पटनाः सीएम नीतीश कुमार और आरजेडी की राबड़ी देवी सहित विधानपरिषद् चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करनेवाले 11 उम्मीदवारों का निर्विरोध चुना जाना तय हो गया है. 12 मार्च को सभी उम्मीदवारों का नामांकन वैध पाया गया. इससे पहले नामांकन के अंतिम दिन यानी 11 मार्च को किसी 12वें उम्मीदवार ने नामांकन नहीं दाखिल किया था, जिसके बाद साफ हो गया था इस बार एमएलसी चुनाव में कोई फाइट नहीं होगी.
सीएम नीतीश कुमार चौथी बार बनेंगे एमएलसीः इसके साथ ही सीएम नीतीश कुमार चौथी बार विधानपरिषद के सदस्य बनेंगे और इनका कार्यकाल 6 वर्षों का होगा.स्क्रुटनी के समय मंत्री श्रवण कुमार, आरजेडी के उम्मीदवार अब्दुल बारी सिद्दीकी सहित कई दलों के नेता पहुंचे थे. अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा कि "स्कूटनी में सभी कागजात सही पाए गए हैं " वहीं संजय गांधी ने कहा कि "सभी का निर्विरोध चुना जाना तय है क्योंकि 11 उम्मीदवारों ने ही नामांकन किया है."
6 मई को समाप्त हो रहा है कार्यकालः बिहार विधान परिषद् की 11 सीटों का कार्यकाल 6 मई को समाप्त हो रहा है. इस बार जेडीयू की तरफ से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा खालिद अनवर को मौका दिया गया है, जबकि आरजेडी की तरफ से राबड़ी देवी, अब्दुल बारी सिद्दीकी, उर्मिला ठाकुर और सैयद फैसल अली को माका मिला है. वहीं बीजेपी ने मंगल पांडेय सहित तीन कैेडिडेट उतारे हैं, जबकि माले के शशि यादव और HAM से संतोष सुमन एमएलसी बनेंगे.
महागठबंधन ने ली राहत की सांसः 12वां उम्मीदवार नहीं उतरने के कारण विधान परिषद् के लिए चुनाव की नौबत नहीं आई और 14 मार्च को सभी को सर्टिफिकेट मिल जाएगा. हां, यदि 12वां उम्मीदवार मैदान में होता तो महागठबंधन की मुश्किल बढ़ सकती थी.क्योंकि एक सीट के लिए 22 विधायकों की जरूरत पड़ती और उस हिसाब से महागठबंधन के पास पांच सीटों के लिए 110 विधायकों का होना जरूरी था लेकिन महागठबंधन के पास फिलहाल 106 विधायक ही हैं.