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कृषि विभाग का मिशन मिलेट्स, कम बारिश में भी किसानों को मिलेगा भरपूर लाभ - Millet cultivation in Latehar

Millet Cultivation. पिछले दो साल से सुखाड़ से ग्रसित लातेहार जिले में पारंपरिक मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने के लिए मिशन मिलेट्स शुरू किया गया है. कृषि विभाग ने बताया कि यह फसल कम बारिश में भी किसानों को भरपूर लाभ देगी.

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जिले में मिशन मिलेट्स (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 22, 2024, 4:49 PM IST

लातेहार: जिले में पिछले दो वर्षों से लगातार सुखाड़ की मार झेल रहे किसानों को इस वर्ष नुकसान से बचाने के लिए कृषि विभाग पूरी तरह अलर्ट मोड में हैं. कृषि विभाग ने इस वर्ष मिशन मिलेट्स के तहत झारखंड के पारंपरिक मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने की योजना बनाई है. पारंपरिक मोटे अनाज की खेती होने से जहां लोगों को पौष्टिक आहार मिल सकेगा, वहीं यदि इस वर्ष भी कम बारिश हुई तो भी फसल पर इसका ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा. दरअसल, लातेहार कृषि के क्षेत्र में काफी पिछड़ा हुआ जिला माना जाता है. यहां के अधिकांश किसान आज भी धान और मक्का की खेती के प्रति ही आकर्षित रहते हैं.

मिशन मिलेट्स को लेकर जानकारी देते कृषि पदाधिकारी (ETV BHARAT)

ऐसे में जब बरसात के दिनों में बारिश नहीं होती है तो उस समय किसानों को भारी नुकसानों का सामना करना पड़ता है. पिछले दो वर्षों में जिस तरह बरसात के मौसम में कम बारिश हुई थी, किसानों की कमर टूट गई थी. भविष्य में फिर से किसानों को ज्यादा नुकसान ना हो इसके लिए कृषि विभाग ने मिशन मिलेट्स का आरंभ किया है. लातेहार जिला कृषि पदाधिकारी अमृतेश कुमार सिंह की पहल पर प्राचीन पारंपरिक मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए लातेहार जिले के विभिन्न प्रखंडों में मिशन मिलेट्स यानी बाजरा शुरू किया गया है.

कम बारिश में भी मोटे अनाज का होगा भरपूर उत्पादन

इस संबंध में जानकारी देते हुए जिला कृषि पदाधिकारी अमृतेश कुमार सिंह ने बताया कि मिशन मिलेट्स के तहत जिस क्षेत्र में पारंपरिक तौर पर मोटे अनाज की खेती होती आई है, उस क्षेत्र में संबंधित अनाज के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए मिशन मिलेट्स का आरंभ किया गया है. उन्होंने बताया कि लातेहार के कई प्रखंडों में मडुवा,ज्वार, बाजरा आदि मोटे अनाज की खेती किसानों के द्वारा की जाती है. परंतु धीरे-धीरे इन फसलों के उत्पादन के प्रति लोगों में जागरूकता कम होती जा रही है.

जबकि इन मोटे अनाज के उत्पादन से किसानों को काफी अच्छा लाभ मिल सकता है. उन्होंने बताया कि यदि कम बारिश भी होगी तो मोटे अनाज के उत्पादन पर ज्यादा असर नहीं पड़ता है, क्योंकि कम बारिश में भी मोटे अनाज का भरपूर उत्पादन होता है. इन मोटे अनाज में काफी पौष्टिक आहार होते हैं, जिसे खाने से लोग सेहतमंद होंगे. चावल, गेहूं की अपेक्षा मोटे अनाज में पौष्टिकता अधिक होती है. परंतु जानकारी के अभाव में लोग मोटे अनाज का लाभ नहीं ले पाते हैं.

उत्पादन, विपणन और व्यापार में किसानों को मिलेगी मदद

कृषि पदाधिकारी ने बताया कि मिशन मिलेट्स के तहत मोटे अनाज की खेती करने वाले किसानों को उत्पादन के अलावा व्यापार और विपणन के कार्य में भी विभाग के द्वारा मदद दी जाएगी. उत्पादन के लिए किसानों को जागरूक करने के साथ-साथ उन्हें आवश्यक सुविधा भी उपलब्ध कराने की योजना है. उन्होंने बताया कि मोटे अनाज की खेती करने वाले किसानों को प्रति एकड़ 3000 रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी. यह मदद एक किसान के लिए अधिकतम 5 एकड़ तक होगी. वहीं, उत्पादन के बाद अनाज के व्यापार के लिए भी विभाग के द्वारा योजना तैयार की गई है. साथ ही अनाज के विपणन कार्य में भी विभाग किसानों को पूरी मदद करेगी. यदि मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने की कृषि विभाग की योजना सफल हुई तो लातेहार के किसानों को इसका बड़ा लाभ मिलेगा.

ये भी पढ़ें: आईपीएस अफसरों को दी गई भारतीय न्याय संहिता की जानकारी, एक जुलाई से होगी लागू

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लातेहार: जिले में पिछले दो वर्षों से लगातार सुखाड़ की मार झेल रहे किसानों को इस वर्ष नुकसान से बचाने के लिए कृषि विभाग पूरी तरह अलर्ट मोड में हैं. कृषि विभाग ने इस वर्ष मिशन मिलेट्स के तहत झारखंड के पारंपरिक मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने की योजना बनाई है. पारंपरिक मोटे अनाज की खेती होने से जहां लोगों को पौष्टिक आहार मिल सकेगा, वहीं यदि इस वर्ष भी कम बारिश हुई तो भी फसल पर इसका ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा. दरअसल, लातेहार कृषि के क्षेत्र में काफी पिछड़ा हुआ जिला माना जाता है. यहां के अधिकांश किसान आज भी धान और मक्का की खेती के प्रति ही आकर्षित रहते हैं.

मिशन मिलेट्स को लेकर जानकारी देते कृषि पदाधिकारी (ETV BHARAT)

ऐसे में जब बरसात के दिनों में बारिश नहीं होती है तो उस समय किसानों को भारी नुकसानों का सामना करना पड़ता है. पिछले दो वर्षों में जिस तरह बरसात के मौसम में कम बारिश हुई थी, किसानों की कमर टूट गई थी. भविष्य में फिर से किसानों को ज्यादा नुकसान ना हो इसके लिए कृषि विभाग ने मिशन मिलेट्स का आरंभ किया है. लातेहार जिला कृषि पदाधिकारी अमृतेश कुमार सिंह की पहल पर प्राचीन पारंपरिक मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए लातेहार जिले के विभिन्न प्रखंडों में मिशन मिलेट्स यानी बाजरा शुरू किया गया है.

कम बारिश में भी मोटे अनाज का होगा भरपूर उत्पादन

इस संबंध में जानकारी देते हुए जिला कृषि पदाधिकारी अमृतेश कुमार सिंह ने बताया कि मिशन मिलेट्स के तहत जिस क्षेत्र में पारंपरिक तौर पर मोटे अनाज की खेती होती आई है, उस क्षेत्र में संबंधित अनाज के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए मिशन मिलेट्स का आरंभ किया गया है. उन्होंने बताया कि लातेहार के कई प्रखंडों में मडुवा,ज्वार, बाजरा आदि मोटे अनाज की खेती किसानों के द्वारा की जाती है. परंतु धीरे-धीरे इन फसलों के उत्पादन के प्रति लोगों में जागरूकता कम होती जा रही है.

जबकि इन मोटे अनाज के उत्पादन से किसानों को काफी अच्छा लाभ मिल सकता है. उन्होंने बताया कि यदि कम बारिश भी होगी तो मोटे अनाज के उत्पादन पर ज्यादा असर नहीं पड़ता है, क्योंकि कम बारिश में भी मोटे अनाज का भरपूर उत्पादन होता है. इन मोटे अनाज में काफी पौष्टिक आहार होते हैं, जिसे खाने से लोग सेहतमंद होंगे. चावल, गेहूं की अपेक्षा मोटे अनाज में पौष्टिकता अधिक होती है. परंतु जानकारी के अभाव में लोग मोटे अनाज का लाभ नहीं ले पाते हैं.

उत्पादन, विपणन और व्यापार में किसानों को मिलेगी मदद

कृषि पदाधिकारी ने बताया कि मिशन मिलेट्स के तहत मोटे अनाज की खेती करने वाले किसानों को उत्पादन के अलावा व्यापार और विपणन के कार्य में भी विभाग के द्वारा मदद दी जाएगी. उत्पादन के लिए किसानों को जागरूक करने के साथ-साथ उन्हें आवश्यक सुविधा भी उपलब्ध कराने की योजना है. उन्होंने बताया कि मोटे अनाज की खेती करने वाले किसानों को प्रति एकड़ 3000 रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी. यह मदद एक किसान के लिए अधिकतम 5 एकड़ तक होगी. वहीं, उत्पादन के बाद अनाज के व्यापार के लिए भी विभाग के द्वारा योजना तैयार की गई है. साथ ही अनाज के विपणन कार्य में भी विभाग किसानों को पूरी मदद करेगी. यदि मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने की कृषि विभाग की योजना सफल हुई तो लातेहार के किसानों को इसका बड़ा लाभ मिलेगा.

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