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राजनीति में हर तरह की अनुचित, गैर-जरूरी प्रशंसा के लिए तैयार रहें, सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, जानें मामला

सुप्रीम कोर्ट ने मानहानि मामले में केंद्रीय मंत्री एल मुरुगन की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी है.

In politics, be ready to receive all sorts of unwarranted, unnecessary compliments: SC
सुप्रीम कोर्ट (IANS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 8 hours ago

Updated : 8 hours ago

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को मानहानि मामले में केंद्रीय मंत्री एल मुरुगन की याचिका पर सुनवाई हुई. शीर्ष अदालत ने कहा कि राजनीति में प्रवेश करने के बाद हर तरह की अनुचित और अनावश्यक प्रशंसा प्राप्त करने के लिए तैयार रहना चाहिए.

पिछले साल सितंबर में, शीर्ष अदालत ने मुरुगन के खिलाफ आपराधिक मानहानि की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी, चेन्नई स्थित मुरासोली ट्रस्ट द्वारा उनके खिलाफ दायर की गई थी. ट्रस्ट ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि दिसंबर, 2020 में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुरुगन की ओर से दिए गए बयान भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले हैं.

बुधवार को यह मामला जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया. पीठ ने ट्रस्ट की पैरवी कर रहे वकील से पूछा, "क्या आप ऐसा बयान देने के लिए तैयार हैं कि आपका किसी को बदनाम करने का कोई इरादा नहीं था?" वकील ने कहा कि पद पर बैठे लोगों को जिम्मेदार होना चाहिए.

पीठ ने कहा, "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मुद्दे पर आपको सांस लेने की जगह होनी चाहिए... जब आप राजनीति में प्रवेश करते हैं, तो आपको हर तरह की अनुचित, अनावश्यक प्रशंसा के लिए तैयार रहना चाहिए." ट्रस्ट के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल राजनीति में शामिल नहीं हैं.

पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता यह बयान दे रहे हैं कि उसका आपकी भावनाओं को ठेस पहुंचाने का कोई इरादा नहीं था. ट्रस्ट के वकील ने मुवक्किल से निर्देश लेने के लिए गुरुवार तक का समय मांगा. पीठ ने कहा कि उन्हें जनता के सामने लड़ाई लड़नी चाहिए. अदालत ने कहा, "आजकल, महाराष्ट्र में कहा जाता है कि अगर आपको राजनीति में रहना है, तो आपके पास गैंडे की खाल होनी चाहिए."

पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 5 दिसंबर को तय की है. सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री मुरुगन ने मद्रास हाईकोर्ट के 5 सितंबर, 2023 के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में उनके खिलाफ मानहानि की कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया था.

यह भी पढ़ें- चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का मामला, CJI संजीव खन्ना ने सुनवाई से खुद को अलग किया

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को मानहानि मामले में केंद्रीय मंत्री एल मुरुगन की याचिका पर सुनवाई हुई. शीर्ष अदालत ने कहा कि राजनीति में प्रवेश करने के बाद हर तरह की अनुचित और अनावश्यक प्रशंसा प्राप्त करने के लिए तैयार रहना चाहिए.

पिछले साल सितंबर में, शीर्ष अदालत ने मुरुगन के खिलाफ आपराधिक मानहानि की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी, चेन्नई स्थित मुरासोली ट्रस्ट द्वारा उनके खिलाफ दायर की गई थी. ट्रस्ट ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि दिसंबर, 2020 में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुरुगन की ओर से दिए गए बयान भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले हैं.

बुधवार को यह मामला जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया. पीठ ने ट्रस्ट की पैरवी कर रहे वकील से पूछा, "क्या आप ऐसा बयान देने के लिए तैयार हैं कि आपका किसी को बदनाम करने का कोई इरादा नहीं था?" वकील ने कहा कि पद पर बैठे लोगों को जिम्मेदार होना चाहिए.

पीठ ने कहा, "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मुद्दे पर आपको सांस लेने की जगह होनी चाहिए... जब आप राजनीति में प्रवेश करते हैं, तो आपको हर तरह की अनुचित, अनावश्यक प्रशंसा के लिए तैयार रहना चाहिए." ट्रस्ट के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल राजनीति में शामिल नहीं हैं.

पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता यह बयान दे रहे हैं कि उसका आपकी भावनाओं को ठेस पहुंचाने का कोई इरादा नहीं था. ट्रस्ट के वकील ने मुवक्किल से निर्देश लेने के लिए गुरुवार तक का समय मांगा. पीठ ने कहा कि उन्हें जनता के सामने लड़ाई लड़नी चाहिए. अदालत ने कहा, "आजकल, महाराष्ट्र में कहा जाता है कि अगर आपको राजनीति में रहना है, तो आपके पास गैंडे की खाल होनी चाहिए."

पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 5 दिसंबर को तय की है. सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री मुरुगन ने मद्रास हाईकोर्ट के 5 सितंबर, 2023 के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में उनके खिलाफ मानहानि की कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया था.

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Last Updated : 8 hours ago
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