फरीदाबाद: लोगों की मदद करने के कई तरीके होते हैं. जिनको लोगों की मदद करनी होती है, वो अपने तरीके से जरूरतमंदों की मदद करते ही हैं. इस बीच मिसिंग पर्सन हेल्पलाइन काफी चर्चा में है. इस एनजीओ ने अब तक तकरीबन 6 हजार से अधिक गुमशुदा लोगों को उनके अपनों से मिलवाया है. इतना ही नहीं ये संस्था एक वृद्धाश्रम भी चला रही है. यहां बुजुर्गों की पूरी देखभाल नि:शुल्क की जाती है. इस नेक काम का पूरा जिम्मा एनजीओ की प्रेसिडेंट अनीता मलिक ने उठा रखा है.
6 हजार लोगों को अपनों से मिलवाया: ईटीवी भारत ने मिसिंग पर्सन हेल्पलाइन की प्रेसिडेंट अनीता मलिक से बातचीत की. बातचीत के दौरान अनीता ने कहा कि इसकी शुरुआत एएसआई कृष्ण लाल ने की है, जो खुद हरियाणा पुलिस में तैनात हैं. उन्होंने मुझे इस संस्था का प्रेसिडेंट बनाया है. इस संस्था का उद्देश्य समाज सेवा करना है. इस काम में तेजी लाने को लेकर हमने मिसिंग पर्सन हेल्पलाइन नाम से ऐप बना रखा है, जो गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध है.
अनीता मलिक के मुताबिक मोबाइल ऐप पर बहुत सारा डाटा है. कौन मिला? कौन खोया हुआ है? इस ऐप पर एक लाख बंदे ऐसे हैं जो अभी तक मिसिंग हैं. 70 हजार वह लोग हैं, जिनको हमने ढूंढ रखा है. 28000 लावारिश डेड बॉडी का रिकॉर्ड है, जिसमें से लगभग 6000 लोगों को हम उनके परिवार से मिलवा चुके हैं. इसकी पूरी जानकारी उपलब्ध है.
सरकार की ओर से नहीं मिलती है कोई मदद: अनिता ने आगे बताया कि इंडिया ही नहीं बल्कि इंडिया के बाहर भी जैसे नेपाल USA में हमारी संस्थाएं काम कर रही है. इसके अलावा जल्दी हम श्रीलंका में भी अपना कार्यालय खोलने जा रहे हैं. हमारा मकसद है कि पूरे देश विदेश में जितने भी गुमशुदा लोग हैं, उनको उनके परिवार से मिलवाया जाए. सरकार की ओर से हमें कोई सहयोग नहीं मिल रहा है. जो भी खर्चा है, हमारी संस्था के मेंबर से हमें मिलता है. उसी से हमारा काम चलता है.
हमारा मुख्य उद्देश्य गुमशुदा लोगों को मिलवाना है. इसके अलावा हमारी संस्था कई काम कर रही है. जैसे स्लम एरिया में रहने वाले बच्चों को निशुल्क में शिक्षा देना. इसके अलावा वृद्धाश्रम चलाना, क्योंकि कई बुजुर्गों को हम ढूंढ कर लाते हैं, लेकिन उनको रखने की हमारे पास जगह नहीं होती है. इसीलिए हमने यहीं पर वृद्धाश्रम भी खोल रखा है, जिसमें कई बुजुर्ग जो भी परिवार से नहीं मिल पाए हैं, वह रह रहे हैं. -अनीता मलिक, प्रेसिडेंट, मिसिंग पर्सन हेल्पलाइन
सरकार से मदद की आस: अनीता मलिक ने बताया "हमने कई ऐसे व्यक्तियों को उनके परिवार से मिलवाया, जो 10 सालों से अपने परिवार से बिछड़े हुए थे. हालांकि इस काम को लेकर लोग तारीफ तो करते हैं. कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिनको यह काम पसंद नहीं है, लेकिन फिर भी किसी की परवाह किए बिना हम अपनी टीम के साथ काम करते जा रहे हैं. सरकार से मेरी मांग है कि हमारी संस्था को सपोर्ट करें, ताकि हम और बेहतर तरीके से समाज सेवा कर सकें. संस्था सेक्टर 10 के पॉश इलाका में मैंने इस संस्था को खोल रखा है. इस एरिया में रहने वाले लोग मेरे इस काम को देखना नहीं चाहते हैं, क्योंकि एनजीओ में एंबुलेंस और लोगों का आना-जाना लगा रहता है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि उन्हें परेशानी होती है, लेकिन ऐसी कोई बात नहीं है."
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