कोडरमा: टेक्नोलॉजी की दुनिया में जहां भारत आज कई देशों को टक्कर दे रहा है, वहीं कोडरमा में एक ऐसा गांव है जहां 5G तो छोड़िए, मोबाइल नेटवर्क भी मुश्किल से पकड़ता है. कोडरमा के डोमचांच प्रखंड का बंगाखलार गांव चारों तरफ से जंगलों से घिरा है. मोबाइल नेटवर्क तक नहीं होने के कारण गांव के लोग बाहरी दुनिया के चकाचौंध से बिल्कुल अलग हैं.
यहां के लोग इंटरटेनमेंट, फिल्म, स्पोर्ट्स से कोसों दूर हैं. यहां रहने वाले लोगों को फोन से बात करने के लिए या तो पहाड़ी पर जाना पड़ता है या फिर किसी ऊंची जगह पर. जिला मुख्यालय से लगभग 35 किमी की दूरी पर स्थित इस गांव में सड़क, बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं तो बहाल है, लेकिन टेक्नोलॉजी के मामले में भी यह गांव आज भी काफी पिछड़ा हुआ है. गांव के मुखिया बताते हैं कि बीएसएनएल का टावर लगाने का कार्य शुरू किया गया है, लेकिन अभी तक टावर नहीं लग पाया है.
मोबाइल नेटवर्क नहीं होने से यहां के लोग अपने परिजनों से सिर्फ बात ही नहीं कर पाते बल्कि कई महत्वपूर्ण सूचनाएं भी इस गांव के लोगों तक समय से नहीं पहुंच पाती हैं. राशन लेने के लिए अंगूठा लगाने के लिए राशन दुकानदार और ग्रामीणों को पहाड़ पर चढ़ना पड़ता है.
उपायुक्त मेघा भारद्वाज ने बताया कि इस क्षेत्र में नेटवर्क कनेक्टिविटी की योजना एजेंसी के स्तर से लंबित है, जिसे जल्द ही कार्य पूरा करने का निर्देश दिया गया है. तेजी से बदलते दौर में टेक्नोलॉजी का अहम योगदान है. आज देशभर में 5G नेटवर्क के जरिये रफ्तार भरी इंटरनेट सेवा के साथ लोग पूरे देश से हमेशा कनेक्ट रहते हैं, लेकिन बंगाखलार गांव के लोगों को नेटवर्क कनेक्ट करने के लिए काफी जद्दोजहत करना पड़ता है.
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