देहरादूनः हल्द्वानी के विधायक सुमित हृदयेश ने बनभूलपुरा हिंसा को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. उन्होंने कहा कि हल्द्वानी को हमेशा खुशनुमा माहौल और आपसी सौहार्द के लिए जाना जाता था. लेकिन हल्द्वानी हिंसा पर चिंता जाहिर करने पर मजबूर कर दिया है. उन्होंने हल्द्वानी हिंसा को बहुत बड़ी प्रशासनिक चूक को बताया है.
कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश ने कहा कि जब मामला अदालत में विचाराधीन था और वेकेशनल बेंच में गए याचिकाकर्ता को 14 फरवरी की तारीख मिली थी. ऐसी स्थिति में प्रशासन को हाईकोर्ट के आदेश का इंतजार करना चाहिए था. मगर प्रशासन ने जल्दबाजी दिखाई. उन्होंने कहा कि अगर प्रशासन को अतिक्रमण हटाना भी था तो पूर्व की भांति धर्म गुरुओं को विश्वास में लिया जाना चाहिए था. उनसे सहयोग के लिए बातचीत की जानी चाहिए थी. लेकिन आधी अधूरी तैयारी के बीच प्रशासन बनभूलपुरा में अतिक्रमण हटाने पहुंच गया.
सुमित हृदयेश ने कहा कि अतिक्रमण हटाने गई पुलिस टीम के पास लाठियां थी. जबकि नगर निगम की टीम के पास बेलचे थे. ऐसे में स्थानीय प्रशासन ने इतनी घनी आबादी में उन्हें भेज कर उनकी जान जोखिम में डालने का काम किया. उन्होंने इसे प्रशासनिक फेलियर बताते हुए कहा कि जब धर्मस्थल को तोड़ा गया तो वहां बड़ी संख्या में भीड़ आ गई. भीड़ को कोई नियंत्रित नहीं कर पाया. उन्होंने कहा कि यदि पहले ही सुरक्षा पहलू के बारे में बातचीत कर ली जाती तो यह नौबत नहीं आती. उन्होंने कहा कि जो भी लोग इस हिंसात्मक कार्रवाई में शामिल रहे उनके प्रति मेरी कोई संवेदना नहीं है. ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.
विधायक सुमित हृदयेश ने प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा कि नगर आयुक्त पिछले कई वर्षों से हल्द्वानी शहर में जमे हुए हैं. इस अधिकारी की लोगों के प्रति भाषा शैली भी ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि जब हल्द्वानी शहर में अतिक्रमण हटाया जा रहा था, तब लोगों को उक्त अधिकारी डरा धमकाकर हटा रहा था.
उन्होंने कहा कि इसी अधिकारी ने यह भी कहा कि पीआरडी जवानों को ले जाकर अवैध निर्माण को ध्वस्त किया जा सकता है. इसकी भी जांच की जानी चाहिए. महत्वपूर्ण सवाल यह उठता है कि जब इस अधिकारी का 9 दिनों पहले ट्रांसफर हो गया था तो फिर यह अधिकारी इस शहर में इस पद पर क्यों बना हुआ है?
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