भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने कहा "बंजारा समाज ऐसा समाज है जो अपनी जान हथेली पर लेकर चलता और देश के लिए इसे फूल की तरह न्यौछावर कर देता है. ये युद्ध करने वाली जातियां हैं. जिन्होंने देश की लड़ाई में अग्रेजों को धूल चटा दी." मुख्यमंत्री ने कालवेलिया जनजाति का उदाहरण देते हुए कहा "समाज में अभी भी दफनाने की प्रथा है. लोगों का ऐसा कहना है कि ऐसा जगह की कमी होने के कारण चल रहा है. लेकिन अब समय के साथ परंपरा को बदलने की जरूरत है. क्योंकि हम अपने पूर्वज की समाधि बनाते हैं. लेकिन उस पर दूसरे लोग चादर चढ़ाकर चले जाते हैं तो हमारे पूर्वजों की समाधि में दूसरा चादर क्यों चढ़ाए. इससे हमें बचना है. यदि अंतिम संस्कार के लिए जगह की कमी है तो प्रदेश सरकार इसे पूरा करेगी."
मुख्यमंत्री ने समाज के लिए की ये घोषणाएं
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने समाज की मांग के आधार पर पुलिस, सेना और अग्निवीर समेत अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए सरकार की ओर नि:शुल्क प्रशिक्षण दिलाने की घोषणा की है. इसके साथ ही विमुक्त, घुमंतू और अर्धघुमंतू जनजातियों के लिए बस्ती विकास योजना के तहत आवासीय पट्टे, बिजली, सड़क और आंगनबाड़ी समेत अन्य मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने का आश्वासन दिया है. वहीं सीएम ने घोषणा की है कि जनगणना के आधार पर जो जहां का निवासी होगा. उसके मुकाम के पते से जाति प्रमाणापत्र बन सकेगा.
अपनी विविध कलाओं, अनूठी संस्कृति एवं समृद्ध परंपरा सहेजे विमुक्त, घुमन्तु और अर्द्धघुमन्तु जनजातियों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए मध्य प्रदेश सरकार तत्पर है। आज रविंद्र भवन, भोपाल में विमुक्ति दिवस के अवसर पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम का दीप प्रज्ज्वलन कर शुभारंभ… pic.twitter.com/6RyUPQcC9W
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) August 31, 2024
प्रत्येक मजरे-टोलों में बनेंगे सामुदायिक भवन
विमुक्त, घुमक्कड़ और अर्धघुमक्कड़ जनजाति विभाग की राज्य मंत्री कृष्णा गौर ने कहा "विभाग ने 3047 लोगों को पीएम आवास के तहत मुफ्त मकान दिलाने के लिए विमुक्त, घुमक्कड़ और अर्धघुमक्कड़ जनजाति के लोगों की लिस्ट केंद्र सरकार को भेजी है. जहां इन जातियों के लोग रहते हैं, उन मजरे-टोलों में 20 लाख रुपये से सामुदायिक भवन बनाए जाएंगे." उन्होंने मुख्यमंत्री से इस मद में राशि और बढ़ाने की मांग की है. साथ ही मंत्री कृष्णा गौर ने सीएम को बताया "बस्ती विकास योजना के तहत 90 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. लेकिन विभाग के पास 5 करोड़ रुपये की राशि ही है. इसलिए इस मद की बची हुई राशि विभाग को उपलब्ध कराई जाए."
थानों में विमुक्त, घुमंतू जातियों के पोस्टर लगाने का विरोध
मालवा प्रांत के घुमंतू कार्य प्रमुख रविंद्र प्रताप बुंदेला ने कहा "हमारे पूर्वजों ने देश की स्वतंत्रता के लिए काम किया, हम उन वीरों की औलाद हैं. लेकिन आज हमें जन्मजात अपराधी का दर्जा मिला हुआ है. थानों में पोस्टर चस्पा है कि पारदी-बंजारा चोर हैं. आज भी हमें साल 1871 में बनाए गए कानून के नजरिए से ही देखा जा रहा है. भले ही हमें 31 अगस्त 1952 को इस क्रिमिनल एक्ट से आजादी मिल गई. लेकिन विमुक्त, घुम्मकड़ और अर्धघुमक्कड़ जातियों को आपराधिक दृष्टि से देखा जाता है.