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'बिहार में ₹10 में इंजीनियरिंग और ₹5 प्रति माह में पॉलिटेक्निक की पढ़ाई', बोले बिहार सरकार के मंत्री- 'सभी सीटें FULL' - MINISTER SUMIT KUMAR SINGH

बिहार के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों में पिछले 4 सालों से 30 परसेंट सीट खाली. इस साल सीट फुल होने का मंत्री ने दावा किया.

MINISTER SUMIT KUMAR SINGH
मंत्री सुमित कुमार सिंह (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 9, 2024, 6:51 PM IST

पटना: बिहार के 38 सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज के पिछले 4 सालों का आंकड़ा देखें तो हर साल 30 परसेंट के करीब सीट खाली रह जा रही थी. 2020-21 से लेकर 2023-24 तक यह सिलसिला लगातार चलता रहा है. 2020-21 से 2023 -24 तक 44593 सीटों में से 13257 इंजीनियरिंग की सीट कॉलेज में खाली रह गई. वहीं सीट को लेकर मंत्री सुमित कुमार सिंह ने दावा किया है.

इंजीनियरिंग कॉलेजों की सभी सीट फुल: बता दें कि वित्तीय वर्ष 2024 -25 में स्थिति बेहतर होने का दावा साइंस एंड टेक्नोलॉजी मिनिस्टर सुमित कुमार सिंह कर रहे हैं. सुमित कुमार सिंह का कहना है वित्तीय वर्ष 2024-25 में लगभग सभी सीटें फुल हो गई है. बिहार में अब स्थिति बदल रही है और वो लोग प्लेसमेंट पर भी ध्यान दे रहे हैं. इससे बाहर जाने वाले छात्रों की संख्या में भी कमी आ रही है.

मंत्री सुमित कुमार सिंह से खास बीतचीत (ETV Bharat)

₹5 प्रति माह में पॉलिटेक्निक की पढ़ाई: सुमित कुमार सिंह ने कहा कि बिहार ऐसा राज्य है जहां ₹10 में इंजीनियरिंग और ₹5 प्रति माह में पॉलिटेक्निक की पढ़ाई होती है. बिहार के इंजीनियरिंग कॉलेज में सीटें खाली रह जाने और छात्रों के दूसरे राज्यों में इंजीनियरिंग कॉलेज में नामांकन को लेकर मंत्री सुमित कुमार सिंह से बातचीत की. उन्होंने कहा कि इस साल 38 इंजीनियरिंग कॉलेज में 28 नवंबर तक मॉक अप पर राउंड चला है और लगभग सभी सीटें फुल हो चुकी है.

छात्र-छात्राओं के प्लेसमेंट की हो रही तैयारी: आगे सुमित कुमार सिंह ने कहा कि नवंबर में ही उन लोगों ने हाजीपुर इंडस्ट्रियल क्षेत्र में उद्योगपतियों के साथ बैठक की थी. जिसमें 50 से अधिक उद्योगपति शामिल हुए थे और उन लोगों ने आश्वासन दिया था कि इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक करने वाले बिहार के छात्रों को नौकरी देंगे.

"हम लोग जल्द ही सभी औद्योगिक क्षेत्र में जाकर बैठक करेंगे और बिहार के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज से निकल रहे छात्र-छात्राओं के प्लेसमेंट को लेकर बातचीत करेंगे. बिहार के इंजीनियरिंग कॉलेज में 30% के करीब सीट खाली रहने की बात पुरानी है हम लोगों ने नियम में बदलाव किया है. बिहार देश में इकलौता राज्य है, जहां ₹10 प्रति माह में इंजीनियरिंग की पढ़ाई और ₹5 प्रति माह में पॉलिटेक्निक की पढ़ाई कराई जाती है."-सुमित कुमार सिंह, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री, बिहार

38 जिलों में इंजीनियरिंग कॉलेज: बिहार के स्टूडेंट से अन्य राज्यों के इंजीनियरिंग कॉलेज भरे पड़े हैं, बिहार से हजारों करोड़ रुपये जा रहा है. इसे रोकने के सवाल पर मंत्री सुमित कुमार सिंह ने कहा यह सच्चाई है पहले लोग जाया करते थे. इस बार स्थिति बदल रही है, बाहर जाने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या में कमी आई है. जब हमारे नेता ने बिहार में सत्ता संभाला था, उस समय केवल तीन इंजीनियरिंग कॉलेज थे. आज सभी 38 जिले में इंजीनियरिंग कॉलेज है और सभी अपने भवन में संचालित हो रहे हैं.

पॉलिटेक्निक कॉलेजों की बढ़ी संख्या: बिहार में 46 पॉलिटेक्निक कॉलेज भी चल रहे हैं, एक पॉलिटेक्निक कॉलेज छोड़कर सभी के अपने भवन है. अच्छे फैकेल्टी को लाया गया है और सबसे बड़ी बात की प्रयोगशाला से लेकर जितने भी संसाधन चाहिए सरकार ने सभी मुहैया कराया है. इस साल कितनी सीट खाली है इस सवाल पर मंत्री ने कहा कि आप जानकारी ले सकते हैं, इस साल सभी सीटें फुल हो गई है.

लाखों में मिल रहा छात्रों को पैकेज: प्लेसमेंट को लेकर बिहार के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों की स्थिति पर मंत्री सुमित कुमार सिंह ने कहा के यहां के इंजीनियरिंग कॉलेज से निकले छात्र 3 लाख से 38 लाख के पैकेज में गए हैं. अब तक हजारों बच्चों का प्लेसमेंट हो चुका है. जिनके पास भीअच्छा स्किल है उन सब का प्लेसमेंट हो रहा है. इस साल स्थिति में और सुधार हो हुआ है.

नामांकन के लिए एग्जाम: निजी क्षेत्र में इंजीनियरिंग कॉलेज आने पर क्या रणनीति बनाई जा रही है इस पर उन्होंने कहा कि सरकार की कोशिश के कारण कई इंजीनियरिंग कॉलेज खुले हैं. बिहार में भी इंजीनियरिंग कॉलेज में नामांकन के लिए एग्जाम हो रहे हैं. बता दें कि बिहार के इंजीनियरिंग कॉलेज में 2020-21 से 2023 -24 तक केवल 70.27 प्रतिशत ही सीट फुल हो पाए 29.73 प्रतिशत सीटें खाली रह गई.

चार सालों में इतनी सीट रही खाली: पिछले 4 सालों में जो सीट इंजीनियरिंग कॉलेज में खाली रह गई है, उसका अकड़ा कुछ ऐसा रहा साल 2021-22 में 2721 सीटें, 2022-23 में 3897 सीटें, 2023-24 में 3919 सीटें. वहीं साल 2024-25 को लेकर सुमित कुमार सिंह ने दावा किया है कि सभी सीटें फुल हो गई है.

MINISTER SUMIT KUMAR SINGH
4 सालों से 30 परसेंट सीट खाली (ETV Bharat)

जेईई और बीसीईसीई से भरा जाता है सीट: बिहार में सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थिति बेहतर हो इसको लेकर नीतीश सरकार ने इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय अलग से बनाया है. 2 साल पहले इस विद्यालय की स्थापना की गई है. सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में जेईई के मेनस के रैंक के आधार पर 46% सीटों पर नामांकन हुआ था. उसके बाद बची हुई सीटों पर बीसीईसीई के माध्यम से हुई पीसीएम ग्रुप की परीक्षा के माध्यम से भरा गया है.ऐसे शुरू में चार राउंड के बाद भी 3000 सीटें खाली रह गई थी.

कराया गया स्पेशल राउंड: सुमित कुमार सिंह का दावा है कि खाली सीटों के लिए स्पेशल राउंड कराया गया और अब सभी सीटें भर गई है. यह एक अच्छी खबर जरूर है. वहीं पटना कॉलेज के पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर एन के चौधरी का कहना है कि जब तक निजी क्षेत्र में कॉलेज अधिक से अधिक संख्या में बिहार में नहीं खुलेंगे तब तक दूसरे राज्यों में बिहार के छात्रों का पलायन रुकेगा नहीं.

"जब बिहार के छात्र दूसरे राज्य के इंजीनियरिंग कॉलेज में जाते हैं तो उस कॉलेज की फीस के साथ हर साल वहां रहने-खाने में भी खर्च होता है. वह एक बड़ी राशि होती है. अगर बिहार में यह राशि खर्च होती तो बिहार की अर्थव्यवस्था को फायदा मिलता है. रोजगार के अवसर भी बढ़ते. इसलिए सरकार को इस क्षेत्र में अभी और काम करने की जरूरत है और जो देश के सबसे अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेज निजी क्षेत्र में है, उनको भी लाने की जरूरत है."- प्रोफेसर एन के चौधरी, पूर्व प्राचार्य, पटना कॉलेज

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पटना: बिहार के 38 सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज के पिछले 4 सालों का आंकड़ा देखें तो हर साल 30 परसेंट के करीब सीट खाली रह जा रही थी. 2020-21 से लेकर 2023-24 तक यह सिलसिला लगातार चलता रहा है. 2020-21 से 2023 -24 तक 44593 सीटों में से 13257 इंजीनियरिंग की सीट कॉलेज में खाली रह गई. वहीं सीट को लेकर मंत्री सुमित कुमार सिंह ने दावा किया है.

इंजीनियरिंग कॉलेजों की सभी सीट फुल: बता दें कि वित्तीय वर्ष 2024 -25 में स्थिति बेहतर होने का दावा साइंस एंड टेक्नोलॉजी मिनिस्टर सुमित कुमार सिंह कर रहे हैं. सुमित कुमार सिंह का कहना है वित्तीय वर्ष 2024-25 में लगभग सभी सीटें फुल हो गई है. बिहार में अब स्थिति बदल रही है और वो लोग प्लेसमेंट पर भी ध्यान दे रहे हैं. इससे बाहर जाने वाले छात्रों की संख्या में भी कमी आ रही है.

मंत्री सुमित कुमार सिंह से खास बीतचीत (ETV Bharat)

₹5 प्रति माह में पॉलिटेक्निक की पढ़ाई: सुमित कुमार सिंह ने कहा कि बिहार ऐसा राज्य है जहां ₹10 में इंजीनियरिंग और ₹5 प्रति माह में पॉलिटेक्निक की पढ़ाई होती है. बिहार के इंजीनियरिंग कॉलेज में सीटें खाली रह जाने और छात्रों के दूसरे राज्यों में इंजीनियरिंग कॉलेज में नामांकन को लेकर मंत्री सुमित कुमार सिंह से बातचीत की. उन्होंने कहा कि इस साल 38 इंजीनियरिंग कॉलेज में 28 नवंबर तक मॉक अप पर राउंड चला है और लगभग सभी सीटें फुल हो चुकी है.

छात्र-छात्राओं के प्लेसमेंट की हो रही तैयारी: आगे सुमित कुमार सिंह ने कहा कि नवंबर में ही उन लोगों ने हाजीपुर इंडस्ट्रियल क्षेत्र में उद्योगपतियों के साथ बैठक की थी. जिसमें 50 से अधिक उद्योगपति शामिल हुए थे और उन लोगों ने आश्वासन दिया था कि इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक करने वाले बिहार के छात्रों को नौकरी देंगे.

"हम लोग जल्द ही सभी औद्योगिक क्षेत्र में जाकर बैठक करेंगे और बिहार के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज से निकल रहे छात्र-छात्राओं के प्लेसमेंट को लेकर बातचीत करेंगे. बिहार के इंजीनियरिंग कॉलेज में 30% के करीब सीट खाली रहने की बात पुरानी है हम लोगों ने नियम में बदलाव किया है. बिहार देश में इकलौता राज्य है, जहां ₹10 प्रति माह में इंजीनियरिंग की पढ़ाई और ₹5 प्रति माह में पॉलिटेक्निक की पढ़ाई कराई जाती है."-सुमित कुमार सिंह, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री, बिहार

38 जिलों में इंजीनियरिंग कॉलेज: बिहार के स्टूडेंट से अन्य राज्यों के इंजीनियरिंग कॉलेज भरे पड़े हैं, बिहार से हजारों करोड़ रुपये जा रहा है. इसे रोकने के सवाल पर मंत्री सुमित कुमार सिंह ने कहा यह सच्चाई है पहले लोग जाया करते थे. इस बार स्थिति बदल रही है, बाहर जाने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या में कमी आई है. जब हमारे नेता ने बिहार में सत्ता संभाला था, उस समय केवल तीन इंजीनियरिंग कॉलेज थे. आज सभी 38 जिले में इंजीनियरिंग कॉलेज है और सभी अपने भवन में संचालित हो रहे हैं.

पॉलिटेक्निक कॉलेजों की बढ़ी संख्या: बिहार में 46 पॉलिटेक्निक कॉलेज भी चल रहे हैं, एक पॉलिटेक्निक कॉलेज छोड़कर सभी के अपने भवन है. अच्छे फैकेल्टी को लाया गया है और सबसे बड़ी बात की प्रयोगशाला से लेकर जितने भी संसाधन चाहिए सरकार ने सभी मुहैया कराया है. इस साल कितनी सीट खाली है इस सवाल पर मंत्री ने कहा कि आप जानकारी ले सकते हैं, इस साल सभी सीटें फुल हो गई है.

लाखों में मिल रहा छात्रों को पैकेज: प्लेसमेंट को लेकर बिहार के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों की स्थिति पर मंत्री सुमित कुमार सिंह ने कहा के यहां के इंजीनियरिंग कॉलेज से निकले छात्र 3 लाख से 38 लाख के पैकेज में गए हैं. अब तक हजारों बच्चों का प्लेसमेंट हो चुका है. जिनके पास भीअच्छा स्किल है उन सब का प्लेसमेंट हो रहा है. इस साल स्थिति में और सुधार हो हुआ है.

नामांकन के लिए एग्जाम: निजी क्षेत्र में इंजीनियरिंग कॉलेज आने पर क्या रणनीति बनाई जा रही है इस पर उन्होंने कहा कि सरकार की कोशिश के कारण कई इंजीनियरिंग कॉलेज खुले हैं. बिहार में भी इंजीनियरिंग कॉलेज में नामांकन के लिए एग्जाम हो रहे हैं. बता दें कि बिहार के इंजीनियरिंग कॉलेज में 2020-21 से 2023 -24 तक केवल 70.27 प्रतिशत ही सीट फुल हो पाए 29.73 प्रतिशत सीटें खाली रह गई.

चार सालों में इतनी सीट रही खाली: पिछले 4 सालों में जो सीट इंजीनियरिंग कॉलेज में खाली रह गई है, उसका अकड़ा कुछ ऐसा रहा साल 2021-22 में 2721 सीटें, 2022-23 में 3897 सीटें, 2023-24 में 3919 सीटें. वहीं साल 2024-25 को लेकर सुमित कुमार सिंह ने दावा किया है कि सभी सीटें फुल हो गई है.

MINISTER SUMIT KUMAR SINGH
4 सालों से 30 परसेंट सीट खाली (ETV Bharat)

जेईई और बीसीईसीई से भरा जाता है सीट: बिहार में सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थिति बेहतर हो इसको लेकर नीतीश सरकार ने इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय अलग से बनाया है. 2 साल पहले इस विद्यालय की स्थापना की गई है. सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में जेईई के मेनस के रैंक के आधार पर 46% सीटों पर नामांकन हुआ था. उसके बाद बची हुई सीटों पर बीसीईसीई के माध्यम से हुई पीसीएम ग्रुप की परीक्षा के माध्यम से भरा गया है.ऐसे शुरू में चार राउंड के बाद भी 3000 सीटें खाली रह गई थी.

कराया गया स्पेशल राउंड: सुमित कुमार सिंह का दावा है कि खाली सीटों के लिए स्पेशल राउंड कराया गया और अब सभी सीटें भर गई है. यह एक अच्छी खबर जरूर है. वहीं पटना कॉलेज के पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर एन के चौधरी का कहना है कि जब तक निजी क्षेत्र में कॉलेज अधिक से अधिक संख्या में बिहार में नहीं खुलेंगे तब तक दूसरे राज्यों में बिहार के छात्रों का पलायन रुकेगा नहीं.

"जब बिहार के छात्र दूसरे राज्य के इंजीनियरिंग कॉलेज में जाते हैं तो उस कॉलेज की फीस के साथ हर साल वहां रहने-खाने में भी खर्च होता है. वह एक बड़ी राशि होती है. अगर बिहार में यह राशि खर्च होती तो बिहार की अर्थव्यवस्था को फायदा मिलता है. रोजगार के अवसर भी बढ़ते. इसलिए सरकार को इस क्षेत्र में अभी और काम करने की जरूरत है और जो देश के सबसे अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेज निजी क्षेत्र में है, उनको भी लाने की जरूरत है."- प्रोफेसर एन के चौधरी, पूर्व प्राचार्य, पटना कॉलेज

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