पटनाः मोदी के तीसरे कार्यकाल की शुरुआत के साथ ही बिहार की फिजा में उम्मीदों की खुशबू तैरने लगी है. सालों से कई उम्मीदें पाले बिहार को लग रहा है कि इस बार उसका दामन खाली नहीं रहेगा और विशेष राज्य के दर्जे सहित कई पुरानी मांगें इस बार पूरी होकर ही रहेंगी. ऐसा इसलिए भी लग रहा है कि मोदी के तीसरे कार्यकाल वाली सरकार का स्वरूप पहले दो कार्यकाल से पूरी तरह अलग है.
सही मायने में NDA की सरकार: 2014 और 2019 में भी केंद्र में NDA का शासन रहा लेकिन तब बीजेपी के पास अपने दम पर पूर्ण बहुमत था लेकिन इस बार ऐसी बात नहीं है. देखा जाए तो 9 जून को केंद्र की सत्ता पर आसीन हुई सरकार असली NDA की सरकार है जिसकी चाबी बीजेपी के सहयोगियों के पास है. जाहिर है इस बार सहयोगियों की मांगें अनुसनी करना मोदी सरकार के लिए आसान नहीं होगा.
"केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ही सरकार काम करेगी लेकिन इसका स्वरूप इस बार बदला हुआ है. क्योंकि सही में इस बार एनडीए की सरकार है और बिहार के एनडीए के घटक दल कई तरह की मांग करते रहे हैं जिसे पहले अनसुना कर दिया जाता था, अब अनसुना करना आसान नहीं होगा . बिहार के लिए यह एक बेहतर स्थिति होने वाली है." डीएम दिवाकर, राजनीतिक विशेषज्ञ
सालों से हो रही है विशेष राज्य के दर्जे की मांगः 2015 विधानसभा चुनाव के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने बिहार को सवा लाख करोड़ का पैकेज दिया था.लेकिन उस पैकेज को लेकर भी कई तरह के सवाल उठते रहे हैं. साथ ही नीतीश कुमार की तरफ से विशेष राज्य के दर्जे और विशेष मदद की मांग लगातार की जाती रही है.खासकर केंद्रीय योजनाओं में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी अधिक हो इसकी मांग लगातार होती रही है.
अहम भूमिका में बिहार NDA के घटक दलः इस बार केंद्र में बनी NDA की मोदी सरकार में बिहार के घटक दलों की भी भूमिका काफी अहम है. इसलिए इस बार बिहार को विशेष राज्य के दर्जा सहित कई तरह की मदद मिल सकती है. बिहार की उम्मीदों को इस बात से भी बल मिला है कि इस बार बिहार से कुल 8 मंत्री बनाए गये हैं. जाहिर है सरकार के बदले स्वरूप और मंत्रियों की बड़ी भागीदारी से बिहार के विकास को एक नयी गति मिल सकती है.
"इस बार बिहार से अधिक मंत्रियों को जगह दी गई है. 2019 में जब नरेंद्र मोदी की सरकार दोबारा बनी थी तो घटक दलों को सांकेतिक जगह दी गयी थी. मंत्रिमंडल विस्तार जब हुआ तब जेडीयू का एक मंत्री बना था लेकिन इस बार जेडीयू से दो मंत्री बनाए गए हैं. कुल मिलाकर बिहार के अनुकूल बन रही है.2025 में विधानसभा चुनाव भी होना है तो उसका भी ध्यान रखा जा रहा है. ऐसे में हर हाल में बिहार को इस बार फायदा हो सकता है." डीएम दिवाकर, राजनीतिक विशेषज्ञ
विशेष मदद मिली तो नौकरी का लक्ष्य होगा पूराः राजनीतिक विशेषज्ञ प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी का कहना है "केंद्रीय योजनाओं में यदि केंद्र पर्याप्त राशि दे दे तो बिहार को 30000 करोड़ तक की बचत हो सकती है.बिहार में 10 लाख नौकरी 2025 विधानसभा चुनाव से पहले देना है. ऐसे में वेतन के लिए भी बड़ी राशि की जरूरत होगी. यदि केंद्र से मदद मिलती है तो बिहार सरकार सरकारी नौकरी के लक्ष्य को आसानी से पूरा कर सकती है."
नयी सरकार से कौन-कौन सी उम्मीदें ?: केंद्र सरकार से बिहार की उम्मीदों की लिस्ट तो काफी लंबी है फिर भी जो सबसे मुख्य उम्मीद है वो है बिहार को विशेष राज्य का दर्जा या विशेष पैकेज. इसके अलावा केंद्रीय योजनाओं में केंद्र और राज्य की हिस्सेदारी 90 और 10 के औसत में में मिलने की उम्मीद.
एयरपोर्ट और नदी जोड़ो योजना को मिले गतिः बिहार के कई एयरपोर्ट का निर्माण लटका हुआ है उसमें तेजी आने की उम्मीद जताई जा रही है सालों से लटकी NH की कई बड़ी योजनाओं के भी गति पकड़ने की उम्मीद है. इसके साथ ही नदी जोड़ो योजना के लिए भी बिहार को अधिक राशि मिलने की उम्मीद है.
किेंग मेकर की भूमिका में हैं नीतीशः बिहार की उम्मीदें इसलिए भी परवान पर हैं कि सीएम नीतीश कुमार को हार्ड बार्गेनर माना जाता है और सबसे बड़ी बात कि नीतीश कुमार इस बार ऐसी स्थिति में हैं भी कि केंद्र सरकार के कार्यकाल पूरा करने में उनकी अहम भूमिका रहनेवाली है.
देश के विकास के लिए बिहार का विकास जरूरीः बिहार से अलग होकर झारखंड बनने के बाद उद्योग-धंधों के नाम पर बिहार में कुछ है नहीं, वहीं क्षेत्रफल की तुलना में यहां आबादी भी ज्यादा है. इसके अलावा सही मायनों में बिहार के विकास की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं. ऐसे में 2047 तक विकसित भारत का सपना तभी साकार होगा जब विकसित बिहार होगा.