आगरा: फतेहाबाद रोड स्थित एक फाइव होटल से पर्यटक दंपती की लापता डॉगी 100 दिन बाद शनिवार को यमुना किनारे मेहताब बाग में मिल ही गई. डॉगी पाकर पति-पत्नी बेहद खुश हुए और भावुक हो गए. लापता डॉगी को खोजने के लिए परिवार ने गुमुशदगी दर्ज कराई थी. इसके साथ ही गायब डॉगी के बारे में सूचना देने वाले को 50 हजार रुपये के इनाम का ऐलान किया था. शुक्रवार शाम एक व्यक्ति ने बीमार डॉग देखकर कैस्पर्स होम की संचालिका को कॉल करके रेस्क्यू करने की मांग की थी. जो वीडियो दिए, उससे ही दंपती ने अपने लापता डॉगी की पहचान की और शनिवार सुबह गुरुग्राम से आगरा आकर जंगल में रेस्क्यू किया.
होटल से लापता हुई थी डॉगीः बता दें कि गुरुग्राम निवासी दीपायन घोष और उनकी पत्नी कस्तूरी एक नवंबर 2024 को आगरा परिवार के साथ ताजमहल देखने आए थे. इस दौरान फतेहाबाद रोड स्थित होटल में रुके थे और अपने साथ पेट डॉग लाए थे. जिन्हें पेट सिटिंग चार्ज का भुगतान करके तीन नवंबर को दंपति होटल में डॉग छोड़कर फतेहपुर सीकरी घूमने गए. तीन घंटे के लिए पेट सिटिंग के लिए तीन हजार रुपये लिए थे. लेकिन तभी होटल प्रबंधन ने एक पेट डॉग (मादा) ग्रेहाउंड के होटल से निकलने की सूचना दी. पेट डॉग ग्रेहाउंड हिमाचली मिक्स ब्रीड की थी. जो नौ वर्ष से परिवार के साथ रह रही थी.
30 वॉलंटियर के साथ ढूंढ रहे थेः बता दें कि पर्यटक दीपायन और उनकी पत्नी कस्तूरी ने पेट डॉग ग्रेहाउंड की तलाश में आगरा में जगह जगह पंफलेट बांटने के साथ ही पोस्टर भी लगवाएं थे. पेट डॉग खोजकर लाने पर पहले दस हजार रुपये का इनाम और बाद में इनाम की राशि 20 हजार रुपये और 50 हजार रुपये कर दी है. पुलिस ने डॉग की गुमशुदगी दर्ज की. जब पुलिस ने छानबीन की तो सीसीटीवी फुटेज में ताज मेट्रो स्टेशन के पास 3 नवंबर को दिखा. शाहजहां गार्डन के पीछे हिस्से में जाकर खोजबीन की. इसके बाद दीपायन और कस्तूरी ने विनीता अरोरा की मदद से 30 वॉलंटियर के साथ अपने ग्रे हाउंड को ढूंढने में लगाए. मगर, सफलता नहीं मिली थी.
जंगल में आवाज दी तो गोद में चढ़ गई डॉगीः कैस्पर्स होम की संचालिका विनीता अरोरा ने बताया कि मेरे पास शुक्रवार को किसी ने कॉल करके बताया था कि एक नया डॉग आया है. जो खाना खाने के लिए जंगल से बाहर आता है. लगता है उसकी तबितय है. इसे रेस्क्यू कराएं. जब मैंने कॉल करने वाले से डॉग का वीडियो मंगाया और उसे गुड़गांव निवासी कस्तूरी और दीपांयन को भेजा. दोनों ने डॉग की पहचान की. इसके बाद शनिवार सुबह गुडंगांव से दीपांकर और कस्तूरी आगरा आए. मेहताब बाग के पास डॉग कैचर बुलाए. डॉग कैचर कर कोशिश नाकाम रही तो खुद कस्तूरी जंगल में गईं. कस्तूरी ने बताया कि जब मैंने डॉग को उसके नाम से आवाज दी तो वैसे ही डॉग भागती हुई आई और गोद में चढ गई. ये देखकर मेरी आंखें भर आईं.
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