार का फैसला बदल दिया था.

MP High Court Cost Cutting Verdict
मध्य प्रदेश में नहीं कम होगी संविदा कर्मचारियों की तनख्वाह! (ETV Bharat)

जबलपुर: कर्मचारियों की तनख्वाह कम करने का मामला मोहन सरकार के लिए गले की फांस ना बन जाए, क्योंकि बहुत से संविदा कर्मचारियों ने हाईकोर्ट की शरण ली है. वहीं हाईकोर्ट ने इसके पहले इसी तरह के एक मामले में फैसला सुनाते हुए सरकार को आदेश दिया था कि जितने कर्मचारियों की तनख्वाह बीच में कम की गई है उन्हें पूरा पैसा एक साथ वापस दिया जाए. अब कर्मचारी इसी केस को आधार मानकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाने पहुंचे हैं.

इस मामले को कर्मचारियों ने बनाया है आधार

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश सरकार ने संविदा कर्मचारियों के वेतनमान में कटौती की है और इससे कर्मचारी सरकार के नाखुश हैं. अब आपको उस मामले के बारे में बताते हैं जिसे आधार बनाकर कर्मचारी कोर्ट पहुंचे हैं. दरअसल, साल 2020 में सिवनी की जिला अस्पताल में काम करने वाले 18 संविदा कर्मचारियों ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. इस याचिका का क्रमांक 11632/ 2020 है. इस याचिका पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जज आलोक अग्रवाल ने 11 जनवरी 2024 को एक फैसला दिया.

कर्मचारियों के वेतनमान में हुआ था संशोधन

इस मामले में सिवनी के जिला अस्पताल में काम करने वाले 18 संविदा कर्मचारियों ने कहा था कि सरकार ने जब उन्हें संविदा पर रखा था, तब एक अलग वेतनमान की बात की गई थी और संविदा की समय सीमा के पहले ही उन्हें कम वेतनमान पर नौकरी करने के लिए कहा जा रहा है और उनके वेतनमान में संशोधन कर दिया गया है. जज आलोक अग्रवाल ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि जो वेतनमान सेवा शर्तों के दौरान तय किया गया था उसे कम करना गलत है और कर्मचारियों को पूरा वेतन दिया जाए.

ये भी पढ़ें:

एमपी सरकार की कॉस्ट कटिंग? संविदाकर्मियों की सैलरी में कटौती, 10 हजार कर्मचारियों ने खटखटाया कोर्ट का दरवाजा

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'सरकार को बदलना होगा अपना फैसला'

यह फैसला अपने आप में एक नजीर है. अब मोहन सरकार ने जब संविदा कर्मचारियों का वेतनमान कम किया है ऐसी स्थिति में कर्मचारी हाईकोर्ट आए हैं. उन्हें इसी मामले की तरह अपने मामले में भी कोर्ट से राहत की उम्मीद है. निजी कर्मचारियों की लड़ाई लड़ने वाले समाजवादी नेता अखिलेश चंद्र त्रिपाठी का कहना है कि ''सरकारी नौकरियों में ऐसा पहली बार हुआ है जब तनख्वाह कम की गई हो. रेगुलर कर्मचारियों की तनख्वाह कभी काम नहीं की जाती, फिर संविदा कर्मचारियों से पूरा काम लेने के बाद भी उन्हें कम पैसा देना कहां तक जायज है. एक बार फिर संविदा कर्मचारी हाईकोर्ट की शरण में है और ऐसे में सरकार को अपना फैसला बदलना होगा.''

जबलपुर: कर्मचारियों की तनख्वाह कम करने का मामला मोहन सरकार के लिए गले की फांस ना बन जाए, क्योंकि बहुत से संविदा कर्मचारियों ने हाईकोर्ट की शरण ली है. वहीं हाईकोर्ट ने इसके पहले इसी तरह के एक मामले में फैसला सुनाते हुए सरकार को आदेश दिया था कि जितने कर्मचारियों की तनख्वाह बीच में कम की गई है उन्हें पूरा पैसा एक साथ वापस दिया जाए. अब कर्मचारी इसी केस को आधार मानकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाने पहुंचे हैं.

इस मामले को कर्मचारियों ने बनाया है आधार

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश सरकार ने संविदा कर्मचारियों के वेतनमान में कटौती की है और इससे कर्मचारी सरकार के नाखुश हैं. अब आपको उस मामले के बारे में बताते हैं जिसे आधार बनाकर कर्मचारी कोर्ट पहुंचे हैं. दरअसल, साल 2020 में सिवनी की जिला अस्पताल में काम करने वाले 18 संविदा कर्मचारियों ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. इस याचिका का क्रमांक 11632/ 2020 है. इस याचिका पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जज आलोक अग्रवाल ने 11 जनवरी 2024 को एक फैसला दिया.

कर्मचारियों के वेतनमान में हुआ था संशोधन

इस मामले में सिवनी के जिला अस्पताल में काम करने वाले 18 संविदा कर्मचारियों ने कहा था कि सरकार ने जब उन्हें संविदा पर रखा था, तब एक अलग वेतनमान की बात की गई थी और संविदा की समय सीमा के पहले ही उन्हें कम वेतनमान पर नौकरी करने के लिए कहा जा रहा है और उनके वेतनमान में संशोधन कर दिया गया है. जज आलोक अग्रवाल ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि जो वेतनमान सेवा शर्तों के दौरान तय किया गया था उसे कम करना गलत है और कर्मचारियों को पूरा वेतन दिया जाए.

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'सरकार को बदलना होगा अपना फैसला'

यह फैसला अपने आप में एक नजीर है. अब मोहन सरकार ने जब संविदा कर्मचारियों का वेतनमान कम किया है ऐसी स्थिति में कर्मचारी हाईकोर्ट आए हैं. उन्हें इसी मामले की तरह अपने मामले में भी कोर्ट से राहत की उम्मीद है. निजी कर्मचारियों की लड़ाई लड़ने वाले समाजवादी नेता अखिलेश चंद्र त्रिपाठी का कहना है कि ''सरकारी नौकरियों में ऐसा पहली बार हुआ है जब तनख्वाह कम की गई हो. रेगुलर कर्मचारियों की तनख्वाह कभी काम नहीं की जाती, फिर संविदा कर्मचारियों से पूरा काम लेने के बाद भी उन्हें कम पैसा देना कहां तक जायज है. एक बार फिर संविदा कर्मचारी हाईकोर्ट की शरण में है और ऐसे में सरकार को अपना फैसला बदलना होगा.''

Last Updated : Aug 24, 2024, 11:16 AM IST
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